Monday, August 9, 2021

अपने काम की कल्पना जीवन के उत्थान और सफलता व्यवहारिक जीवन में सकारात्मक महत्त्व रखता है

काम पर कल्पना

 

अपने काम के बारे में कल्पना करना आज के समय के हालत के अनुशार से बहुत जरूरी हो गया है। एक तरफ महा बीमारी ने अपना जगह बना लिया है। तो दूसरी तरफ उद्योग कही न कही सब नुकसान झेल रहे है। कुछ ही उपक्रम ठीक चल रहे है। ऐसे माहौल में बेरोजगारी उत्पन्न होना कोई नई बात नहीं रह गया है। कर्मचारी हो या तकनिकी विशेषज्ञ कही न कही बेरोजगारी के वज़ह से पड़ेशान है। ऐसे हालात में आत्मनिर्भर होना बहुत जरूरी हो गया है।

 

काम धंदा के प्रगति के लिए कल्पना करने के लिए बहुत ऐसे विषय है। जो अपने अपने क्षेत्र से जुड़े हुए है। हर ब्यक्ति किसी न किसी क्षेत्र में कुछ जानकर या विशेषज्ञ जरूर है। अपने प्रतिभा को माध्यम बनाकर आगे बढ़ना चाहिये। कोई भी व्यवसाय या उपक्रम एका एक आगे नहीं बढ़ता है। व्यवसाय धीरे धीरे बढ़ता होता है। पहले कोई एक शुरुआत करता है। मेहनत और लगन से आगे बढ़ता है। धीरे धीरे प्रगति करता है। जो कार्य व्यवसाय अपने मन को अच्छा लगता है। उसकी कल्पना प्रयास को बढाता है। कही न कही से व्यवसाय क्यों नहीं मिलेगा? मेहनत और प्रयास कभी ब्यर्थ नहीं जाता है। जैसा कल्पना घटित होता है। मन का झुकाओ भी उसी क्षेत्र में होता है। मन एक बार अपने कार्य में लग जाए। तो उत्पादन अवश्य होगा। इससे जीवन में उन्नति होगा ही। इसलिए अपने काम व्यवसाय सेवा से जुड़े हुए क्षेत्र में प्रगति के लिए कामना करना ही चाहिये।   

मन मस्तिष्क की सक्रियता मन में एकाग्रता काल्पन जीवन में डर भय दूर होता है बात विचार सरल सहज और आकर्षक होता है ग्राहक आकर्षित होते है।

कल्पना सोच समझ के बारे  कहा जाता है की कभी भी अच्छे शब्द ही बोलता चाहिए

कल्पना सोच समझ के बारे  कहा जाता है की कभी भी अच्छे शब्द ही बोलता चाहिए। किसी से भी भले अनजान से ही क्यों नही। साफ़ सुथरा बात चित करना चाहिए। कब कौन अपने साथ मददगार हो जायेगा क्या पता। जीवन सदा एक जैसा नहीं होता है। उतार चढ़ाओ होता ही रहता है। यही अपना बोलना साफ सुथरा होगा तो कोई भी अपना साथ देगा। भले जान पहचान के हो या अनजान सभी को अच्छे शब्द पसंद है। हो सकता है। अपने बुरे समय वो कभी भी अपना साथ मददगार हो। एक बात और है की जब अपना  बोली वचन ठीक ठाक  होगा।  सुख हो या दुःख अपने को एहसास नहीं होगा। चुकी अच्छे बोल वचन  अपने को ज्ञान भी देता है।


जीवन के कल्पना में सब अपने स्वयं के सुधार के लिए सोचते है

जीवन के कल्पना में सब अपने स्वयं के सुधार के लिए सोचते है। कभी पिछली बात को याद करते है। तो कभी आने वाले भविष्य की कल्पना करते है।  अक्सर ऐसा तब करते ही जब अपना मस्तिष्क विकशित होता है। सोच  समझ का ज्ञान समझने लग जाते है।  तो  आगे का रास्ता निकालने के लिए  भविष्य की कल्पना करते है। जिसका मुख्य उद्देश्य होता है। जीवन का विकास करना।


