कल्पना ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण है।
जीवन में चाहे जितनी भी ज्ञान प्राप्त कर ले। कई प्रकार के विशेषज्ञ भी बन जाये। अपने काम धंदा के लिए उच्च से उच्च अध्ययन कर ले। ये सभी ज्ञान हमें अपने काम धंदा के लिए सिर्फ सहारा ही देता होता है। ज्ञान के प्रमाण पत्र ज्ञान में सक्षमता के है।
वास्तविक जीवन ज्ञान
कल्पना
वास्तविक जीवन ज्ञान में वास्तविकता से तब
सामना होता है। जब इस
ज्ञान के माध्यम से कुछ करना होता है।तब उस
कार्य के लिए विशेष अनुभव की आवश्यकता होता है। जब तक पूरी तारीके से अपने काम धंदा पर ध्यान नहीं देंगे। चिंतन मनन नहीं करेंगे।
तब कुछ नहीं हो सकता है। चाहे जितना
ज्ञान क्यों न हो। ज्ञान सिर्फ उस कार्य
को पूरा करने का माध्यम है। जिससे काम करने
के लिए उपयुक्त साधन मिलते है। जब तक
स्वयं प्रयास नहीं करेंगे। कैसे कुछ
होगा। किसी कार्य
को करने के लिए जब काम को अपनी जिम्मेवारी में लेते है। तो उससे जुड़े बहुत से दुविधाएं रूकावट पड़ेशानी भी आते है। इसके लिए
एक एक विषय पर चिंतन मनन करना पड़ता है। उस कार्य
के गहराई में जाने के लिए मन में
कल्पना करना पडता है। कल्पना करने के
लिए एकाग्र होना जरूरी होता है। चुकी सक्रिय
काम में सकारात्मक कार्य का दबाव
होता है। इसमे एकाग्रता का पूरा सहारा मिल जाता है। मन में
चिंतन करने के लिए किताबी ज्ञान तो मस्तिष्क
में होता ही है। जब तक
उस कार्य के बारे में नहीं सोचेंगे। तब तक उससे जुड़े
ज्ञान मस्तिष में कैसे उभरेगा। इसलिए अपने कार्य को करने के लिए एक एक
विषय पर चिंतन मनन करना पड़ता है। मनम करने से मन कार्य के अनुकूल होता है। जिससे कल्पना में उस
कार्य को एकाग्र कर के कार्य से जुड़े उपयुक्त साधन के बारे में विचार करने से उस कार्य को पूरा करने में सक्रियता बढ़ जाता है। फिर मन
कार्य के अनुसार कार्य करता है। जिससे वो काम पूरा होता है। इसलिए कल्पना सोच समझ ज्ञान से महत्वपूर्ण है।