सकारात्मक संकल्प शक्ति के बारे में कभी सोचा है
सकारात्मक संकल्प शक्ति खुद से जुड़ा हुआ है।
सकारात्मक संकल्प शक्ति अपने जीवन का हिस्सा है अपने बारे में क्या जानते
है? कभी हमने सोचा है की हम क्या है? हम कहा है? क्यों हम अपने पर इतना गर्व करते है? किस बात के लिए गर्व करते है? हम ये है! हम ऐसे है! हम ऐसा कर सकते है! हम
ये सब भी कर सकते है! यहाँ तक की हम कुछ भी चाहे वो सब कर सकते है! आखिर इतना गर्व
आखिर क्यों? ऐसा नहीं होना चाहिए। यदि हम ऐसा सोचते है। दुनिया बहुत बड़ी है। हम तो
दुनिया को इतना भी नहीं देखे है। इतना भी हमारे पास समय नहीं है। पूरी दुनिया देख सके
और समझ सके। याद रहे की हम उत्पन्न हुए है। एक न एक दिन हमें मिटना भी है। ये बात एक
बार मन में घर कर जाय तो हमारी इच्छा सुधर जाएगी। हम अभी जो कर रहे है। उससे और भी
अच्छा कर सकते है। हमारी इच्छा शक्ति सही होनी चाहिए। हम और भी तो क्या जो चाहे वो
अच्छा से अच्छा कर सकते है।
सकारात्मक संकल्प शक्ति में इच्छा शक्ति सकारात्मक होता है
सकारात्मक संकल्प शक्ति ज्ञान है हम अपने घमंड के मधमस्त हो कर बहुत सरे इच्छा को मन में पाल लेते है। जिससे भविष्य
में अनिच्छा ही नजर आता है। क्योकि इच्छा सब पुरे नहीं होते है। इच्छा पूरा होता है
जो कारगर हो। जिस इच्छा में कर्म की भावना हो। जो इच्छा सकारात्मक हो। जिस इच्छा में
किसी और के लिए कोई गलत भवन न हो। कोई इच्छा किसी और के मान मर्यादा को ठेस नही पंहुचा
रहा हो। ऐसा इच्छा सकारात्क इच्छा कहलाता है। जो जरूर पूरा होता है। निस्वार्थ सेवा
भाव से जो कार्य किया जाता है। जिसमे स्वयं के लिए कोई फायदा नहीं होता है। ऐसा कार्य
करने से मन प्रफुल्लित होता है। जिससे कार्य छमता और संकल्प शक्ति बढ़ता है। किसी भी
कार्य या सेवा को पूरा करने लिए के सकारात्मक संकल्प शक्ति का होना बहुत बड़ा योगदान
होता है। सकारात्मक संकल्प शक्ति से ही इच्छा शक्ति बढ़ता है।
सकारात्मक संकल्प शक्ति से अनैतिक इच्छा पूर्ण नहीं होता है
सकारात्मक संकल्प शक्ति के जरिये कभी भी अनैतिक इच्छा पूर्ण नहीं
होता है। अनैतिक इच्छा इंसान की गर्क की ओर ले जाता है। जो बिलकुल भी उचित नहीं है।
आमतौर पर लोगो के अनैतिक इच्छा पूर्ण नहीं होते है। जो ऐसे भावना रखते है। उनके बुद्धि
विवेक सकरात नहीं रहते है। उनके हर बात विचार में गुस्सा, तृष्णा, लालच, ठगी का भावना नजर आता है। कई बार लोग अपने
शक्ति के घमंड और आत्मविश्वास में ऐसे निर्णय ले लेते है। जिसमे ऐसी नकारात्मक भावनाए
होते है। जिससे मस्तिष्क में विकार आने का दर हो जाता है। जिससे बुद्धि विवेक विक्छिप्त
होने लगता है। गुस्सा मस्तिष्क में सवार रहता है। गुस्सा बहुत कुछ बिगड़ सकता है। स्मरण
शक्ति पर प्रभाव डालता है। जिससे सकारात्मक ज्ञान का हनन होता है। संकल्प शक्ति कमजोर
होकर समाप्त हो जाते है। ब्यक्ति निम्न से निम्नस्तर तक गिर जाता है। इसलिए ऐसे भावनाये
को मन पर हावी नहीं होने देना चाहिए।