कोई विश्वास तोड़े तो उसका भी धन्यवाद करना चाहिए, क्योकि वही हमें सिखाता है की विश्वास हमें बहुत सोच समझकर करना चाहिए.
विश्वास एक बहूत बड़ी चिज है. इसपर पूरी दुनिया कायम है.
आमतौर पर बगैर सोचे समझे जो मन को अच्छा लगा तो उस पर विश्वास कर लेते है. परिणाम जब बाद में कुछ और निकलता है तो ज्ञान होता है की हमने क्या कर बैठा. इससे अपना ज्ञान ही बढ़ता है साथ में समझ भी बढ़ता है.
समझदारी का एहसास होता है.
मन चलायेमान होता है. हर किसी चीज को अपने तरफ आकर्षित करता है. भले बाद में दिल टूट जाये तो पता चलता है की हृदय पर कितना बड़ा आघात लगा है. फिर भी मन विश्वास करने से हटता नहीं है ये ज्ञान ही है. इससे समझ बढ़ता है की क्या सही है? क्या गलत है? मन सही गलत नहीं समझता है. उसे जो अच्छा लगे उस तरफ आकर्शित हो ही जाता है. गलती करने से ही विवेक बुद्धि बढ़ता है और सही गलत का अनुमान लगता है. एक बार गलती हो जाने के बाद उस गलती का एहसास हो जाता है और बाद में वो गलती दोबारा नहीं होता है.
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