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Thursday, December 2, 2021

प्रेरणादायक वाक्य स्वयं के लिए प्रेरणादायक उदाहरण (Self motivational quote Self inspirational quote)

स्वयं के प्रेरणात्मक उद्धरण (Self motivational quotes)


स्वयं के प्रेरित विचार (Self inspirational quote)


गरम मिजाज़ पर काबू और सरलता का बढावा किसी भी प्रकार के विवाद को काबू में रखने के लिए कामयाबी हासिल करता है.

 

दूसरो को चक्कर में डालने वाले कभी ये मत भूले की वो स्वयं सात चक्र के चक्कर में फसे हुए है, जिसमे से वो कभी भी नहीं निकल सकते है यदि ऐसा करना जारी रखते है तो.

 

गुलाब से सुगंध आती है तो उसके तन में भी कांटे रहते है, जीवन को सुगन्धित बनाने के लिए काँटों से भरे रास्ते पर भी चलाना होता है, यही वास्तविक जीवन का सच्चा ज्ञान है.

 

किसी की चाह में अपने मन के खुशियों का बलिदान कुछ समय के लिए शांति दे सकता है, पर दिल सोचता है की ये शांति कब तक टिका रह सकता है.

 

जीवन में खुशहाल जिंदगी जीने के लिए लड़ना जरूरी है तो खुद के ख़ुशी के लिए जरूर लड़े, पर किसी दिन दुखी मजलूम के लिए दिल में दया की भावना जरूर रखे इससे परमात्मा प्रसन्न होते है.

 

किसी के मन को जितना है तो खुद को पुरे मन से चाहना सीखिए, जिस दिन खुद से प्यार करने लग जायेंगे तो किसी के भी मन को जित सकते है.

 

जीवन को भागम भाग बनाने से मन को ख़ुशी नहीं मिलाती है, वास्तविक ख़ुशी तो जीवन के इस्थिरता में समाहित है,

 

कोई भी तो कुछ भी नहीं अपने साथ लाया है, जाने के समय भी तो वो कुछ भी नहीं ले जा पायेगा.

 

जज्बात में रहने से व्यवहार नहीं बनता है, सोच समझकर व्यवहार करने से काम बनता है, किसी चीज की प्राप्ति के लिए बुद्धि विवेक से काम लिया जाता है.

 

तक़दीर को दोष देने से कोई फायदा नहीं है, इससे कोई काम नहीं बनता है, अपने कर्म को समझने से तक़दीर का दोष समझ में आता है.

 

उज्जवल भविष्य के लिए खुश और प्रसन्न रहना चाहिए, दुखी और निराश रहने से परमात्मा कभी साथ नहीं देते है इससे दुःख और बढ़ता है.

 

अपने हित के लिए दूसरो को आहात पहुचना कहाँ तक ठीक है, हम किसी को कुछ देते है तो हमें भी कुछ प्राप्त होता है, लेन देन प्रकृति की दें है इससे कोई बाख नहीं सकता है.


जीवन संघर्स से भरा हुआ है, सुख दुःख जीवन का साथी है, इससे चाहे जितना भागना चाहे, ये कभी भी अपना साथ नहीं छोड़ते है है.

 

मस्तिष्क पर सवार होने वाले सवाल से यदि व्यथित नहीं हो तो वही सवाल बिगाड़ने के बजाय बेकार हो जाते है.

 

जो जोश से भरकर बेहोशी में गलत कदम उठाता है, फिर उसके कदम कभी भी सही रास्ते पर नहीं जाते है.

 

किसी के दिल को दुखाने से पहले समझ ले की उसके दिल से निकले एक एक आह को बद्बुआ बनाने में बिलकुल भी समय नहीं लगता है.

 

दिल के जख्म को निदान देने के बदले यदि कुरेद दिया जाये तो इन्सान इसलिए शैतान बन जाता है.

 

घाव चाहे जैसा भी हो वो भर जाता है, यदि बारम्बार कुरेद रहे है तो उसको कभी भरने का मौका नहीं मिलाता है, फिर वो नासूर बन जाता है.

 

किसी के रास्ते को रोकने कोई फायदा नहीं मिलाता है, दुसरे रास्ते स्वतः ही खुल जाते है, पर रास्ते रोकने वालो के जीवन में हजारो रुकावट स्वतः ही उत्पन्न हो जाते है, जिसका उसे कभी पता नहीं चलता है.

