Showing posts with label जीवन के उत्थान. Show all posts
Showing posts with label जीवन के उत्थान. Show all posts

Thursday, August 19, 2021

कल्पनाशील एक सकारात्मक या नकारात्मक गुण है? कल्पना सकारात्मक गुण है या नकारात्मक सोच समझकर अनुमान लगा सकते है

कल्पना

कल्पना जीवन के उत्थान और मुलभुत आवश्यकता को पूरा करने और जीवन में अपने इच्छा स्थापित करने के लिए अतिआवश्यक है। शौक, इच्छा को सोच समझ में सामिल कर के मन को एकाग्र कर के कल्पना किया जाता है। कल्पना के जरिये अंतर मन में शौक, इच्छा को जीवन में स्थापित करना कल्पना है। किसी कार्य ब्यवस्था के पूर्वानुमान का कल्पना कर सकते है। एक ब्यवस्था जिसमे कार्य का अनुमान कल्पना में कर सकते है। जीवन का अवलोकन कलना में कर सकते है। जीवन के सपने को कल्पना में देख सकते है। मन के इच्छा का कल्पना में विचार कर सकते है। वह हरेक विषय वस्तु जो भविष्य में चाहिए उसके लिए कल्पना कर सकते है। जीवन के विकास के बारे में कल्पना कर सकते है। कार्य व्यवस्था के उन्नति का कल्पना कर सकते है।  

 

क्या कल्पनाशील एक सकारात्मक या नकारात्मक गुण है? कल्पना सकारात्मक गुण है या नकारात्मक सोच समझकर अनुमान लगा सकते है। वह हरेक विषय वस्तु जो जीवन के लिए उपयोगी होने के साथ जरूरी है। सकारात्मक कल्पना कर सकते है। समाज में कर्म के उद्देश्य से निस्वार्थ भाव से कुछ करने की कल्पना कर रहे है तो सकारात्मक कल्पना है। जीवन के आध्यात्मिक विकाश के लिए सकारात्मक कल्पना ही करना चाहिए। दुखी गरीब के लिए कुछ करने की कल्पना सकारात्मक कल्पना है। जीवन में संतुलन बनाये रखने के लिए घटित कल्पना सकारात्मक कल्पना है। सिधान्त्वादी ब्यक्ति सकारात्मक कल्पना करने पर महत्त्व देते है। अनैतिक कल्पना नकारात्मक ही होते है। स्वयं के स्वार्थ के लिए किया जाने वाला कल्पना नकारात्मक है। इस कारण से समय और पात्र के अनुसार कल्पनाशील एक सकारात्मक या नकारात्मक गुण दोनों होते है।

 

कल्पना के उपकरण उदाहरण

कल्पना अंतर मन में घटिक होने वाली घटना है। कल्पना के घटित होने के लिए एकाग्रता मन और बुध्दि का ही इस्तेमाल है। इसे ही कल्पना के उपकरण का उदाहरण दे सकते है। वास्तविक उदाहरण के तौर पर कोई सुरीली संगीत सुन सकते है। एकाग्रता के लिए जो कल्पना में सहायक है। लेकिन कल्पना के दौरान संगीत संगीत भी कल्पना में रुकावट उत्पन्न कर सकता है। एकाग्रता ही मुख्य जरिया है। कल्पना को घटित होने के लिए मन और बुध्दि सहायक है।     

 

कल्पना का आधुनिक तरीका क्या है?

समय और पात्र के अनुसार कल्पना घटित होता है। जैसा बाहरी मन बुद्धि का भाव होगा। कल्पना वैसा ही घटित होगा। आधुनिक दौर में कल्पना भी आधुनिक विषय वस्तु के प्राप्ति के लिए घटित होगा। एकाग्रता का मतलब कोई एक जैसा भाव होता है। आधुनिक कल्पना के तरीका में भी एक जैसा एकाग्रता का भाव होना चाहिए। तभी कल्पना घटित होगा। सब कुछ सकारात्मक होगा।    

Post

जीवन जब धाराशाही होता है।

आज देखा मैने ऐसी चिताओं को जलते जिसमे 20 साल की खून पसीने की की कमाई समाई थी। देखा दहकते उन् जज्बतो को जिसमे मन मेहनत और कलाओं के संगम को धा...