Showing posts with label कल्पना से परे. Show all posts
Showing posts with label कल्पना से परे. Show all posts

Tuesday, August 3, 2021

कल्पना से परे होने का अर्थ जीवन सकारात्मक कल्पना से भरा हुआ हो सोच समझ कभी भी कल्पना से परे नहीं होना चाहिये जीवन में सोच और कल्पना संतुलित हो तो बहुत अच्छा है

आपकी कल्पना से परे


कल्पना से परे होने का अर्थ

जीवन सकारात्मक कल्पना से भरा हुआ होना ही चाहिये। सोच समझ कभी भी कल्पना से परे नहीं होना चाहिये। जीवन में सोच और कल्पना संतुलित हो तो बहुत अच्छा है। इससे जीवन में संतुलन बना हुआ रहता है। अपनी कल्पना से परे होने का मतलब जीवन अपनी जगह है। और कल्पना सातवे स्थान पर विचरण कर रहा होता है। मन का बहुत ज्यादा चलना भी अपनी कल्पना से परे होता है। अपनी कल्पना से परे सोचने से मन बेलगाम घोडा हो जाता है। जीवन में जो कुछ चल रहा होता है।  वास्तविक जीवन के संसार में वो मंद पड़ जाता है। जहाँ मन को अपने वास्तविक संसार में होना चाहिये। जो सक्रीय चल रहा होता है। तब मन अपने ही कल्पना के संसार में विचरण कर रहा होता है। इससे वास्तविक जीवन का संसार बिगड़ने लगता है। जो कल्पना में चल रहा होता है। कोई बाहरी सक्रियता नहीं होने के वजह से मन बेलाग हो जाता है। सक्रीय कार्य सुस्त पड़ जाता है। बात वही हुई जरूरत से ज्यादा खाना खाने से शरीर और मन दोनों में थकान लगता है। कोई काम करने के काविल नहीं होता है। तबियत ख़राब जैसा लगने लगता है। जो काम कर रहे होते है।  उसे भी तबियत ठीक होने तक छोड़ना पड़ता है। आमतौर पर जायदा खाना खाने से जो तबियत बिगड़ता है। जल्दी ठीक हो जाता है। पर मन के ख़राब होने पर जीवन पर प्रभाव पड़ता है। आपकी कल्पना से परे होने पर मन वास्तव में ख़राब होता जाता है।  मन के ख़राब होना से किसी कार्य में मन नहीं लगना है।  मन में उदाशी होना, एकाग्रता भंग होना, बिना कारन के गुस्सा आना, किसी से बात नहीं करना, हमेशा तनाव में रहना, लोगो का बात अच्छा नहीं लगना। मन के ख़राब होने से इनमे से कोई भी प्रभाव या कई प्रभाव जीवन पर हमेशा के लिए पड़ है। हर शारीरक विमारी का इलाज डॉक्टर के पास है। पर मन के विमारी का इलाज किसी भी डॉक्टर के पास नहीं है। इसलिए आपकी कल्पना से परे कभी नहीं जाना चाहिये।


कल्पना का अर्थ

आपकी कल्पना से परे होने अच्छा है। आपकी कल्पना से परे जीवन में सोच, समझ, बुध्दी, विवेक में संतुलन होना बहूत जरूरी है। जीवन वाही अच्छा है। जिसमे सब जरूरी क्रिया कलाप को ही लोग महत्त्व दे। जरूरत से जायदा सोचना या कुछ करना यदि जीवन के विकास में कोई करी जोर रहा है तो वो सकारात्मक है। बिना मतलब के कार्य या किसी से मिलना जुलना बिलकुल भी ठीक नहीं है। आपकी कल्पना से परे काम करने से या किसी से बात करने से व्यवस्था और मर्यादा दोनों बिगड़ता है। मन को गहरा ठेस पहुचता है। इसलिए जीवन में संतुलन बनाये रखे खुश रहे।  


मन के सोच भावानये के साथ 

व्यक्ति हर पल अपने मन में कुछ न कुछ सोच रहा होता है. पुराणी यादें को याद कर के कभी खुश होता है तो कभी दुखी होता है. वर्त्तमान में अपने उन्नति और जीवन में आगे बढ़ने के लिए सोचता है. भविष्य की चिंता में कुछ बचाने के लिए सोचता है. कभी सोचता है की कल हम क्या थे और हम क्या है? ये भी सोचता है की आने वाले समय में हम कैसे होने. व्यक्ति चाहे कुछ भी करे पर मिले हुए एकाकी समय में सोचना लगातार चलते रहता है.

