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Sunday, August 15, 2021

रचनात्मक कल्पना का पहला प्रभाव बात चित की कला मनुष्य को बहुत कुछ देता है।

रचनात्मक कल्पना


रचनात्मक कल्पना खुशहाल जीवन में रंग भर देता है 

जीवन में जो रंग रूप की कमी होते है। लोग कल्पना के माध्यम से उसको भरने का प्रयास करते है। रचनात्मक कल्पना के अनुसार जरूरत की विषय वस्तु को विशेष तौर पर खरीदते है। अपने जीवन को ख़ुशनुमा बनाते है। संतुलित रचनात्मक कल्पना मनुष्य के जीवन में ख़ुशी भर देता है। कल्पना हर कोई करता है। चाहे बच्चा हो या बूढ़ा सबसे पहले जीवन के रंग को कल्पना में ही ढालते है। तब उसके अनुरूप अपने जीवन में परिवर्तन करने का प्रयास करते है।


रचनात्मक कल्पना मनुष्य को अपने जीवन में बहुत कुछ सिखाता भी है 

रचनात्मक कल्पना का पहला प्रभाव बात विचार पर पड़ता है। बात चित की कला मनुष्य को बहुत कुछ देता है। आदर सम्मान, छोटे बड़े का भेद भाव हर कोई जनता है  पर जुबान के माध्यम से जो आदर, मान सम्मान, अपनापन जुबान के माध्यम से ज्ञान मिलता है। जो रचनात्मक कल्पना के बगैर नहीं हो सकता है। चाहे कोई भी कल्पना हो हर वक़्त कल्पना में शब्द ही उभरते है। इसलिए रचनात्मक कल्पना का सबसे पहला प्रभाव जुबान पर पड़ता है। बात बिचार सकारात्मक होता है। सकारात्मक बात विचार मन को बहुत ख़ुशी देता है। रचनात्मक कल्पना के एक एक शब्द जीवन के खुशहाली में कमी को उजागर करते है। रचनात्मक कल्पना को मनुष्य पूरा करने का प्रयास करता है।

Tuesday, August 3, 2021

कल्पना जीवन में इच्छा का विस्तार करना कल्पना है इच्छा संगठित मन में गहन सकारात्मक विचार संग्रह करना

कल्पना का अर्थ


सकारात्मक कल्पना 

कल्पना जीवन में अपने इच्छा को विस्तार करने के महत्त्व को कल्पना कहते है इच्छा को संगठित करके मन में गहन सकारात्मक विचार संग्रह करना मन के इच्छा को पूर्ण करने के दिशा में जाना इच्छा पूर्ण करना कल्पना का अर्थ कहते है कल्पना सिर्फ करना ही नहीं होता है रचनात्मक कल्पना को साकार करने के लिए परिश्रम भी करना पड़ता है सकारात्मक सोच से रचनात्मक कल्पना पूर्ण होता है मन के सकारात्मक इच्छा पूर्ण होता है कल्पना का मुख्य उद्देश्य सकारात्मक इच्छा को संगठित करके मन में इच्छा पूर्ण करने के लिए सकारात्मक दिशा में कार्य किया जाता है उठो मन अपने सकारात्मक इच्छा को पूर्ण करने की दिशा में आगे बढ़ो मन को सक्रीय किया जाता है सकारात्मक इच्छा को पूर्ण करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं करना पड़ता है चुकी सकारात्मक इच्छा के कल्पना संतुलित होते है जो समय, पात्र और योग्यता के अनुसार उचित होते है कल्पना का भाव सकारात्मक और संतुलित होने से मन में सकारात्मक इच्छा सक्रय हो जाते है कोई रूकावट या व्यवधान नहीं आता है कर्म का भाव सकारात्मक इच्छा को पूर्ण करने की दिशा में आगे बढ़ जाता है कल्पना में इच्छा सत्कर्म से ही ज़ुरा होना चाहिए वास्तविक मन का भाव सकारात्मक ही होता है मन में चलने वाले हर तरह के इच्छा पर भरोसा नहीं कर सकते है इच्छा पर बाहरी मन का छाप होता है इसलिए इच्छा सकारात्मक, नकात्मक या मिश्रित भी हो सकता है सक्रिय मन के लिए कल्पना का अर्थ मन में उठाने वाला इच्छा को मन के भाव से सक्रीय करना ही कल्पना होता है     

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