 

जीवन के स्वास के आभा का रंग चमकदार होता है, चिंता फिक्र का प्रभाव उसका रास्ता रोककर उसे मलिनता में परिवर्तित कर देता है, इसके कारन से ही जीवन में अन्धकार फ़ैलाने लग जाता है.

 

जिसके साथी बनाने में कोई हर्ज नहीं है तो उसके दुश्मन बनाने से कोई फड़क नहीं पड़ता है, आत्मा को सबकुछ पता होता है, दुश्मनी करने वालो के जीवन में किसी भी सत्कर्म का परिणाम भी सकारात्मक नहीं निकलता है.

 

मन में लगी आग कभी भी जीवन में नहीं लगना चाहिए, मन इसी आग में जलकर एक दिन प्रखर होता है, पर जब मन की आग जीवन में लग जाती है, तो प्रखर होने के बदले पतन की ओर ले जाती है.

 

जीवन की खुबशुरती भावनाओ में खोजने के बदले अपने चरित्र में खोजने से मन मस्तिस्क में निखार आता है.


दुसरे के ह्रदय को सताने से खुद के पीड़ा का पता नहीं चलता है और जीवन का पतन भी समझ नहीं आता है.

 

एक न एक दिन सबको मरना है खुल कर जीना चाहिए.

 

सुख के तलाशा में खुद के जीवन को प्रताड़ित करने से आत्मा को कभी शांति नहीं मिलाती है.

 

सुख के खातिर सभ्यता छोड़ने से दुःख और भी बढ़ जाता है.

 

कितने भी कांटे जीवन हो पर पीड़ा सभी कांटे से नहीं होता है.

 

हमसे उलझकर के क्या फायदा उलझन को समझना है तो अहम् से उलझन देखे.

 

जीने की राह में पत्थर डालने वाले के जीवन में असंख्य पत्थर पहले से होते है, जिन्हें वो बटता रहता है.

 

कर्म के अनदेखी में न जाने कितने ऐसे कार्य हो जाते है जिसे कभी करना नहीं चाहिए.

 

चाहे जैसा भी समय हो पर सादगी जीवन से कभी जाना नहीं चाहिए.

 

झूठ के परदे से सच्चाई कभी भी उजागर हो सकता है.


असफलता ही सफलता के निशानी है, हार कर भी लोग जीतते है, प्रयास कभी कम नहीं होनो चाहिए.


संघर्स आखिरी दम तक करना होगा, भले जिंदगी में उतार आये या चढ़ाव, अपने दायित्वों से कभी मुह नहीं मोरना होता है.


जीवन में विकाश के लिए अथक परिश्रम और संघर्स करना पड़ता है.

 

शरीर को चुस्त दुरुस्त रखना है तो सुबह जल्दी उठे पर रात को देर से न सोये.

 

जीवन में कुछ बनाना चाहते है तो मानसिक इच्छा का त्याग करना सीखे.

 

मनोबल मजबूत है तो कठिन से कठिन कार्य कर सकते है.

 

मन को शांत करने से अच्छा है की स्वयं शांत होकर रहे मन को शांति मिलेगी.

 

जीवन में ऊपर उठाना है तो किसी से कुछ लेने की भावना से बेहतर है देना सीखे.

 

ह्रदय में प्रसन्नता चाहते है तो मन के कठोरता का त्याग कर दे.

 

भोजन वही करे जिससे शरीर चलता है जो शरीर को लगे.

 

असत्य के पीछे भागने से अच्छा अपने मन में झाक कर देखे.

 

कौन से हम कितने बेहतर है क्यों किसी को दिल से बुरा कहे.

 

कथनी से करनी अच्छा है न की करनी से कथनी.

 

बीती यादो में भटकने से अच्छा है की वर्तमान में जीना सीखे.

 

कल्पना वही करे जिसे पूरा करने में सहूलियत हो.

 

कल्पना को कभी भी कल्पना के परे नहीं होने दे.

 

सोच, समझ, बुद्धि, विवेक ये सभी गुण है.

 

अज्ञान के अँधेरे में रहने से अच्छा है की ज्ञान के प्रकाश में रहे.

 

सोच समझ कर किया गया कार्य कभी व्यर्थ नहीं जाता है.

 

अच्छा करे स्वयं के बारे में कभी बुरा नहीं सोचे.

 

दिन के कार्य को रात में कभी पूरा न करे रात को रात ही रहने दे.

