सुबह सुबह ताजा स्वास के साथ नए बिचार और नए धारणाओं के साथ अच्छी सोच सदा उपलब्धि दिलाता है
जो
ब्यर्थ मन में पड़े भाव है. जिनका कोई उपयोग नहीं है. उसको बहार निकाल कर मन को शांत
और आत्मा को तृप्त करता है.
नए दिन के शुरुआत के साथ नए तरो ताजगी के साथ जीवन में आनंद भर देता है.
मनो जैसे जीवन का आनंद
ज्ञान का सागर हो, बुनियादी तौर पर ताजे स्वाश के साथ नया ऊर्जा का प्रवाह जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भर देता
है. जिससे ब्यर्थ भावनाये और विचार निकल जाते है, दबी हुई भावनाये समाप्त हो कर नए तारो ताजगी से दिल दिमाग में सक्रियता भर देते है. जिससे
मन मस्तिष्क शांत हो कर सक्रिय होता है. मन ख़ुशी से प्रफुल्लित होता है. सकारात्मक
ऊर्जा सबसे पहले हमारे बुनियादी ज्ञान को बढ़ाता है जिससे जो कार्य जरूरी है सकारात्मक
ऊर्जा उसको बढ़ता है.
सकारात्मक क्रिया स्वास लेना बहूत जरूरी है.
सुबह
सुबह जल्दी उठकर ढीला ढला वस्त्र पहनकर खली पैर हरी हरी घास पर चलने और नाक के दोनो
भाग से एक साथ हौली हौली स्वास लेने से तन मन में तरोताजगी का प्रवाह होता है. ये प्रवाह
सकारात्मक होना चाहिए. उस समय किसी भी प्रकार के काम काज का या कोई तनाव नहीं होना
चाहिए. सुबह सुबह मन निश्चल होता है. इसलिए सुबह सुबह किसी भी प्रकार का तनाव नहीं
लेना चाहिए. खुशिया और प्रशन्नता के लिए तरोताजगी के लिए सुबह सुबह खली पैर हरी हरी
घास पर चलन चाहिए.