दुःख क्या होता है?
दुःख कुछ नहीं है। यदि ऐसा कुछ नही करे जो की भविष्य में दुःख का सामना करना पड़े। तो दुःख क्यों होगा। लोग सोचते बहुत है। पर ऐसा कुछ कभी नही सोचे जो की आगे परेशानी का सामना करना पड़े। जब अच्छा समय होता है। तो उस समय कुछ ऐसा भी कर देते है। जो नहीं करना होता है। सोचते भी नहीं है की क्या कर रहे है। फिर भी कर बैठते है। जब उसका परिणाम गलत निकलता है। तब सोच में पड़ जाते है की ऐसा किया ही क्यों था। जो कभी नहीं करना था। जब वही बुरा वक्त लेकर आता है। तो अपनी गलती सुधरने का प्रयास करते है। तब सही जानकारी मिलता है। तो कोई गलती करे ही क्यों?
दुःख का कारण क्या है? दुःख क्यों होता है?
वास्तविक ज्ञान की बात को समझे तो सब समझ में आता है। मनुष्य जब तक कोई
गलती नहीं करता है। तब तक वास्तविक ज्ञान नहीं मिलता है। उसे ही ज्ञान का अभाव कहा जाता है। ज्ञान के कई आयाम
होते है। मनुष्य का तो पूरा जीवन ज्ञान के लिए ही है। यहाँ तक की जब तक वास्तविक ज्ञान नहीं
होता है। तब तक मनुष्य कुछ उपार्जन भी तो नहीं कर पता है। जीवन में ज्ञान हर
जगह आवश्यक है। किसी विषय वस्तु का दुःख मनुष्य को तब तक ही होता है। जब तक वास्तविकता
से सामना नहीं होता है। अपने मार्ग पर चलते चलते मनुष्य संघर्स भी करता है। मनुष्य मेहनत भी
करता है। मनुष्य विवेक बुध्दी का इस्तेमाल भी करता है। मनुष्य सोचता भी है। मनुष्य समझता भी है। मनुष्य अपने आयाम
के एक एक कर के परते खोलते हुए अपने जीवन पथ पर आगे बढ़ता जाता है। धीरे धीरे अपने
जीवन में ज्ञान के करी को जोड़ते हुए परिपक्वता के तरफ बढता है। जैसे जैसे ज्ञान
बढ़ता है। वैसे वैसे अभाव सब दूर होता है। दुःख दूर होता है। गलतिया समाप्त होता
है। तब मनुष्य परिपक्व होता है। ज्ञानवान होता है। इसलिए दुःख कुछ
नहीं है सिर्फ ज्ञान का अभाव है।
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