 

जब रात गई और बात गई तो फिर पीछे मुड़कर क्यों देखना.

 

महत्वकांक्षी बनाने से अच्छा है सदाचारी बने.

 

ब्रहमचर्य और धर्म के रक्षा के लिए सत्यनिष्ठ और निडर बने.

 

जीवन हा तो संघर्स भी है स्वयं से फिर क्यों भागना.

 

डरने से अच्छा है अपने लक्ष्य को पार कर जाये.

 

रोटी कपडा मकान सबसे जरूरी चीज है.

 

पापी पेट के लिए चाहे कुछ भी करना पड़े, पर मन को कभी भी दुर्बल नहीं होने दे

 

मन से बड़ा जानुक और निष्ठुर दुनिया में कुछ भी नहीं है, मन के भाव के निष्ठुरता से बचने के लिए स्वयं के कठोरता को छोड़ दे.

 

जीवन में तन्हाई को स्वीकार करना सीखे, आने जाने वाले ख्यालो से मन को बचाकर रखे.

 

भरोसे पर पूरी दुनिया कविज है, पर क्या स्वयं से एक भी भरोसा कर सकते है.

 

विश्वास मन की जित है, स्वयं से विश्वास मनोबल है, दूसरो पर विश्वास इच्छाशक्ति है, जब अपने मन का भेद ही विवादास्पद हो तो भरोसा कहाँ से हो.

 

हम रहे या नहीं रहे, पर अहम् कभी नहीं रहना चाहिए.

 

जिसके अवगुण में भी गुण दिखे, तो उससे बड़ा भला और कौन हो सकता है.

 

एकाकी जीवन के नाम पर विषय वस्तु से ऊपर भी तो ख़ुशी और प्रसन्नता है, एक बार समझ कर देखे.

 

मौजूदा समय में मौनव्रत जीवन के सच्चाई से परिचय करता है, संघर्स के नाम पर हर समय विषय वस्तु में उलझे रहना कहाँ तक ठीक है.

 

जीवन है तो सच्चाई भी होनी चाहिए, जीवन में मृतु से बड़ा सच कुछ और नहीं हो सकता है, कर्म से बड़ा फलसफा क्या हो सकता है.

 

जीवन और मृतु के बिच का फासला सिर्फ सांसे ही है, अच्छे और बुरे कर्म का फासला संतुलन ही है, यही सत्य है.

 

कथनी से करनी बहूत अच्छा माना जाता है, पर जीवन में कभी भी कुछ ऐसा नहीं करे की वो करनी खुद पर ही भरी न हो जाये, फिर वो बोझ कभी हल्का नहीं होता है.

 

दिल दरिया और मन समुद्र होना तो ठीक है, पर उसमे कभी प्रदुषण नहीं होने दे.

 

सुनो तो अपने दिल की और करो तो अपने मन की, पर मनमर्जी कभी को गलत बात सोचा नहीं करे.

 

चार दिशा, चार पहर, चौतरफा संसार, चौथे पड़ाव में फसे मनुष्य, ये कैसी कुदरत का वरदान.

 

रिश्ते की दुहाई मत दो ए मालिक, एक दिन सबको इस जमीन में मिल जाना है, तब न जाती बचे न धर्म सिर्फ बचेगा सत्कर्म.

 

समय जवाह है की जो जैसा किया है, परिणाम वैसा ही मिला है.

 

संसार के आपाधापी में मनुष्य खुद को भूलने लग गया है, खुद के मन में झाकने के बदले दुसरे के मन में झाकने लग गया है.

 

जख्म को खुरेदकर नासूर बनाने से अच्छा है की उसे अपनी जगह पर रहने दे, कुछ दिन में वो अपने आप भार कर ख़त्म हो जायेगा.

 

जीवन की कर्म कमाई अपने बच्चे में झलकती है, जैसा खेल में बिज डालेंगे वैसा ही पैदावार होगा.

 

जीवन की संसार व्यवस्था सांसो से है अक्सर उझान और समस्या इसके रह रोक देते है.

 

सुभ मुहूर्त के पीछे भागने वाले कौन से मुहूर्त में आये है और कौन से मुहूर्त में चले जाते है, पता ही नहीं चलता है.

 

सच्ची चीज इसी संसार में है दिख रहा है पर समझ नहीं आ रहा है.

 

दिल बोला आँख से तुम देखना कम करो, आँख बोला दिल से तुम तुम ज्यादा सोचा नहीं करो.

