Tuesday, August 17, 2021

समय चक्र मनुष्य को मनुष्य से जोड़कर सबको ज्ञान और व्यावहार के संग्रह में परिभाषित करता है ज्ञान का सागर और यही जीवन यापन भी है

समय चक्र बलवान होता है आज ख़ुशी  तो कल दुःख फिर से ख़ुशी और फिर दुःख ऐसा जीवन चक्र है 


समय चक्र कितना बलवान होता है। समय के चक्र के बारे में संज्ञान होना चाहिए 

समय चक्र में आज ख़ुशी है तो कल दुःख फिर से ख़ुशी और फिर दुःख ऐसा जीवन चक्र है इससे क्या होता है? यही जीवन का वास्तविक चक्र है। जिसे सभी को मानना पड़ता है। समय चक्र को समझना ही पड़ता है। बच्चा  जन्म लेता है। तब बाल्यावस्ता में होता है। फिर किशोरावस्ता में जाता है। आगे चलकर युवावस्था  आता है।  फिर उसके बाद अधवेशावस्ता में जाता है। फिर वृद्धावस्ता में जा कर अपने अंतिम चरण मृत्यु को प्राप्त करता है। यही तो जीवन चक्र है। इसी में मनुष्य अच्छा बुरा सुख दुःख सब भोगविलास करता है कभी अकेले तो कभी साथ में जीवन व्यतीत करता है बचपन में माता पता के साथ रहना उसके बाद  पत्नी के साथ रहकर एक लम्बा जीवन ब्यतीत करता है। फिर बाद में अपने अपने बल बच्चों के साथ और पोता पोती के साथ समय गुजारता है अंत में मृत्यु को प्राप्त कर के अपने उस घर को जाता है। जहाँ से ज्ञान पाने के लिए आया होता है। अब ये सवाल उठ रहा है की मनुष्य का जीवन है क्या? उसका क्या अस्तित्व है? बहुत बड़ा अस्तित्व है। समझा जाए तो वही जीवन चक्र एक से दूसरे को जोड़ता है। एक दूसरे से सब को जुडाहुआ है ताकि एक का ज्ञान दूसरे को मिले जो अनजान है। ज्ञान कही छुपा नहीं रहता है। तर्क वितर्क में ज्ञान उत्पन्न हो ही जाते है। वही मनुष्य को मनुष्य से जोड़कर सबको ज्ञान और व्यावहार के संग्रह में परिभाषित करता है। जीवन यापन होता है। ज्ञान प्राप्त कर के मनुष्य एक एक दिन अपने उसी स्थान पर पहुंचेंगे। जहा से यहाँ आये थे।  हम क्यों नहीं इस समय का सदउपयोग करे। एक दूसरे का साथ दे। उनका अच्छा ज्ञान हमें मिले। अपना अच्छा ज्ञान उनको मिले। इससे सबका समय अच्छा होने लगेगा ये ज्ञान का सागर और यही जीवन यापन भी है। बाकि सर्वोच्च ज्ञान में जन्म से मृत्यु और मृत्यु के बाद क्या बचता है। ज्ञान ही तो रह जाता है।

समय चक्र जीवन के कल्पना में आधार स्तंभ में ज्ञान हर पड़ाव पर आवश्यक है। 

समय चक्र मनुष्य के जीवन के कल्पना में सबसे बड़ा आधार स्तंभ ज्ञान ही होता है। ज्ञान का जीवन में हर पड़ाव पर आवश्यक होता है। बुद्धि विवेक के विकाश के साथ साथ जीवन में संतुलन और सहजता के लिए ज्ञान बहुत जरूरी है नहीं तो ज्ञान के अधूरेपन से जीवन में उथलपुथल भी सकता है। आमतौर पर बाल्यावस्ता से ही ज्ञान का विकाश शुरू कर देना चाहिए जिससे सोचने समझने की क्षमता बात विचार करने की क्षमता प्राप्त हो। आगे चलकर जीवन में आने वाली कठिनायों  को पार करने होते है जीवन के रूकावट को दूर करने के लिए भी इंसान को बुद्धि विवेक से बहुत मेहनत करना पड़ता है। जीवन के उतार चढ़ाओ में हर मोर पर हर रस्ते पर चाहे काम धंधा होसेवा भाव हो, दुनियादारी हो, समाज में उठना बैठना हो, घर परिवार में सब जगह बुद्धि  विवेक, सूझ बुझ की बहुत आवश्यकता होता है। इसलिए ज्ञान जीवन में बहूत आवश्यक है ज्ञान जीवन चक्र में संतुलन को बनाये रखता है  


