कबीर दास जी इस दोहे के माध्यम से कहते हैं. कि अगर हमारे सामने गुरु और भगवान दोनों एक साथ खड़े है. तो आप किनके चरण स्पर्श करेंगे? गुरु ने अपने ज्ञान के माध्यम से ही हमें अध्यात्म और भगवान से मिलने का रास्ता बताया है. इसलिए गुरु की महिमा भगवान से भी ऊपर होता है. हमें गुरु के चरण स्पर्श करना चाहिए।
कबीर दास जी के ज्ञान के अनुसार जो ब्यक्ति हमें कोई रास्ता बताता है. ज्ञान देता है. वही ज्ञानी ब्यक्ति गुरु हमारे जीवन में महत्त्व महत्पूर्ण होता है.
ज्ञान से सब कुछ होता है. ज्ञान ही कर्म की जननी है. ज्ञान है तो उपार्जन जरूर होगा. ज्ञान है तो कर्म और सत्कर्म होगा. जब ज्ञान हमारे लिए इतना उपयोगी है. तो हम ज्ञान से ही ईश्वर की प्राप्ति कर सकते है. इसलिए ज्ञान देने वाले ज्ञानी ब्यक्ति गुरु ही हमारे लिए सबसे महत्पूर्ण है.
ज्ञान बचपन से अपने बच्चे को सिखाना चाहिए. ज्ञान सबसे पहले माता पिता से मिलना चाहिए.
ज्ञान भले जीवन में किसी से भी क्यों न मिले. ज्ञान हर किसी से सीखना चाहिए. ज्ञान ये मायने नहीं रखता है की ज्ञान देने वाला ब्यक्ति अच्छा है या बुरा है.
वास्तविक ज्ञान वही है जिसको अछे और बुरे की पहचान हो. ज्ञान बुराइयो से सामना करना सिखाता है. ज्ञान समझ का फेर है की कौन सा ज्ञान हम ग्रहण कर रहे है.
ज्ञान के माध्यम से खुद को सामझ जायेंगे तो गलती क्यों होगी. सकारात्मक ज्ञान के रास्ते पर चलेंगे तो और भी ज्ञानी महापुरुस मिलेंगे. हर ज्ञानि को गुरु बनाते हुए. जीवन को ज्ञान से भरते हुए. जो भी कर्म कार्य करेंगे सफलता निश्चित मिलेगी. इसलिए ज्ञानी ब्यक्ति गुरु ही हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है.