छात्रों की क्षमता को मापने के लिए ज्ञान और प्रदर्शन महत्वपूर्ण हैं
छात्रो के अध्ययन से निर्मित ज्ञान के क्षमता को प्रदर्शन के माध्यम से मापना महत्वपूर्ण है.
छात्र विद्यालय में पढ़ते है. समझ और ज्ञान से अध्ययन बढ़ता है. अध्ययन के परिणामस्वरूप विद्यार्थी में किस प्रकार का ज्ञान बढ़ रहा है? किस क्षमता का विकाश हो रहा है? विषय को याद रखने की क्षमता कितना है? पाठ्य पुस्तक के अन्धरुनी शब्द कहाँ तक याद रहता है? लेखन में साफ सफाई और सुन्दर लिखावट में कितना विकाश हो रहा है? इन सभी कारणों का अध्ययन करने के लिए और शिक्षा में विकाश करने के लिए स्कूल समय समय पर टेस्ट परीक्षा लेते रहते है. विद्यार्थी लम्बे समय तक पुस्तक के ज्ञान को कहाँ तक याद रखता है? इसके लिए वार्षिक और अर्धवार्षिक परीक्षा साल में ६ महीने पर होता है. इसमे उन्नति होने पर ही आगे के कक्षा में पारित किया जाता है जिससे विद्यार्थी के आगे के शिक्षा का विकाश कराया जाता है.
स्कूली शिक्षा न सिर्फ पाठ्य पुस्तक के ज्ञान को बढ़ता है जब की जीवन के विकाश में भी शिक्षा का ज्ञान काम में आता है.
शिक्षा हर तरह से जीवन के वास्तविक ज्ञान को विकशित करने के लिए ही होता है. विषय वस्तु के समझ और उसके गुणधर्म से वस्तु के प्रति ज्ञान जागरूक होता है. जीवन में विकाश में विषय वस्तु बहूत महत्पूर्ण है. शिक्षा में कमी है तो विषय और वस्तु के समझ में अंतर बहूत होता है. शिक्षा का आयाम ज्ञानी और विद्वान के जरिये बढाया जाता है. जिनको मनुष्य जीवन के बारे में सही और गलत क्या है? क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए? ये सभी ज्ञान और समझ पाठ्य पुस्तक में दर्ज किया जाता है, जिसे समय समय पर अध्याय के माध्यम से विद्यार्थी को समझाया जाता है.
समय समय पर होने वाले परीक्षा के माध्यम.
विद्यार्थी अपने प्रश्न पत्र का जवाब अपने उत्तर पुस्तक में कैसे प्रदर्शित करते है? विषय के ज्ञान से वो क्या समझे है? कैसे लिखते है? लिखाई में खुबशुरती कैसा है? शिक्षा के मापदंड को ध्यान में रखकर अध्यापक के द्वारा उचित और सही अंक देकर सभी विषय का तुलनात्मक अध्ययन से विद्यार्थी के क्षमता को विद्यार्थी के प्रदर्शन के माध्यम से परखा जाता है. विद्यार्थी के शिक्षा के ज्ञान का प्रदर्शन इसलिए अत्यंत महत्वपूर्ण है विद्यार्थी के ज्ञान और उसके परिणाम का भी अध्यन प्रदर्शन से होता है.