कल्पना सोच समझ के बारे कहा जाता है की कभी भी अच्छे शब्द ही बोलता चाहिए
कल्पना सोच समझ के बारे कहा जाता है की कभी भी अच्छे शब्द ही बोलता चाहिए। किसी से भी भले अनजान से ही क्यों नही। साफ़ सुथरा बात चित करना चाहिए। कब कौन अपने साथ मददगार हो जायेगा क्या पता। जीवन सदा एक जैसा नहीं होता है। उतार चढ़ाओ होता ही रहता है। यही अपना बोलना साफ सुथरा होगा तो कोई भी अपना साथ देगा। भले जान पहचान के हो या अनजान सभी को अच्छे शब्द पसंद है। हो सकता है। अपने बुरे समय वो कभी भी अपना साथ मददगार हो। एक बात और है की जब अपना बोली वचन ठीक ठाक होगा। सुख हो या दुःख अपने को एहसास नहीं होगा। चुकी अच्छे बोल वचन अपने को ज्ञान भी देता है।
जीवन के कल्पना में सब अपने स्वयं के सुधार के लिए सोचते है
जीवन के कल्पना में सब अपने स्वयं के सुधार के लिए सोचते है। कभी पिछली बात को याद करते है। तो कभी आने वाले भविष्य की कल्पना करते है। अक्सर ऐसा तब करते ही जब अपना मस्तिष्क विकशित होता है। सोच समझ का ज्ञान समझने लग जाते है। तो आगे का रास्ता निकालने के लिए भविष्य की कल्पना करते है। जिसका मुख्य उद्देश्य होता है। जीवन का विकास करना।
जीवन के कल्पना में अपने काम धंदे के बारे में सोचते है आर्थिक स्तिथि मजबूत हो
जीवन
के कल्पना में अपने काम धंदे
के बारे में सोचते है। जिससे आर्थिक स्तिथि मजबूत हो। घर परिवार खुशहाल ।जीवन के विकास में बहुत सारे ऐसे उद्योग धंदा है। जैसे विपणन और सामान के बिक्री से जुड़े उद्योग धंदा और ब्यापार सेवा।
इस व्यवसाय में मुख्या तौर पर महत्त्व होता है की ग्राहक को कैसे
आकर्षित करते है। खरीदारी के लिए
और सामान के बिक्री की मात्रा को बढ़ाते है। विपणन के व्यवसाय में अपना बात चित करने का तरीका ही अपने व्यवसाय को बढ़ाने में भूमिका निभाता है। जिससे सामान की बिक्री
का मात्रा बढ़ता है। आवश्यकता बात करने की कला होता है। जीवन में
बात विचार के कला और ज्ञान के लिए किसी के प्रेरणा का सहारा लिया जा सकता है। आत्मज्ञान पर पूर्ण विस्वाश करना होता है। स्वयं के मन में झांककर वो सभी प्रकार के गन्दगी को निकालना होता है। जो कल्पना के दौरान सोच समझ में रोड़ा
अटकने वाला विचार आता है। उसकी सफाई
कर के सकारात्मक विचार को बढ़ाया जाता है। मन को सरल और सहज रखने का प्रयास किया जाता
है। विपणन के व्यवसाय
में कभी भी खली समय को व्यर्थ नहीं गवाना चाहिये। खली समय
में भी कुछ न कुछ कार्य करते रहना चाहिए। जिससे मन मस्तिष्क सक्रिय रहता है। हमेशा मन में
एकाग्रता का ख्याल रहना चाहिये। जिससे मन का डर भय दूर होता है। बात विचार सरल सहज और आकर्षक होता है। ग्राहक आकर्षित होते है।