 

जीवन का रास्ता कई दिशा से निकालता है, सकारात्मक पहलू और सत्कर्म के उद्देश्य है तो हर कोई मददगार है.

 

जो व्यर्थ मन में पड़े हुए है जिनका कोई उपयोग नहीं है, उसको बहार निकलकर मन और आत्मा को तृप्त करे.

 

सुबह सुबह ताजा स्वास के साथ नए विचार और नए धारणाये के साथ अच्छी सोच सदा उपलब्धि दिलाता है.

 

सच्चे मन की कल्पना अस्तित्व की पहचान करता है और यथार्थ से परिचय करता है.

 

दिलो में ज़ज्बात चाहे कुछ भी हो पर उसका प्रभाव मन पर नहीं पड़ना चाहिए.

 

कलपना में खुद को सँभालते हुए कल्पनातित कभी नहीं होना चाहिए.

 

कभी भी अपने सोच को अपने समझ तक ही रखना चाहिए.

 

विवादों में उलझने से अच्छा है की शांत रहकर समस्या को सुलझाये.

 

सोच समझ विवेक बुद्धि ये सब मन के गुण है जो दिमाग में सक्रीय रहते है.

 

जीवन में किसी से उपकार लेने की भावना से उठकर परोपकार की भावना रखना चाहिए.

 

मन की उड़ान असीमित है, स्वच्छता से सदाचारी बनाना चाहिए.

 

जीवन में जब तक मन में सहनशीलता नहीं, तब तक मन का विकार कभी दूर नहीं हो सकता है.

 

श्रधा शक्ति और विश्वास से आत्म बल बढ़ता है, ये सकारात्मक गुण है.

 

जिज्ञासा वही तक सही है जहा तक मन समझ सके, जरूरत से जायदा समझ मन को उलझन में दाल देता है.

 

मन के भटकन को मन में ही रहने दे, बुद्धि विवेक से काम ले.

 

जीवन सुख का सागर है, दुःख को कभी भी जीवन पर हावी नहीं होने दे.

 

दूसरो के मन में झाकने से अच्छा है, खुद के मन में झाके.

 

कठिनाई को समझने से अच्छा खुद को समझने का प्रयाश करे, कठिन से कठिन समस्य सुलझने लग जायेगा.

 

शांति का रास्ता तब पूर्ण होता है जब मन में किसी के प्रति कोई वैर न हो.

 

धतूरे और सोना को "कनक" की संज्ञा दी गई है, दोनों के मात्र मन में बढ़ने पर उथल पुथल महशुश होता है.

 

अन्धरुनी दुःख का कारन, उन्मूलन स्वप्नलोक की छविया में है.

 

जीवन है परमात्मा का वरदान, इसमे है स्मृतयो की छाया.

 

अपनों के दुःख से दुखी होना स्वाभाविक है, पराये तो सिर्फ सांत्वना ही देते है.

 

सुख दुःख में अपने ही साथ देते है, परये तो सिर्फ मददगार है.

 

अपने दिल के वेहद करीब होते है, पराये कभी अपने नहीं हो सकते है.

 

दुःख अपनों दे ज्यादा और परायो से कम होता है.

 

समय और हालात से बदलाव, सफल जीवन की निशानी है.

 

मन सुख दुःख के लिए हो सकता है, पर ज्ञान बुद्धि विवेक के लिए होता है.

 

अज्ञानता अंधकार है तो ज्ञान प्रकाश है.

 

विधता का नियम है एक आता है तो एक जाता है.

 

कर्म इन्सान को सच्चे रास्ते पर लेकर जाता है, सत्कम जीवन की उन्नति है और दुष्कर्म अवनिती है.

 

कौन क्या कहता है? इसकी परवाह न करे तो बेहतर है.

 

दुनिया को समजना है तो खुद को पहले समझे.

 

खामोश क्यों है लोगो की बात सुनकर? अपने समझ और विवेक से उसको जवाब जरूर देना चाहिए.

 

निराशा में जीना छोड़ दीजिये. आशा का दमन पकड़ना सीखिए.

 

भलाई वही तक करिए जहा तक तक मन साथ दे, अन्यथा बेमन से किया गया कोई मदद फलित नहीं होता है, चाहे देने वालो को या लेने वाले को.

 

 

मन के हरकतों से संज्ञान होकर खुद से बेपरवाह होना छोड़ दीजिये.

