Saturday, January 15, 2022

Umbrella is used not only in the rain but also in the summer season to avoid the hot scorching sun

Some means of protection in a seasonal environment

 

Umbrella is used not only in the rain but also in the summer season to avoid the hot scorching sun. When snow is falling when needed, taking out an umbrella gives relief from the snow, but if it is too late, the roof of the umbrella also has to be cleaned, otherwise it may break due to the weight of the snow.

 

Use a raincoat instead of an umbrella If there is a lot of wind in the rain, then to avoid it, in which two folds are attached. One layer is made of plastic and the other is made of strong nylon cloth. Rain coat gives relief from wind, water and snow. If you are in the icy area, then it is very important to have socks on your feet with gloves on your hands. Never walk in the snow wearing slippers. Due to this, the feet can also freeze due to cold, due to which there is a fear of hearing the feet.

धनतेरस के दिन चांदी या धातु के वस्तु ख़रीदना सौभाग्य करक और लाभ दायक होता है

धनतेरस का महत्त्व


दिपावली के दो दिन पूर्व आने वाला त्योहार धनतेरस होता है 

कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष के त्रयोदसी के दिन ये त्यौहार मनाया जाता है. इस दिन धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है और इनके लिए दीपक मंदिर में स्थापित किया जाता है.


यमराज के लिए  दीपक जलाया जाता है 

मृतु के देवता यमराज के लिए भी दीपक जलाया जाता है पर ये दीपक घर में सबके खाना खाने के बाद सोने से पहके घर के गृहिणी घर के बहार इस दीपक को जलाते है और सोने चले जाते है.


कुबेर के लिए  दीपक जलाया जाता है

मान्यता है की धनतेरस का दीपक घर के अन्दर कुबेर के लिए और घर के बहार यमराज के लिये दरवाजे पर जलाया जाता है.


धन्वन्तरी का अवतार और अमृत कलश  

इसी दिन धन्वन्तरी का अवतार हुआ था. जिस समय देवता और असुर दोनों मिलकर बिच समुद्र में मंथन कर रहे थे. जिस दिन धन्वन्तरी जो विष्णु के अंश अवतार मने जाते है. महान वैद्य के तौर पर स्वस्थ लाभ के लिए उनका अवतरण हुआ था. उस दिन भी कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष के त्रयोदसी के दिन ही थे.


अमृत कलश के साथ धनवंती अवतरित हुए 

शास्त्र में वर्णित कथा के अनुसार धन्वन्तरी का अवतार जो एक कलश ले कर प्रगट हुए थे स्वस्थ लाभ के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. अमृत कलश जिसमे अमरता का वरदान सिद्ध था. १३ १४ आखरी रत्न के तौर पर समुद्र मंथन के तेरहवे साल में अमृत कलश के साथ धनवंती अवतरित हुए थे.


समुद्र मंथन के लिए कुर्म अवतार कछुए के ऊपर मन्दराचल पर्वत को स्थापित किया गया 

मन्दराचल पर्वत को मथानी बनाकर समुद्र मंथन हुआ था. जिसको कुर्म अवतार कछुए के ऊपर मन्दराचल पर्वत को स्थापित किया गया था. समुद्र मंथन में शेषनाग वासुकी के जरिये मंथन किया गया था. कहा जाता है की समुद्र मंथन १३ साल चला था.

 

सौभाग्य और समृद्धि के लिए धनतेरस के दिन चांदी या धातु के वस्तु ख़रीदना सौभाग्य करक और लाभ दायक होता है.

अच्छी बारिस किसानो ने जब खेत की तयारी भी नहीं किये थे धान के बिज लगाने के तब मई महीने के अच्छी बारिस हो गई

जलवायु परिवर्तन सुख कम दुःख ज्यादा


किसानो के लिए कई साल से जलवायु परिवर्तन देखा जा रहा है 

जलवायु परिवर्तन खास कर बारिस का मौसम उतना फायदेमंद नही हो कर नुकसान ही दे रहा है. भारत में मुख तौर पर दो साल ये देखा जा रहा है की अच्छी बारिस के होने बाबजूद भी धन के फसल या तो बरबाद हो रहा है या फसल हो ही नहीं पाता है.

 

समय से पहले अच्छी बारिस

किसानो ने जब खेत की तयारी भी नहीं किये थे धान के बिज लगाने के तब मई महीने के अच्छी बारिस हो गई. जिससे भुरभुरी मिट्टी कठोर हो गए और जिसमे बारम्बार मशीन से खेत जोतवाने पड़े. समय से पहले होने वाले बारिस ने मिटटी को जमा दिया जिसे किसानो को मशीन चलवाकर खेत की जोताई करना पड़ा.

 

इस साल तो हद ही हो गया

बिहार में खास कर इस साल जिस समय धान के बोआई होते है. उस समय उतना अच्छा से पानी बरसने से धान के बिज ठीक से तयार नहीं हुए. धान के बिज बोने के साथ पानी बरसने से बहूत सरे बिज पीले पड़कर ख़राब हो गए. जिनको यूरिया के जरिये कुछ हद तक सुधर हुआ. पर अधिकांश धान के बिज ख़राब ही हो गए जो पूरी तरह से पानी में डूब गए थे. कुछ तयार भी हुए तो उसमे किसान को उस बिज को शक्त जमीं से ठीक से निकालाना पड़ा जिसमे कई धान के बिज ख़राब हो गए.

