जिन चीजों से मुझे आप से नफरत है
जब आपके मन में झाकते है तो बहुत कुछ जीवन में समझ में आने लग जाता है
जब अपने मन में झाकते है। बहुत कुछ समझ में आने लग जाता है। ज्यादाकर मन में समय के नकारात्मक भाव ही नजर आते हैं। कुछ ही बात जो अच्छे होते हैं। जो बाते सकारात्मक होते है। उन्हें बारंबर याद करने को मन करता है। जो बात मन को अच्छे नहीं लगते हैं। उन बातो से किनारा करना कभी कभी बहुत मुश्किल हो जाता है। तब गुसा भी ऐसा ही आता है। जब कुछ पुरानी बात मन को झकझोर देता है। तब नकारात्मक बाते ही मन में उठने लगते हैं। ऐसा मन का प्रबृत्ति होता है।
वास्तविक जीवन के आयाम में सकारात्मक बातो के लिए कम जगह होता है
अक्सर जीवन के आयाम में सकारात्मक बातो के लिए कम जगह होता है। इसके पीछे कारण ये है की ज्यदाकर मिलाने जुलने वाले लोगो का भावना कोई न कोई इच्छा से जुड़ा होता है। ज्यादाकर लोगो की इच्छा नकारात्मक ही होते है। जिसका प्रभाव दोनों के मन पर पड़ता है। जिसके कारण बात सुनाने वाला और बात कहने वाला दोनों के मन पर नकारात्मक इच्छा का प्रभाव पड़ता है। इसलिए कल्पना के दौरान या कोई विशेष कार्य के लिए कुछ सोचते है। तो उससे जुड़ा हुआ भावना चरितार्थ होता है। इस प्रकार के जो नकारात्मक बाते जब मन में उठाते है। तो गुस्सा भी बहुत आता है। साथ में अपने सोच और कल्पना पर अपना प्रभाव डालता है।
जीवन में उन्नति के लिए प्रबृत्ति सकारात्मक होना बहुत जरूरी है
जीवन की प्रबृत्ति सकारात्मक होना बहुत जरूरी है। वास्तव में सकारात्मक सोच में स्वयं के इच्छा के लिए कोई जगह नहीं होता है। यदि स्वयं के लिए कुछ सोचते है। वह सोच के भावना में या कल्पना में लालच भी आता है। जो की एक निम्न प्रबृत्ति है। जिससे स्वयं के इच्छा कुछ सोचना या कल्पना करना पूरी तरह से सार्थक नहीं होता है। इसलिए सोच या कल्पना में कुछ प्राप्त करना चाहते है। तो कल्पना में जिस विषय पर सोच रहे है। मन का झुकाव उसी विषय वस्तु पर होना चाहिये। जिससे उस विषय वस्तु के कार्य में पूरा सफलता मिले। जब वह कार्य सफल हो जाता है। तब उस कार्य के परिणाम से फायदा मिलता है। वही वास्तविक सफलता होता है। इसलिए कभी भी सोच और कल्पना में अपनी इच्छा को उजागर नही होने देना चाहिए।
No comments:
Post a Comment