 

मन को मन ही में रहने दीजिये, जो चल रहा है चलने दीजिये. जो जरूरी हो उसे ही सक्रीय होकर कर नियंत्रित करिए.

 

मन को बुद्धि वेवक से मत खेलिए, हो सके तो समय को मन से देखिये और बुद्धि विवेक से काम लीजिये.

 

किसी को वेवजह मत उकसाइए की वो हरकत में आ जाये.

 

अपने जीवन को कभी भी कटी पतंग मत समझिये, जीवन का डोर बेहत कच्चे धागे से बना है, उसको सँभालने के लिए ज्ञान को परिपक्व करिए.

 

मन का धरनाओ में उसे ही जगह दीजिये जिससे कोई काम बन सके.

 

मन की हरेक बात सुनिए पर क्रियान्वित करने के लिए दिमाग, बुद्धि, विवेक का सहारा लीजिये.

 

बेवजह के झंझट में पड़ने से अच्छा है की सूझ बुझ से काम करिए.

 

मन को कभी नहीं रुलाइए, मन परमेश्वर का वरदान है.

 

भावनाओ को मन के साथ खेलने का प्रयाश नहीं करे, मन को आज तक किसी ने भी नहीं समझ पाया है.

 

अपने निर्णय को समझदारी से परखिये, बगैर सोचे समझे कोई निर्णय नहीं लीजिये.

 

भोजन उतना ही करिए जो शरीर को लगे, असंतुलित भोजन शरीर को श्मशान बना देता है.

 

कर्वी निम भले जवान को कड़वा लगता है, रोग और विषाणु को वही नस्त करता है.

 

स्वादिस्ट भोजन मन को अच्छा लगता है, पेट में जाकर रोग बढ़ाने का जरिया बनता है.

 

ज़माने के दस्तूर के आगे नतमस्तक इन्सान ही स्वयं को अधर में डालकर प्रखर होता है.

 

निज मन की व्यथा से परिचित व्यक्ति को की सहनशक्ति प्राप्त होती है.

 

छल कपट से ऊपर सोचने वाला व्यक्ति ही संसार में नया आयाम लाने की क्षमता रखता है.

 

मिथ्या को समझने वाला ही इन्सान सच्चा होता है, मिथ्या में पड़ने वाला ही दुसरे को भ्रमित करता है.

 

अलंकार से शोभा और मान बढ़ता है, जबकि कलंककार से प्रसिद्धि समाप्त होती है.

 

इज्जत और सम्मान में व्यय समय ही पुरखो के मान मर्यादा को बचाते है.


संघर्स करना सीखे कल्पना में ख़ुशी को खोजने से अच्छा है, उसको प्राप्त करने का प्रयास करे.

 

सोच और फिक्र में जीवन को सताने से अच्छा है, वही करे जो संभव हो, असंभव को प्रयास से संभव बनाना सीखे.

 

गमों से कभी भी समझौता नहीं करे, जिस बात का दुःख है उसके बदले कुछ अच्छा सोचे.

 

बुराई को कभी भी मन में बढ़ावा नहीं दे, बुराई से लड़ना सीखे. 


मन को पहाड़ न बनाये, अपने मन के आयाम को पर्वत बनाये.

 

जीवन में मन को एकाकार बनाये रखे, जो करे वही सोचे न की जो नहीं कर सकते है उसके बारे में सोचे.

 

बेख़ौफ़ ज़माने में रहना सीखे, मन के डर पर विजय प्राप्त करने का प्रयास करे.

 

हसी के हंगामे में शिरकत करे पर किसी के हसी और मजाक का कारन नहीं बने.

 

जीने के लिए दुनिया में बहूत कुछ है, अच्छी चीज़े ग्रहण करे, बुरे चीज को मन से निकाल फेके.

 

जिनके दिल में ख़ुशी और प्रसन्नता होता है परमात्मा वही विराजवान होते है.


माँ से बड़ा रक्षक और पिता से बड़ा ज्ञानदाता और भला कौन हो सकता है?

 

क्या माता पिता के सम्मन एके बिना इस्वर भक्ति संभव है, तो वो किस काम का?

 

जिसके रक्षक माता पिता के आशीर्वाद होते है, उसका भक्षण करने का सामर्थ्य किसी में नहीं होता है.

 

प्यार दुलार और ममता बचपन से बच्चे को मिले तो बच्चो में परवरिश के साथ ज्ञान और क्षमता ज्यादा बढ़ता है.

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