जीवन और मन
(Life and mind)
जिंदगी जीवन और मन की सच्चाई है.
कल्पना मन का श्रोत है. मन कुछ और कहता है पर जीवन जिम्मेदारी का नाम है. संघर्स जीवन के लिए है. जब की मन ख्याली पुलाव खाते रहता है. जीवन दिन रात मेहनत करना चाहता है पर मन उसे ऐसा करने से रोक भी सकता है. जीवन सच्चाई और यथार्थ ही होता है पर मन आडम्बर भी कर सकता है.
जीवन के जरीय मन को मन को नियंत्रित किया जा सकता है.
मन के जरिये चल रहे जीवन में परिवर्तन करना आसन नहीं होता है. मन का संसार आज तक कोई नहीं समझ पाया है. जीवन को समझने का प्रयास करे तो मन जरूर समझ में आने लग जाता है.
जीवन का सच्चा मददगार बुद्धि विवेक ही होता है.
मन चाहे जितना सोचे पर कार्य तो जीवन में बुद्धि विवेक से ही करना चाहिए. समृद्धि के लिए मन को जीवन के अनुसार ही चलाना चाहिए. ज्यादा मन का बढ़ना समृद्धि के रास्ते में रोरा भी अटका सकता है. जीवन का सफल संघर्स तो मन पर नियंत्रण पाना ही होता है. जीवन के उत्थान के लिए मन पर नियंत्रण बहूत जरूरी है.
मन को उस ओर जरूर व्यस्त रखे जो जीवन यापन में कार्य कर रहे है.
मन लगाकर कार्य करना और अपने अस्तित्व को बनाये रखने में बुद्धि विवेक हर जगह साथ देता है. जीवन में कभी भी ऐसा कुछ नहीं करे की जिससे बुद्धि विवेक में कोई विकार आये. मन का भरोसा नहीं करना चाहिए, मन का तो आकर, विकार और निराकार भी होता है. पर जीवन के लिए बुद्धि विवेक एक आधार स्तम्भ होता है.
सफल जीवन के लिए बुद्धि विवेक का प्रभाव मन पर पड़ना चाहिए.
ऐसा कभी नही हो की मन का प्रभाव बुद्धि विवेक पर पड़े. मन स्वयं का अपना होता है पर जीवन के अंश बहूत लोगो से जुड़ा होता है जिससे जीवन चलता है. जीवन के उत्थान और सफलता के लिए बुद्धि विवेक को सक्रीय करना ही अच्छा है.