 

महँगी लागत उपज कम

जैसे तैसे आंशिक बिज से किसानो ने धान के खेती किये. अच्छी बारिस होने बाद ही धान के बिज को खेत में गहरे पानी में लगाया जाता है. धान के बिज के रोपाई के दौरान बारिस का पानी अच्छा मिला जिससे खेतो में धान के बिज लगाये गए.

 

अच्छी बारिस पड़ी मुसीबत, ऊपर से नदी के बाढ़

आंशिक धान के बीजो को खेत में लगाये जाने के बाद भी बारिस नहीं रुकी और उनमे से निचले इलाके के खेतो में पानी भर जाने से धान के बिज ही डूब गए. सिर्फ उथले जगह पर कुछ धान की खेती लग पाया. आने वाले बढ़ के पानी ने उन सभी को ही डुबो दिया. कुछ सौभाग्यशाली खेत थे जहा बढ़ के पानी नहीं जा पाया सो वो सब बच गए. उनमे लगातार बारिस के पानी से खेती भी अच्छी हुई.

 

अंत में जो बचा था वो भी गया

धान के फसल के पकने के बाद उसको कटा गया. जिनके फसल बचे थे उन किसान ने अपना फसल को काटा. धान के फसल को खेत में सूखने के लिए कुछ दिन तक छोड़ा जाता है. इस दौरान ३ दिन लगातार बारिस हो गई. जिससे सभी खेत के उपजे धान खेत में उग गए. रही सही पूरी फसल इस तरह से बर्बाद हो गए. कहा जाता है की जितने बिज उगाये गए थे उसमे से सिर्फ १५ या २० प्रतिशत की धान के फसल हुए और बाकि फसल बारिस और बढ़ से बर्बाद हो गए. 

महिलाये आज के समय में पुरुषो साथ कदम से कदम मिलाकर हर क्षेत्र में उन्नति कर रही है

लडकियों के लिए शिक्षा अत्यंत आवश्यक

 

माता पिता के लाडली बेटी जो आज के समय में पुरुषो साथ कदम से कदम मिलाकर हर क्षेत्र में उन्नति कर रही है. 

कोई ऐसा क्षेत्र बाकि नहीं है जहा स्त्रीयां पुरुषो से कम हो. कई क्षेत्र में तो स्त्रियां पुरुषो से आगे भी है खास कर स्कूल में पढ़ाने वाले टीचर बहुताया में स्त्रियां आगे चल रही है. भले प्राइवेट स्कूल हो या बच्चो के कोचिंग क्लासेज सब जगह अब स्त्रीयां विराजमान है.

 

आधुनिक समय में पुरुस के साथ स्त्री को भी बाहरी जानकारी होना अत्यंत आवशयक है. 

जिससे वो स्वयं की रक्षा कर सके और घर बैठे गृहिणी को भी चाहिए जी अपने जीवन में बाहरी संसार का पूरा ज्ञान हो. सरकार ने हर क्षेत्र में स्त्री को प्रोत्साहन के लिए मार्ग खोल रखे है. जिससे की स्त्री को हर प्रकार के जानकारी और स्वतंत्रता मिल सके.

 

आज के समय में स्त्री को भी स्वाभिमानी होना अत्यंत आवशयक है. 

रूढी परंपरा ने जैसे महिलाओ को घर में बंद कर रखा है. मनो जैसे महिलाये का काम सिर्फ घर में खाना बनाना और परिवार बढ़ाने की ही जिम्मेवारी हो. अब महिलाओ को खुद के पैर पर खड़ा होना होगा. रूढीवादी परंपरा के बंधन को तोड़ना होगा. तब जाकर दुनिया का बाहरी ज्ञान मिलेगा.

 

शहर हो या गाँव में अभी भी बहूत ऐसे परिवार है तो प्राचीन परम्परा को संजोकर महिलाये को ऊपर उठाने नहीं देते है. बहूत ऐसे भी परिवार है जो महिलाये को घर के बहार तक नहीं निकालने देते है. यहाँ तक की सैकरो ऐसे परिवार है जो खास कर ग्रामीण इलाके में बचपन में अपने बेटी को स्कूल तक नहीं भेजते है.

 

समय का दौर परिवर्तित हो रहा है. 

आज वैज्ञानिक युग चल रहा है. कुछ कर दिखाने का समय है. हर किसी के अन्दर कोई न कोई खासियत होता है. अपने खासियत को परिपक्व करने के इए संसार को अपने आँख से देखना बहूत जरूरी है. अपने प्रतिभा को उभारना बहूत जरूरी है. देश तरक्की की राह पर चल रहा है. संसार को ज्ञानवान व्यक्ति की तलाश है, जिससे आगे का समय अच्छा व्यतीत हो.

 

बेटियों के शिक्षा बचपन से ही जरूरी है. कई बरसो से देखा जा रहा है.

मध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा में बेटी अव्वल आ रही है. खुद के अच्छा नाम के साथ अपने माता को भी सम्मान के पात्र बना रही है. शिक्षा के उच्चतम स्तर को प्राप्त कर रही है. 

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