जीवन के कल्पना में अपने काम धंदे के बारे में सोचते है आर्थिक स्तिथि मजबूत हो

जीवन के कल्पना में अपने काम धंदे के बारे में सोचते है। जिससे आर्थिक स्तिथि मजबूत हो। घर परिवार खुशहाल ।जीवन के विकास में बहुत सारे ऐसे उद्योग धंदा है। जैसे विपणन और सामान के बिक्री से जुड़े उद्योग धंदा और ब्यापार सेवा।  इस व्यवसाय में मुख्या तौर पर महत्त्व होता है की  ग्राहक को कैसे आकर्षित करते है।  खरीदारी के लिए और सामान के बिक्री की मात्रा को बढ़ाते है। विपणन के व्यवसाय में अपना बात चित करने का तरीका ही अपने व्यवसाय को बढ़ाने में भूमिका निभाता है।  जिससे सामान की बिक्री का मात्रा बढ़ता है। आवश्यकता बात करने की कला होता है।  जीवन में बात विचार के कला और ज्ञान के लिए किसी के प्रेरणा का सहारा लिया जा सकता है। आत्मज्ञान पर पूर्ण विस्वाश करना होता है। स्वयं के मन में झांककर वो सभी प्रकार के गन्दगी को निकालना होता है। जो कल्पना के  दौरान सोच समझ  में रोड़ा अटकने वाला विचार आता है।  उसकी सफाई कर के सकारात्मक विचार को बढ़ाया जाता है। मन को सरल और सहज रखने का  प्रयास किया जाता है।  विपणन के व्यवसाय में कभी भी खली समय को व्यर्थ नहीं गवाना चाहिये  खली समय में भी कुछ न कुछ कार्य करते रहना चाहिए। जिससे मन मस्तिष्क सक्रिय रहता है।  हमेशा मन में एकाग्रता का ख्याल रहना चाहिये  जिससे मन का डर भय दूर होता है।   बात विचार सरल सहज और आकर्षक होता है। ग्राहक आकर्षित होते है।

कबीर दास जीवन दूसरों की बुराइयां देखने में लगा दया लेकिन जब मैंने खुद अपने मन के अंदर में झाँक कर देखा तो पाया कि मुझसे बुरा कोई इंसान नहीं है दुनिया में

कबीर दस जी कहते है। कि मैं सारा जीवन दूसरों की बुराइयां देखने में लगा दया। लेकिन जब मैंने खुद अपने मन के अंदर में झाँक कर देखा तो पाया कि मुझसे बुरा कोई इंसान नहीं है दुनिया में। मैं ही सबसे स्वार्थी और बुरा हूँ। हम लोग दूसरों की बुराइयां बहुत देखते हैं। लेकिन अगर हम खुद के मन के अंदर झाँक कर देखेंगे तो पाएंगे कि हमसे बुरा कोई इंसान इस दुनिया में नहीं है।

कल्पना के जरिये ज्ञान को अपने जीवन में स्थापित किया जाता है मन लीजिये की पढाई लिखाई कर रहे है परीक्षा देना पढाई लिखाई का मुख्या उद्देश होता है

कल्पना ज्ञान से बेहतर है


कल्पना ज्ञान से बेहतर ही है ज्ञान हासिल करना ही चाहिये 

ज्ञान से ही सब कार्य होते है। जब तक ज्ञान नहीं होगा। तब तक कोई कम को पूरा भी नहीं कर सकते है। चाहे छोटा हो या बड़ा काम सब ज्ञान से जुड़ा हुआ है। पढाई लिखाई से ज्ञान मिलता है। खेलने कूदने से भी बहूत ज्ञान मिलता है। शारीर चुस्त दुरुस्त रहता है। मन साफ रहता है। शारीर के तंत्रिका तंत्र सक्रीय रहते है। खेलने कूदने से शारीर में चुस्ती फुर्ती मिलता है। कही न कही खेलने कूदने से ज्ञान ही मिलता है। भले वो भौतिक ज्ञान है। सबसे पहले शारीर होता है। शरीर से ही सब कुछ जुड़ा हुआ है। ज्ञान ही है। समाज में लोगो से बात विचार करने से भी नए नए ज्ञान मिलता है। क्या अच्छा है? क्या बुरा है? अछे बुरे का ज्ञान होता है। घर में संस्कार का ज्ञान मिलता है। आदर भाव का ज्ञान मिलता है। माता बच्चे को प्यार दुलार कर के अच्छे बात सिखाते है। ये भी ज्ञान ही है।


कल्पना ज्ञान से बेहतर क्यों है? सवाल बहूत अच्छा है 

कल्पना के जरिये ज्ञान को अपने जीवन में स्थापित किया जाता है। मन लीजिये की पढाई लिखाई कर रहे है। परीक्षा देना पढाई लिखाई का मुख्या उद्देश होता है। जिससे की आगे के कक्षा में स्थान मिले। अच्छा अंक मिले। इसके लिए विषय के पाठ को याद करना होता है। जब विषय के पाठ याद नहीं होता है। तब बारम्बार अपने पाठ को पढ़ा जाता है। अपने मन में विषय के पाठ को याद करने का प्रयाश किया जाता है। याद करने का प्रयास करना कल्पना ही है। जब कल्पना करते है। तब विषय के पाठ के शब्द मन में उभरने लगते है। क्योकि मन विषय के पाठ को कई बात पढ़ चूका होता है। तब कल्पना कर के याद को ताजा किया जाता है। ज्ञान एक बार में मिल जाता है। जब तक ज्ञान को तजा नहीं करेंगे। तब तक ज्ञान कोई कम का नही है। ज्ञान है। तो ज्ञान सक्रीय होना चाहिए। जब तक ज्ञान सक्रीय नहीं होगा। तब तक ज्ञान किस काम का होगा। ज्ञान को सक्रीय करने के लिए कल्पना करना ही होगा। इसलिए कल्पना ज्ञान से बेहतर है।        

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