जीआरसी डिजाईन आज के आधुनिक समय में वाइट सीमेंट और सिलिक सैंड से बना पादर्थ है
जी आर सी डिजाईन जिसमे वाटर प्रूफिंग के लिए सोलुसन को मिश्रित कर के बनाया जाता है.
जी आर सी मे मजबूती के लिए फाइबर ग्लास के मैट का बहूत ज्यादा इस्तेमाल ही जी. आर. सी. डिजाईन को मजबूती और टिकाऊ बनता है. बेहद खुबसूरत फिनिशिंग के लिए सफ़ेद सीमेंट का इस्तेमाल किया जाता जो काले वाले सीमेंट से ज्यादा मजबूत और बारीक़ होता है. धलाई को मजबूत बनाने के लिए सिलिका सैंड उपयोगी होता होता है. घर के बहार और अन्दर के सजावटी वस्तु को बनाने के लिए मिट्टी और प्लास्टर से डिजाईन को बनाया जाता है. सांचे को बनाने के लिए फाइबर ग्लास का इस्तेमाल होता है. आमतौर पर तयार मॉल अफेद रंग अ निकालता है जिसे पालिश पेपर से सफाई और सफ़ेद सीमेंट के बने पुट्टी के भाराइ के बाद मनमोहक फिनिशिंग डिजाईन में आता है. किसी भी प्रकार के जी. आर. सी. डिजाईन के लिए संपक सबसे पहले डिज़ाइनर से करना चाहिए. आर्किटेक्ट स्वयं एक आर्टिस्ट होता है. जिसके समझ से डिजाईन डिजाईन के उभार को समझकर मॉडल को बनता है. सब तारीके से सुसज्जित डिजाईन ही बिल्डिंग और घर में लगता है. प्रोडक्शन करने वाले डिजाईन नहीं कर सकते है वे सिर्फ डिजाईन के मोल्ड को बाजार से खरीदकर उत्पादन कर सकते है और फिनिशिंग और फिटिंग करते है. आकर और डिजाईन को नए रूप और रंग देने की काबिलियत डिज़ाइनर के पास ही होता है. जो की कम से कम मिटटी के खुबसूरत डिजाईन को आकर और उभार के अनुसार रूप देकर डिजाईन को सुसज्जित कर सके.
जी आर सी के काम को पश्चिमी देश में प्रीकास्ट कहते है.
जी आर सी को कही कही पर जी. आर. सी. वर्क को जी. ऍफ़. आर. सी. वर्क भी कहते है. GRC और GFRC में ज्यादा अंतर नहीं होता है. इंडस्ट्रियल कार्य करने वाले इसे GFRC कहते है, जब की हाथ से काम करने वाले इसे GRC वर्क कहते है या GRC डिजाईन कहते है. डॉन एक ही है.इंडस्ट्रीज में बड़े बड़े आकर के सांचे में आधुनिक मशीन से ढलाई स्प्रे से किया जाता है जिसमे उच्च क्षमता के हवा के प्रेसर के साथ स्प्रे में GFRC मटेरियल को भर कर सांचे में धलाई किया जाता है.