समय चक्र को कभी भी अपने जीवन में कम नहीं आकना चाहिए।

माना की अपने जीवन में सब कुछ ठीक चल रहा है। तरक्की के दौर से भी गुजर रहे है पर इस समय के ज्ञान को बनाये रखने के लये अपने जीवन में उतना ही सक्रियता बरक़रार रखना होगा। हरेक विषय वस्तु के प्रति भी उतनी ही जागरूकता जरूरी है और उसमे कभी भी कमी नहीं आने दे। समय हमें बहूत कुछ देता है उसे संभलकर रखना चाहिए। जरूरत और उपयोगिता के अनुसार ही अपने अर्जित धन खर्च करना चाहिए। मन पर किसी का भी नियंत्रण नहीं है। मन कब किस ओर खीच लेगा कुछ कह नहीं सकते है। अपने पास सब कुछ है तो अपने मन पर भी नियंत्रण बहूत जरूरी है जिससे में सफलता फलता फूलता रहे। घमंड कभी भी नहीं करना चाहिए। दूसरो के निरादर से सदा बचना चाहिए। ये सभी ऐसे दुर्गुण है जो इन्सान से एक दिन सब कुछ छीन भी सकता है।  


Monday, August 16, 2021

सक्रिय कल्पना (Imagination) में सोच समझ विवेक बुद्धि स्वभाव मिलनसार और जागरूक ब्यक्ति अपने जीवन में ज्ञान के विकाश और ख्याति के लिए बहुत कुछ करते है

सक्रिय कल्पना


सक्रिय कल्पना का जीवन में बहुत बड़ा महत्व है

सक्रिय कल्पना का जीवन में बहुत बड़ा महत्व रखता है।  खास करके ऐसे ब्यक्ति के लिए जो सकारात्मक होते है।  जो ब्यक्ति कई क्षेत्र में अपने खास स्वभाव और ब्यक्तित्व के वजह से अपनी ख्याति प्राप्त किया है।  उनका सोच, समझ, विवेक, बुद्धि, स्वभाव मिलनसार और जागरूक होते है।  ऐसे ब्यक्ति अपने जीवन में ज्ञान के विकाश और ख्याति के लिए बहुत कुछ करते है।


सक्रीय कल्पना करने के लिए मन सक्रीय होकर एकाग्र भाव में रहना चाहिए

सक्रीय कल्पना करने के लिए मन को अच्छी तरह से सक्रीय होकर एकाग्र भाव में रहना चाहिए  मन, सोच, समझ, बुध्दी, विवेक सकारात्मक और संतुलित होना आवश्यक है।  जिससे अपने सोच समझ के दौरान कल्पना में स्पष्ट चित्रण हो सके।  जब कल्पना सहज होने लगता है।  तब जैसी कल्पना करते है। मन का स्वभाव भी वैसा ही होने लगता है।  इससे मन कल्पना के अनुसार कार्य में लग जाता है। कार्य सटीक और जल्दी होने लगता है।  ऐसे सक्रीय कल्पना के लिए प्रयास बारम्बार करना पड़ता है। जब तक की मन सहज भाव में कल्पना न करे। वैसे इस प्रयास में सबको सफलता नहीं मिलता है।  सक्रीय कल्पना के लिए एकाग्रता का निरंतर प्रयास करने वाले को ही सक्रीय कल्पना में सफलता मिलता है।

