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Tuesday, August 24, 2021

जिंदगी (Life) जीवन के मुख्य गुण क्या हैं? जीवन के मुख्या गुण सरलता सहजता एकाग्रता संतुलित सोच समझ

जिंदगी (Life)

जीवन के मुख्य गुण क्या हैं?

जीवन के मुख्या गुण सरलता, सहजता, एकाग्रता, संतुलित सोच समझ, विवेक बुध्दी पूर्ण कार्य और कर्तब्य, सौम्यता, करुना, जरूरी कल्पना, शांति, बौद्धिक, चंचलता, अपने कार्य में गतिमान, गतिशीलता, निर्भीक, संतुलन, अमीरी, गरीबी, सुख, दुःख, अपनापन, कोमलता, सम्मानित, जानकर, ज्ञानी, निर्मलता, गंभीरता ऐसे बहूत से सकारात्मक गुण है।

जीवन के गुण में नकारात्मक गुण भी होते है कठोरता, निर्ममता, संकुचितपना, निर्दैता, निष्ठुरता, दरिद्रता, असहज, असंतुलित सोच समझ, विवेकहीनता, बुध्दिहीन, मतलावी, मन की कल्पनो में डूबना, कर्म हीनता।  

क्या पिछले जन्म (Past life) मृत्यु तिथि और वर्तमान जन्म जन्म तिथि के बीच कोई संबंध है?

अभी तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं है। जो की इस बात को प्रमाणित करे की क्या पिछले जन्म मृत्यु तिथि और वर्तमान जन्म तिथि के बीच कोई संबंध है। कई जगह देखा गया है। पुनर्जन्म कही भी ऐसा प्रमाण नहीं मिला है।

Saturday, July 31, 2021

दुःख क्यों होता है? दुःख क्या होता है? लोग सोचते बहुत है बुरा वक्त दुःख कुछ नहीं है सिर्फ ज्ञान का अभाव है

दुःख क्या होता है

दुःख  कुछ नहीं है। यदि ऐसा कुछ नही करे जो की भविष्य में  दुःख का सामना करना पड़े। तो दुःख क्यों होगा। लोग सोचते बहुत है। पर ऐसा कुछ कभी नही सोचे जो की आगे परेशानी का सामना करना पड़े। जब अच्छा समय होता है।  तो उस समय कुछ ऐसा भी कर देते है। जो नहीं करना होता है।  सोचते भी नहीं है की क्या कर रहे है  फिर भी कर बैठते है। जब उसका परिणाम गलत निकलता है।  सोच में पड़ जाते है की ऐसा किया ही क्यों था जो कभी नहीं करना था। जब वही बुरा वक्त लेकर आता है। तो अपनी गलती सुधरने का प्रयास करते है। तब सही जानकारी मिलता है। तो कोई गलती करे ही क्यों?


 दुःख का कारण क्या है? दुःख क्यों होता है?

वास्तविक ज्ञान की बात को समझे तो सब समझ में आता है मनुष्य जब तक कोई गलती नहीं करता है तब तक वास्तविक ज्ञान नहीं मिलता है उसे ही ज्ञान का अभाव कहा जाता है ज्ञान के कई आयाम होते है मनुष्य का तो पूरा जीवन ज्ञान के लिए ही है यहाँ तक की जब तक वास्तविक ज्ञान नहीं होता है तब तक मनुष्य कुछ उपार्जन भी तो नहीं कर पता है जीवन में ज्ञान हर जगह आवश्यक है किसी विषय वस्तु का दुःख मनुष्य को तब तक ही होता है जब तक वास्तविकता से सामना नहीं होता है अपने मार्ग पर चलते चलते मनुष्य संघर्स भी करता है मनुष्य मेहनत भी करता है मनुष्य विवेक बुध्दी का इस्तेमाल भी करता है मनुष्य सोचता भी है मनुष्य समझता भी है मनुष्य अपने आयाम के एक एक कर के परते खोलते हुए अपने जीवन पथ पर आगे बढ़ता जाता है धीरे धीरे अपने जीवन में ज्ञान के करी को जोड़ते हुए परिपक्वता के तरफ बढता है जैसे जैसे ज्ञान बढ़ता है वैसे वैसे अभाव सब दूर होता है दुःख दूर होता है गलतिया समाप्त होता है तब मनुष्य परिपक्व होता है ज्ञानवान होता है इसलिए दुःख कुछ नहीं है सिर्फ ज्ञान का अभाव है      

मन के ज्ञान से देखे तो बीती यादें में भवनाओ का असर होता है। मन की आदत वैसे ही बानी हुई रहती है। अच्छी चिजे निकल जाती है। क्योकि उसमे भावनाओ का असर होता है।

