अपनी कल्पना का इस्तेमाल करें
अपनी कल्पना के मौजूदा समय में
अपनी कल्पना के मौजूदा समय में जैसा समय ख़राब चल रहा है। खासकर इस महामारी में जहा पूरा दुनिया अस्त ब्यस्त है। सेवा, ब्यवसाय सब उथल पुथल चल रहा है। कुछ ही उपक्रम ठीक से चल रहे है। रोजमर्रा का समय बिताना मुश्किल पड़ है। ऐसे हालात में सेवा ब्यवसाय को चलने के लिए अन्तर आत्मा पर ही विस्वास करना होगा। जहा कल्पना पनपता है। जहा कोई भी कल्पना ठीक नहीं चल रहा हो। सकारात्मक कल्पना करे। सोचे समझे नकारात्मक पहलू कहा उजागर हो रहा है। उस नकारात्मक पहलू पर विचार करे। ऐसा क्या रास्ता अपनाये की उस नकारात्मक पहलू में परिवर्तन हो सके। कल्पना में मन की बात सुने। उठाते सवाल का हल ढूंढने का प्रयास करे। जब तक कि उसका कोई उपाय नही मिले। विचार विमर्श करे। फिर भी नही समझ में आ हो तो जानकर से मिले। जो आपके सवाल दे सके। हर परिवर्तन में नया ज्ञान हासिल करना ही पड़ता है। तभी जीवन में नया परिवर्तन आता है।
अपनी सकारात्मक कल्पना का इस्तेमाल करें
अपनी सकारात्मक कल्पना का इस्तेमाल करें। जैसा उपाय समझ में आ रहा है। बुद्धि विवेक को सक्रीय कर के आगे बढ़े। मन को सकारात्मक बनाकर रखे। कोई भी नया सवाल खड़ा हो रहा है। तो उसका हल ढूंढे। मन मस्तिष्क में हर सवाल का जवाब होता है। परिणाम कही न कही से अवश्य मिलता है। सही दिशा में कार्य करते रहे। संय्यम रखे स्वयं पर पूर्ण विश्वास रखे। निरंतर प्रयास और मेहनत के साथ विश्वास कभी भी ब्यर्थ नहीं जाता है। समय के थपेड़े से कभी घबराना नहीं चाहिए। जीवन में उतार चढ़ाओ आते ही रहते है। समय की अवस्था को समझते हुए परिबर्तन जरूरी हो जाता है।
अपनी कल्पना का इस्तेमाल करते समय सय्यम रखे
अपनी कल्पना का इस्तेमाल करते समय सय्यम जरूर
बरतना चाहिये। जिस विषय पर कार्य कर रहे है। मेहनत और समय अपने कार्य पर ही देना चाहिये।
अपने कार्य के सफलता के लिए चिंतन जरूर करना चाहिये। जब तक चिंतन सकारात्मक नहीं होगा।
मन एक जगह टिकेगा ही नहीं। मन को एक जगह टिकने के लिए अपने कार्य के सफलता के लिए कल्पना
जरूर करना चाहिये। अपने कल्पना का इस्तेमाल इस तरह से कर सकते है। सफलता जरूर मिलगी।
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