जो लोग आपका वक़्त देखकर इज्जत दे, वो आपके अपने कभी नहीं हो
सकते है. वक़्त देखकर तो मतलब पुरे किये जाते है, रिश्ते नहीं निभाए जा सकते है.
वक़्त हमेशा एक जैसा नहीं रहता है कभी ख़ुशी कभी गम.
ये जीवन का
ज्ञान है. समय के अनुसार लोग मिलते है और बिछरते भी है. कुछ मदद करते है तो कुछ
मज़बूरी का फायदा उठाते है. स्वार्थी लोग अक्सर भले इन्सान के बुरे वक़्त का फायदा
उठाकर उससे अपना उल्लू सीधा करने में लग जाते है. जितना हो सकता है उसका फायदा
उठाने के बाद चले जाते है. स्वार्थी इन्सान का काम ही यही है. ऐसे लोग अक्सर उन
लोगो को ढूंडते रहते है जिनसे कुछ न कुछ हमेशा मिलते रहे. खुद के फायदे के अलावा
उनका कोई व्यवहार नहीं होता है. सुख के पल में वो हमेशा साथ देते है. यहाँ तक की
गुलाम भी बनाने में उन्हें शर्म नहीं आती है. उनका कर्म सदा दुशारो से फायदा उठाना
ही होता है.
स्वार्थी लोग जब देखते है की अब उनका बुरा समय आ गया है.
ऐसे गायब हो जाते है जैसे गधे के सिर से सिंग जैसे उनसे कोई मतलब ही नहीं हो. उनके
येहशान और मदद के कोई महत्त्व नहीं रखते है.
कर्जदार तो समझना दूर की बात उन्हें सुक्रिया तक नहीं कहते है.
मददगार के कमजोरी का फायदा उठा कर उनको लुटते रहते है. ऐसे लोग कभी भी रिश्ता रखते
है, सिर्फ अपने फायदे के लिए.
रिश्ते के काविल वो लोग होते है जो सुख या दुःख में सदा साथ
दे.
सच्चे रिश्ते की पहचान तो तब होती है. जब कोई अपने दुःख में साथ दे. तभी
रिश्ता कारगर और सच्चा होता है. सच्चे लोग न केवल रिश्ता निभाते है बल्कि समय समय
पर एक दुसरे की खोज खबर भी लेते रहते है.
भले दूर देश में ही क्यों न हो पर जब मन में आये फ़ोन कर के हाल
चाल लेते रहते है. उहे वास्तविक रिश्ते की कदर होती है. रिश्ता कैसे निभाया जाता
है? हरेक पहलू उन्हें मालूम होता है. सुख हो या दुःख हो कभी साथ नहीं छोड़ते है.
बेटा एक समय अपने माँ से रिश्ता तोड़ सकता है.
ऐसे लोग देखे भी
गए है. पर ऐसी माँ सायद ही कोई होगी जो अपने बेटे से मतलब नहीं रखती हो. बेटा भले
माँ को भूल जाये पर माँ अपने बेटे को कभी नहीं भूलती है. सुख हो या दुःख माँ को
हमेशा अपने बेटे की फिक्र लगा रहता है, भले वो कही भी रहे.
जिस माँ का बेटा सुख या दुःख में अपने माँ की फिक्र रखता है.
उनके हर तकलीफ की खोज खबर रखता है. भले वो बहूत दूर ही क्यों न अपने माँ से रहता
हो. इससे उसके माँ को बहूत खुशी मिलती है. जिस घर में ऐसे रिश्ते है तो वो परिवार
सफल होता है और माँ बनना सफल कहलाता है. ये है सच्चे रिश्ते की पहचान.