जीवन का अस्तित्व मव सक्रिय कल्पना से मन सकारात्मक है तो ब्यक्ति के बुद्धिमान होने से सोच समझ सकारात्मक ही होंगे

जीवन का अस्तित्व में सक्रिय कल्पना 


जीवन का अस्तित्व में कल्पना के संसार में मनुष्य का जीवन  

जीवन का अस्तिव कल्पना के संसार में मनुष्य का जीवन पनपता है।  कल्पना चाहे छोटा हो या बड़ा हर कोई कल्पना के संसार में विचरण करता है।  कल्पना के अनुरूप अपना कार्य करता है।  जीवन में आवश्यक कार्य के लिए चिंतन करता है। कार्य के प्रति सक्रीय रहता है।  जीवन में सक्रियता तो देता ही है। साथ में मन मस्तिष्क को भी सक्रीय बनाये रखता है। चुस्ती फुर्ती से कल्पना सक्रीय होता है।  जीवन की सक्रियत रहने के लिए सबसे पहले शरीर, मन, बुद्धि, विवेक का  सक्रीय होना जरूरी है। शरीर चुस्त दुरुस्त रहेगा तो मन में भरपूर सकारात्मक ऊर्जा होगा।  मन सकारात्मक होगा तो ब्यक्ति बुद्धिमान बनेगा।  बुद्धिमान ब्यक्ति के सोच समझ सकारात्मक ही होंगे।  लिहाजा ऐसे ब्यक्ति के कल्पना भी सक्रीय होगे। 


जीवन का अस्तीत्व में सक्रीय कल्पना तब ज्यादा फायदेमंद जब वो सकारात्मक हो

जीवन का अस्तीत्व सक्रीय कल्पना तब ज्यादा फायदेमंद होता है जब ब्यक्ति उस तरफ पुरे मन से कार्य करता है ऐसा न हो की कल्पना का संसार बना लिए और कार्य के नाम पर कुछ नहीं किये तब कल्पना का दुश्य परिणाम ही निकलता है कल्पना वही तक सही है जहा तक कल्पना के अनुरूप कार्य करे कल्पना कोई भी हो बहुत सक्रीय होते है  कल्पना का पूरा प्रभाव मन और मस्तिष्क पर पड़ता है यदि कल्पना के अनुसार सक्रीय हो कर कल्पना से जुड़े कार्य में ब्यस्त है तो इससे सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा सक्रीय कार्य समय पर पूरा होगा कल्पना के अनुसार कार्य में सक्रियता नहीं है तो मन सुस्त होने लगेगा मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा बाद में मन भी नकारात्मक होने लग जायेगा सक्रियता सकारात्मकता को बढ़ाता है  सुस्तपना नकारात्मक प्रबृति है कार्यहीनता भी नकारात्मक प्रबृति है कर्महिनाता से बिलकुल बचकर रहना चाहिये  मस्तिष्क ऊर्जा का क्षेत्र है मस्तिस्क मन से प्रभावित होता है मन का लगना सकारात्मक प्रबृति है मन का किसी कार्य में नहीं लगना नकारात्मक प्रबृति है कल्पना सक्रीय है जब कल्पना सक्रीय होता है तब मन भी सक्रीय होता है परिणाम मस्तिष्क में दिमाग भी सक्रीय होता है मन सुस्त पड़ गया तो जरूरी नहीं की कल्पना और दिमाग भी सुस्त पड़ेगा वो चलता ही रहेगा मनुष्य सचेतन में रहता है जिसे सचेत मन कहते है कल्पना अवचेतन मन की प्रकृति है अवचेतन मन का संपर्क अंतरमन से है सचेत मन सक्रीय नहीं रहा तो अचेतन को बढ़ा देगा जो नकारात्मक प्रबृति है मस्तिष्क में दिमाग के दो भाग होते है ऊर्जा की दृस्टि से समझा जाए तो दिमाग में दो प्रकार के ऊर्जा का प्रवाह होता है जिसे सकारात्मक ऊर्जा और नकारात्मक ऊर्जा कहते है मन के स्वभाव से ऊर्जा कार्य करता है मन की जैसी प्रकृति होगा ऊर्जा वैसा कार्य करेगा मन और उर्जा का संगम होता है इसलिए मन सदा सकरात्मक होन चाहिए।

