हम क्या कर रहे
हम क्या कह रहे है? और हम कहा तक कह रहे है? कभी सोचे है? हम क्या है? हम भावावेश में कहाँ तक सोच जाते है? कुछ पता नहीं चलता है। कहा तक केवल इतना सोच
जाते है। और सोचते ही रहते है। सारी की सारी सोच हवा में ही रह जाती है। जिसका कोई
परिणाम नहीं निकलता है। और न फल देने वाला ही होता है। फिर क्यों इतना सोचते है। उससे
तो बेहतर है। हम उतना हो सोचे जो की कोई परिणाम तक पहुंच जा सके। और नतीजा सबके लिए
अच्छा हो। हम यही खुद से पूछते है। वो सोच और समझ किस काम का जो कोई परिणाम तक ही नही
पहुंच पाए? सब हवा में ही रह जाये। उससे क्या फायदा होगा ? सब ब्यर्थ हो जायेगा। इसलिए कम सोचे, अच्छा सोचे, बढ़िया सोचे,
फल देने वाला चीज सोचे जो अपने और दुसरो के लिए कारगर हो। जीवन सफल हो। समाज के लिए
उन्नतिकारक हो। तभी सोच समझ सकारात्मक होगा।
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