 

व्यक्ति के मन के सोच कभी कभी सातवे आसमान पर भी चला जाता है.

मन की कलपनाये के साथ रहने वाला व्यक्ति का सोच कभी कभी सोच से पड़े होकर अपने मार्ग से भी अलग हो कर सोचता है. ये भी मन के कल्पना की कला है. दुखी और निराश इन्शान जब अपने जीवन में सफल नहीं हो पता है तो वो उस उर सोचने लग जाता है जो कभी जीवन में हो ही नहीं सकता है. वास्तविकता तो ये है की ऐसे सोच से उसको थोड़े समय के लिए अपने दुखी मन के भाव से अलग हो तो जाता है कल्पना के पृष्ठभूमि पर गलत और कल्पना से परे सोच भले उसे कुछ समय के लिए दिलशा दिला दे पर वास्तविक जीवन वो सोच सबसे बुरे पहलू को भविष्य में जन्म देता है. परिणाम स्वरुप वो जो सोचता है कभी करने का प्रयाश नहीं करता है जिससे खुशीके बिच में निराशा अपना जगह बनाने लग जाता है. जो अपने जीवन के पृष्ठभूमि पर कर रहा होता है उसमे सफलता से दूर होता जाता है. आने वाले समय समय में जब अपने जीवन के पृष्ठभूमि पर जब निराश होता है तो वही गलत और कल्पना से परे सोच उसके लिए दुःखदाई बन जाता है.

 

अनैतिक सोच, गलत और कल्पना से परे सोच की पृष्ठभूमि गुप्त होता है

व्यक्ति कभी दुसरे को बता नहीं पता है. ऐसे ब्यक्ति गुप्त रूप से गलत राह पकड़ कर अपने जीवन को बर्बाद भी कर लेता है इसका परिणाम उसके घर वाले पत्नी और बच्चे को ज्यादा भुगतना पड़ता है. अक्सर लोग गलत कार्य के लिए गुप्त मार्ग क प्रयोग करते है जिससे जानकर और समझदार लोगो को इसकी कभी भनक नहीं लगता है की व्यक्ति क्या कर रहा है? गलत कार्य के वजह से वो लोगो से दुरी रखने लग जाता है और समाज से भी भिन्न रहने लग जाता है जिससे समाज के लोगो के बिच उसके पहचान मिटने लग जाते और अनजान बनकर रहने लग जाता है. कहने का मतलब की कल्पना से परे सोच कभी पूर्णता की और नहीं जाता है. इस मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति अपने पहचान को छुपाने से सब जगह बचता रहता है. जिससे कारन इनके कार्य और मार्ग सिमित होते है. पर जिस दिन इनके कार्य का बखान उजागर होता है तो परिणाम समाज और शासन से भी इन्हें ही भुगतना होता है.

 

कल्पना से परे सोच जरूरी नहीं की गलत हो.

कल्पना से परे व्यक्ति कभी उस मार्ग पर चलने का प्रयाश नहीं करना है जो एक दिन निराशा का कारन ही बनता है जो सिर्फ मन को ही दुखी करता है साथ में सफलता का तो कोई अर्थ ही नहीं है जहा प्रयाश ही नहीं हुआ तो वहा सफलता कहा हो सकता है. कहने का मतलब की कल्पना से परे वो चीजे है जिसको व्यक्ति कही प्राप्त करने का प्रयाश ही नहीं करता है. कल्पना में रहकर मन को झूठी ख़ुशी देखर प्रसन्न तो हो जाता है पर उसका कोई पृष्ठभूमि नहीं बन पाता है. जिसका परिणाम सक्रीय जीवन पर भी पड़ता है वहा सफलता कम हो जाते है. सोचता कुछ और है करता कुछ और है तो परिणाम भी तो भिन्न ही निकालेंगे. ऐसे में तो वास्तविक जीवन में निराशा आना तय ही है.   


Post

Warm suit for ladies lightly pat the jacket with your hands and then hang it as it is designed bottom of the eiderdown garment adopts the unique crumple

   Warm suit for ladies is made of  100%  polyester fabric  Warm suit for ladies lining fabric of  zipper closure shell for body and sleeve ...