Showing posts with label बंददिया बाबा के कारनामे. Show all posts
Showing posts with label बंददिया बाबा के कारनामे. Show all posts

Wednesday, January 12, 2022

बंदरिया बाबा के कहे अनुसार कोई भी व्यक्ति मालिक के आज्ञा के बगैर कुछ नहीं कर सकता है मनुष्य जीवन ज्ञान प्राप्त करने के लिए है

रहस्य से भरा बंदरिया बाबा


पीलीभीत का रहने वाला बंदरिया बाबा 

दो साल पहले बहराइच जिला के मिहीपुरवा सुजौली थाना रामगाँव में मोटर साइकिल से आकर एक दिन पीपल पेड़ के उपार चढ़ कर बिल्कुली उची छोटी के फुनगी पर बैठ गये. इसको देखने के लिए लोगो की भीड़ जुटाने लग गई. जहा कोई पक्षी भी अपना घोसला नहीं बनाते है. प्रशासन के कारवाही के बाद उन्हें उतरना पड़ा और उनहे सुजौली थाना में बंद कर दिया.

 

बंदरिया बाबा इसके बाद 

इलाहबाद के खासाह मोहम्मदपु के विस्नुपुर्वा गाँव मेहसी में भी ऐसे ही पीपल के पेड़ पर चढ़ गये. पहले जैसा फिर पेड़ के उची छोटी पर रात भर रहे. वहा पूजा आरती हवन किये और पूरा रात पेड़ पर ही रहे. इसके निगरानी में प्रशासन पूरी रात वही रही की बाबा कही गिर नहीं जाये या कोई अप्रिय घटना न हो. ऐसा होने के बाद लोगो वहा भी बाबा को देखने जुटने लगे.

 

बंदरिया बाबा पुनः चार महीने के बाद 

फिर बहराइच जिला के मिहीपुरवा सुजौली थाना में रामगाँव में पहुचे और पुनः वैसे ही पेड़ पर चढ़ कर पूजा अर्चना किये. बात चर्चा तब आया जब बंदरिया बाबा दोबारा बहराइच पहुचे. खुद को पीलीभीत का रहने वाला बताने वाला बाबा खुद के बारे में कुछ नहीं बताये. सिर्फ बताये की वे हनुमान जी के भक्त है और उनकी मर्जी से वे पीपल के पेड़ पर चढ़े थे. बंदरिया बाबा के इस आश्चर्यजनक कारनामा से लोग उन्हें प्रेत बाबा, भूत बाबा, नट बाबा, बंदरिया बाबा इत्यादि बुलाने लगे.

 

बंदरिया बाबा के कहे अनुसार 

कोई भी व्यक्ति मालिक के आज्ञा के बगैर कुछ नहीं कर सकता है. मनुष्य जीवन ज्ञान प्राप्त करने के लिए है. उन्होंने यहाँ तक कहा की टट्टी में पालने वाला कीड़ा भी मेरे से आगे है. मै तो हनुमान जी का एक छोटा भक्त हूँ. उनके मर्जी से ही पेड़ पर रहता हूँ. उन्होंने ये भी बात कहा की समाधी के बगैर कोई भी मनुष्य ज्ञान हासिल नहीं कर सकता है. उसके बाद चाहे तो पेड़ तो क्या हवा में भी रुक सकता है. मालिक के मर्जी के बगैर एक पत्ता भी नहीं हिल सकता है.

 

बंददिया बाबा के कारनामे 

प्रशासन को भी उनके कारनामे पर पूरा विस्वास हो गया. श्रद्धा और विश्वास से बंदरिया बाबा को देखने के लिए लोगो की भीड़ उमड़ने लगे. बाबा से पूछा गया की बाबा आप चार महिना काहा थे तो उन्होंने बताया की बद्री नारयण हिमालय में था और यहाँ से चित्रकूट जाना है.

 

एक आम इन्सान के जैसा दिखने वाला बंदरिया बाबा

बंदरिया बाबा  के पास इतने अद्भुत शक्ति को देखने के लिए लोगो में चर्चा होने लग गया. मिहीपुरवा सुजौली के पास ही एक हनुमा मंदिर में रहने लगे और वही एक अशोक के पेड़ के निचे अपना स्थान बाबा बना लिया. रात को उसी पेड़ की छोटी पर रहने लगे पूरा रात पेड़ की छोटी पर ही रहते थे. कुछ दिन बाद वो वह से चले गए.

Post

   What can we do with valid knowledge?   General knowledge is there in everyone, general knowledge can also be acquired through a book. In ...