Showing posts with label वसा. Show all posts
Showing posts with label वसा. Show all posts

Wednesday, August 25, 2021

ज्ञान के स्रोत में सवाल गजब का तब होता है जब ज्ञान के विकास में वसा किस प्रकार योगदान देता है?

ज्ञान (Knowledge) के विकास में वसा किस प्रकार योगदान देता है?


ज्ञान से जुड़े सवाल गजब का तब होता है जब कुछ ऐसे सवाल उठ जाये की आखिर क्या जवाब दिया जाये। 

ज्ञान के विकाश में प्रश्न शानदार तो तब बनता है जब तक की सोच मस्तिस्क में प्रबल न हो। आखिर वसा ज्ञान के विकाश में किस प्रकार योगदान देता है। मै तो समझता हूँ की ज्ञान की जड़ ही वासा है। मन का भाव, विवेक बुध्दी, कल्पना, सोचना, समझना, सुख, दुःख. हसना, रोना, प्रगति, अवनति, ये सब क्या है? इस सबको किस भाषा से समझेंगे? तो सही उत्तर मिलता है। ज्ञान, सब ज्ञान ही है। महत्त्व, आभास, सम्बेदना, सुखद पल, जैसा जीवन में आगमन या पारगमन होता है। तो मनुष्य को उसका ज्ञान होता  है। ज्ञान को समझा जाये तो ज्ञान का कोई भी परिभाषा आज तक कोई पुरा नहीं कर सका है। ज्ञान अनन्त है। जिसका कोई अंत ही नही है। जिसको कोई नही आज तक समझ पाया। ज्ञान कहा से आया और कहा तक जायेगा। मै तो ज्ञान को एक घटना समझता हूँ। जो स्वत ही घटित होता है। जैसा प्रयास करेंगे वैसा ही फायदा या नुकसान होगा। निर्णय तो मन को लेना होता है। मन को क्या पसंद है। सब तो ज्ञान ही है। जैसा इच्छा होता है। ज्ञान का परिणाम भी वैसा ही होता है। 


ज्ञान (Knowledge) के विकास में वसा कैसे योगदान देता है? 

ज्ञान के अनुसार योग का मतलब जुड़ना होता है। जब कुछ जीवन में जुड़ता है। और कुछ जीवन से दूर जाता है। आना जाना चलता रहता है। और जो रुक जाता है। वो समझ ले की वो उसका अपना घर है। रास्ता कौन दिखाता है? मन, बुध्दी और कल्पना तीन महत्वपूर्ण विकल्प है। मन काल्पना को हवा देता है।, कल्पना का परिणाम बुध्दी पर पड़ता है। बुध्दी मन के अनुरूप होता जाता है। वैसे ही वसा एक तत्व है। मिट्टी तत्व उसका पहचान है। वासा का परिणाम चिकनाहट, मोटापा, चर्बीदार, मेद, उपजाऊ, स्थूल, मोटा ताजा जिसे जो समझ में आये। कोई रोक टोक नहीं है। मन के अनउपयुक्त उर्जा जो मन में पनपते है। जिसका कोई उपयोग नहीं किया जाता है। कल्पना में घटना को घटित होने दिया जाता है। जिनसे हमेशा वेपरवाह रहते है। सोच ऐसी होती है। सब सोचते जाते है। कार्य के नाम पर कुछ नहीं होता है। बस घटना को सोच सोच कर सुख या दुःख महशुस करना होता है। जिसका वास्तविक जीवन में कोई स्थान ही नही होता है, बल्कि उसका कोई उपयोग भी नहीं होता है। घटना मन में घटित होता रहता है। जब सोच से मन पर तबरतोर प्रभाव पड़ता है। जब सोच के प्रभाव से मन तुरंत सुख दुःख को महशुश कर लेता है। तो क्या अनउपयुक्त घटना का प्रभाव शरीर पर नहीं पड़ेगा। चिंता फिक्र में तो शरीर गलकर चिता हो जाता है। ये प्रत्यछ उदहारण है। बहूत लोग ऐसे घटना के ज्ञान को देखते और समझते भी है। अनउपयुक्त घटना का ज्ञान भी इन्ही में से है। जो मन में बस गया अपना घर बना लिया। मनोबल से बहूत लोग सुख दुःख के भाव को कम कर लेते है। किसी को अपने मन के अन्दर क्या चल रहा है। भनक भी नहीं लगने देते है। मन का भाव उस घटना को स्वीकार कर लेता है। तब मन में वेदना कम होता है। बाहर दूसरो को नजर नहीं आता है। ऐसे घटना के बारम्बार होने से वसा तत्व अनउपयुक्त घटना से बढ़ भी सकता है। ज्ञान के विकास में वसा अनउपयुक्त घटना से निर्मित उर्जा को अपने अन्दर ले भी सकता है। ज्ञान के दृष्टी से उर्जा का उपयोग होना चाहिए। उर्जा को एक आयाम से दुसरे आयाम में परिवर्तित किया जा सकता है। उर्जा को कभी भी नस्त नहीं किया जा सकता है। वो कही न कही अनपयुक्त उर्जा असर दिखायेगा ही।

Post

Warm suit for ladies lightly pat the jacket with your hands and then hang it as it is designed bottom of the eiderdown garment adopts the unique crumple

   Warm suit for ladies is made of  100%  polyester fabric  Warm suit for ladies lining fabric of  zipper closure shell for body and sleeve ...