मनुष्य खूबसूरती के पीछे बहुत भागता है
सोच समझकर देखा जाये। आज के समय में मनुष्य खूबसूरती के पीछे बहुत भागता है। पहनावा अच्छा होना चाहिए। वेशभूषा बेहतरीन होना चाहिए। ऊपर से नीचे तक उच्च कोटि का दिखावा होना चाहिए। महिलाओं में तो पहनावे की खूबसूरती के बहुत ज्यादा चलन है। और होना भी चाहिए। खूबसूरती से व्यक्तित्व में निखार आता है। आज के समय में समाज जीवन में खूबसूरती का बहुत ज्यादा चलन भी है। पहनावे से लोग अपना दिखावा करते है। अपनी काबिलियत कितनी अहेमियत रखता है। पहनावे और वेशभूषा से व्यक्तित्व में निखार आता है। लोगो में पहचान अच्छा बनता है। लोग जुड़ते भी लगते है। नामची लोग तो दिखावे पर बहुत पैसा भी खर्च करते है।
पहनावे और खूबसूरती से लोगों का काम धंधा पनपता है
पहनावे और खूबसूरती के दौर में सोचे उन लोगों का काम धंधा पनपता है। जो पहनावे और खूबसूरती के व्यापार में शामिल होते है। उनके घर परिवार भी कही न कही उनके पहनावे और दिखावे पर ही चलते है। इसके लिए सहर में बड़े से बड़े दुकान खुलते है। दुकान के सजावटी में लाखो खर्च होते है। इससे उन कामगार और कारीगर का घर परिवार चलता है। जो ऐसे सजावटी के काम धंदे में जीवन यापन करते है। कई बार तो ये सोचता हूँ कि काश ये सब न होता तो और कितने लोगो को दिक्कत होती। समय के हिसाब से बेरोजगरी ऐसे भी है। इस माध्यम से लोगो का गुजर बसर तो हो रहा है। कही न कही देखा जाय तो सब एक दूसरे से जुड़े हुए है। एक दूसरे के रोजी रोजगार के माध्यम ही तो है।
संसार में खुश रहने का हक़ सबको है
मन कभी कभी सोचता है। लोग ये सब बाते क्यों नहीं समझते? लोग क्यों नहीं एक दूसरे से जुड़ कर सद्भाव से रहते है? इससे तो सबका विकाश ही होगा। नया निर्माण होगा। नए उद्योग धंधे पनपेंगे। लोगो का रोजी रोजगार का माध्यम भी तो खुलेगा। जो लोग बेरोजगार है। उनको कोई काम धंधा भी तो मिल जायेगा। उनको भी तो संसार में खुश रहने का हक़ है। संसार उनके लिए भी तो है।
लोगो को रोजी रोजगार में जरूर साथ दिए
दिमागी
बात यही कहना चाहूंगा। जैसे हम
बाहरी दिखावे के माध्यम से अपने आप को अच्छा बताने के होर में लोगो को रोजी रोजगार में जरूर साथ दिए है। इसके लिए
तहेदिल से धन्यवाद है। उन सभी
को जो कही न कही रोजगार के माध्यम में साथ दे रहे है। उन सभी को धन्यवाद है।
मनुष्य का मन साफ सुथरा सब को अच्छा ही लगेगा
दिमागी सोच की बात यही कहूंगा। जिस तरीके से हमसब साज सज्जा करते है। बाहरी दिखावा करते है। खुद को अच्छा दिखने के लिए। वैसे ही मन में पड़े जो कुछ भी गंदगी है। जो हम किसी को बता नहीं सकते है। हम स्वीकार करते है। हमारे अंदर भी कुछ न कुछ जरूर है। जिसको एक एक करके बहार निकल दिया जाये। तब हम सब एक दूसरे से जुड़ते जायेंगे। क्यों न इस तरफ भी थोड़ा प्रयास किया जाए। ये बात सबके लिए कह रहा हूँ। सिर्फ प्रयास कर रहा हूँ। सफलता में तो आपको साथ देना है। फिर न कोई दिक्कत, न पड़ेशानी, न बेरोजगारी होगा। फिर तो सब खुश ही रहने लगेंगे। क्योकि गन्दगी तब किसी के अंदर नहीं रहेगा। सब का मन साफ सुथरा हो जायेगा। फिर तो सब को अच्छा ही लगेगा न।