मन के ज्ञान में दिन प्रति दिन समय बीतते चला जा रहा है। 

मन के ज्ञान में देखे तो  बच्चे जन्म लेते है। बड़े होते है। अब हम सब बुढ़े होते जा रहे है। कई बार हम ये सोचते है की जिस तारीके से दिन बीतते जा रहा है। ऐसे गतिशील समय में ऐसा लगता है। कुछ सोचे तो कुछ और होता है। जो सोचते है वो फलित नहीं होता है। ऐसा लग रहा है जैसे सरे सोच व्यर्थ होते जा रहे है। उस सोच को पूरा होते देख कर हम अक्सर दुखी ही रहते है। आखिर ये सब का कारण क्या है। जो सोचते है। वो होता नहीं है। होता वो है। जिसके बारे में सोचते नहीं है। ऊपर से इन सभी के कारण दुःख का भाव। तो इसका रास्ता क्या निकलेगा। 

मन के ज्ञान में अपने मन से मजबूर होने पर भाई इसका कोई रास्ता नहीं निकलेगा। और नहीं निकलने वाला है। जो समय पीछे छूट गया है। उसे पूरी तरह से छोड़ दे। तो ही जीवन में फिर से ख़ुशी आयेगी। जो समय हमे आगे मिला हुआ है। कम से कम उसका सदुपयोग करे। और पुरानी  बाते को मन से निकला दे। तो ख़ुशी ऐसे ही हमें मिलाने लगेगी। हमें पता है। की ख़ुशी मिलने से ही हमें ताकत भी मिलती है। ख़ुशी से हमें ऊर्जा मिलता है। तो क्यों हम ख़ुशी के तरफ ही भागे। और पुरानी बाते को पीछे छोड़ते हुए आगे बढ़ते जाय। जो बित गया उससे कुछ मिलाने वाला नहीं है। पिछली बात के बारे में जितना सोचेंगे दुःख के अलावा कुछ नहीं मिलाने वाला है 

मन के ज्ञान में बीती यादें में भवनाओ का असर होता है। मन की आदत वैसे ही बानी हुई रहती है। अच्छी चिजे निकल जाती है। क्योकि उसमे भावनाओ का असर होता  है। अच्छी चीजे वो है। जिसमे कोई भाव नहीं होता है। सिर्फ ख़ुशी का एहशास होता है। वो रुकता नहीं है। आगे जा कर दुसरो को ख़ुशी देता है। वो सब के लिए है। भावनाये तो वास्तव में उसका होता है। जो हमारे मन में पड़ा हुआ है। तीखी कील की तरह चुभता रहता है। तो ऐसे भाव को रख कर क्या मतलब होगा जो दुःख ही देने वाला है। 

मन के ज्ञान में निरर्थक भाव भावाना से बच कर ही रहे। तो सबसे अच्छ है। जो बित गया उसे भूल जाए। आगे का जीवन ख़ुशी से गुजारे। नए जीवन की प्रकाश ओर बढे। उसमे हमें क्या मिल पा रहा है। उस ओर कदम बढ़ाये। नए रस्ते चले। जहा पिछली कोई यादो का पिटारा ही हो। जहा पिछला कोई भाव भावना नहीं होना चहिये

मन के ज्ञान में समय दिन प्रति दिन भागते जा रहा है। हर पल को ख़ुशी समझ कर बढ़ते रहे। अच्छी चीजे को ग्रहण करे। जिसमे कोई पड़ेशानी कोई दुःख या कोई ब्यवधान हो। तो उसको पार करते हुए। अपनी मंजिल तक पहुंचे। दुविधाओ को मन से हटा के चले। जीवन में बहुत कुछ आते है। बहुत कुछ जाते है। उनसे ज्ञान लेकर आगे बढ़ते रहे।  खुशी से रहे, प्रसन्नचित रहे, आनंदित रहे।  

मन के ज्ञान में दुविधाए कुछ नहीं होता है। मन का भ्रम होता है।  सही सूझ बुझ से अपने कार्य को विवेक बुद्धि से करे तो हर रूकावट दूर होता रहता है। सय्यम  रखे। किसी भी प्रकार के विवाद को मन पर हावी ही होने दे। मन में सय्यम रखते हुए बुद्धि का उपयोग करे।  हर  कार्यो में सफलता अवस्य मिलेगा। 

मन के ज्ञान में विवेक बुद्धि दिमाग के सकारात्मक पहलू होने चाहिए मन जब सकारात्मक होता है। तो शांत होता है। एकाग्र होता है। एकाग्र मन में सकारात्मक विचार होते है। जिससे सकारात्मक तरंगे दिमाग में जाते है। दिमाग ऊर्जा का क्षेत्र होता है। जो सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ता है। विवेक बुद्धि इससे सकारात्मक होता है। यदि विवेक बुद्धि सकारात्मक नहीं हो तो उसे विक्छिप्त माना जाता है।विक्छिप्त प्राणी के मन में भटकन होता है। उसके मन के उड़न बहुत तेज ख्यालो में रहता है। जिसको कभी पूरा नहीं कर सकता है। निरंतर ख्याल, विचार, मस्तिष्क में होने पर सक्रियता समाप्त होने लगता है। जो की थिक नहीं है। सक्रिय सकारात्मक सोच विचार ही कार्य को पूरा करने में मदत करता है। जिससे मन शांत रहता है। जरूरी कार्य में मदत करता है। कार्य पूरा होता है।  


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