अहंकार मनुष्य के एकाग्रता सूझ बुझ समझदारी सरलता सहजता विनम्रता स्वभाव को ख़त्म कर सकता है
अहंकार क्या होता है? यह एक ऐसी प्रवृत्ति है जिसमे इंसान खुद को डुबो कर अपना सब कुछ ख़त्म करने के कगार पर आ जाता है इसका परिणाम जल्दी तो नहीं मिलता है. पर मिलता जरूर है. जब इसका परिणाम मिलता है. तब तक बहुत देर हो चुकी होती है फिर कोई रास्ता नहीं बचता है. इस अहंकार के वजह से पहले तो उनके अपना पराया उनसे छूट जाते है. क्योकि वो कभी किसी की क़द्र नहीं करता है. अपने घमंड में समाज में वो आपने को सबसे बड़ा समझता है तो वाहा से भी लोग उससे किनारा कर लेते है भले ताकत और हैसियत के वजह से कोई उनके सामने तो कुछ नहीं कहता है. पर उनसे किनारा जरूर कर लेता है. इसका परिणाम घर में भी नजर आता है. जैसा स्वभाव उनका होता है. वैसे ही घर के सभी लोगो का भी होता जाता है. तो उनसे भी लोग किनारा करने लग जाते है. ये हकीकत है. समाज में इस प्रकार के स्वभाव के लोगो को देखा गया है. हम किसी ब्यक्ति विशेष का जिक्र नहीं कर रहे हैं. अहंकारी स्वभाव का जिक्र कर रहे है।
ये अहंकारी स्वभाव का एक परिभाषा है.
जो जीवन के राह में देखते आया हूँ. ऐसे लोगों के बारे में सुनता हूँ. समझता हूँ. कि ऐसे लोगों का आखिर होगा क्या? सब कुछ तो है. उनके पास सिर्फ सरलता नहीं, सहजता नहीं, मिलनसार नहीं, एक दूसए के दुःख दर्द में साथ देने वाला नहीं जो सिर्फ अपने मतलब के लिए जीता है।
जीवन में सब कुछ करे, खूब तरक्की करे, नाम बहुत कमाए लोगो से खूब जुड़े जरूरतमंद की मदत करे. जिनके पास कुछ नहीं है. उनके लिए मददगार बने ऐसा करने से ये भावना ख़त्म हो जाएगा. जीवन की निखार सहजता और सरलता से आते है. इससे मन प्रसन्न होता है. उदारता बढ़ता है. उदारता से जीवन का आयाम में विकास होता है. जिससे आत्मिक उन्नति होता है।
वास्तव में मन का सीधा संपर्क तो आत्मा से होता है.
बाहरी उन्नति के साथ आत्मिक विकास में बहुत अंतर होता है. दोनों साथ साथ चलता है. अंतर्मन में घमंड जैसी कोई भवन घर कर ले तो जीवन में खलबली ला देता है. इससे मन की ख़ुशी समाप्त होने लगता है. वाहा पर सब कुछ होते हुए भी जीवन निराश लगने लगता है. इसलिए निराश जीवन को सही करने के लिए सरलता और अहजता की जरूरत होता है. ईस से मन और आत्मा दोनों प्रसन्न होता वही वास्तविक ख़ुशी और प्रसन्नता है।