Sunday, August 15, 2021

रचनात्मक कल्पना का पहला प्रभाव बात चित की कला मनुष्य को बहुत कुछ देता है।

रचनात्मक कल्पना


रचनात्मक कल्पना खुशहाल जीवन में रंग भर देता है 

जीवन में जो रंग रूप की कमी होते है। लोग कल्पना के माध्यम से उसको भरने का प्रयास करते है। रचनात्मक कल्पना के अनुसार जरूरत की विषय वस्तु को विशेष तौर पर खरीदते है। अपने जीवन को ख़ुशनुमा बनाते है। संतुलित रचनात्मक कल्पना मनुष्य के जीवन में ख़ुशी भर देता है। कल्पना हर कोई करता है। चाहे बच्चा हो या बूढ़ा सबसे पहले जीवन के रंग को कल्पना में ही ढालते है। तब उसके अनुरूप अपने जीवन में परिवर्तन करने का प्रयास करते है।


रचनात्मक कल्पना मनुष्य को अपने जीवन में बहुत कुछ सिखाता भी है 

रचनात्मक कल्पना का पहला प्रभाव बात विचार पर पड़ता है। बात चित की कला मनुष्य को बहुत कुछ देता है। आदर सम्मान, छोटे बड़े का भेद भाव हर कोई जनता है  पर जुबान के माध्यम से जो आदर, मान सम्मान, अपनापन जुबान के माध्यम से ज्ञान मिलता है। जो रचनात्मक कल्पना के बगैर नहीं हो सकता है। चाहे कोई भी कल्पना हो हर वक़्त कल्पना में शब्द ही उभरते है। इसलिए रचनात्मक कल्पना का सबसे पहला प्रभाव जुबान पर पड़ता है। बात बिचार सकारात्मक होता है। सकारात्मक बात विचार मन को बहुत ख़ुशी देता है। रचनात्मक कल्पना के एक एक शब्द जीवन के खुशहाली में कमी को उजागर करते है। रचनात्मक कल्पना को मनुष्य पूरा करने का प्रयास करता है।

मन की इच्छाएँ के दौरान कल्पना में नकारात्मक भावना नहीं होना चाहिए नहीं तो मस्तिष्क में विकार आ सकता है

मन की इच्छाएँ


मनुष्य के सोच में बहुत सारी मन की इच्छाएँ होते है


मन की इच्छाएँ पल भर में बदलते रहते है। एक पल में एक तो दूसरे पल में दूसरा इच्छा उत्पन्न होता है। जब एक इच्छा आता है। तो दूसरा इच्छा चला जाता है। क्या ये सब ठीक है? मनो जैसे मनुष्य इछाओ का साम्राज्य है। जब मर्जी जो इच्छा रख लिए। ये कौन सी बात हो गई? भाई जो चाहो वो सोच लो। दूसरे का क्या जाता है। सबकी अपनी मर्जी है। क्यों भाई अपनी मर्जी है न? इसमें तो किसी का कुछ नहीं जाता है। तो सवाल ये है, की इच्छा फिर बना ही किस लिए है? फिर तो ये सब व्यर्थ है। ये तो कोई काम का नहीं है। नहीं भाई ऐसा नही है। इच्छा नहीं इच्छा शक्ति होनी चाहिए। ताकि सब अपनी इच्छा पर डटे रहे और उसे व्यर्थ न जाने दे। वही सब कुछ करता है। इच्छा नहीं तो मनुष्य कुछ नहीं। इच्छा को नियंत्रित करे। उस दिशा में कार्य करे। वही सकारात्मक इच्छा है।


मन की इच्छाएँ के लिए सोच समझ अच्छी होनी चाहिए


मन की इच्छाएँ मे किसी का किसी प्रकार से कोई नुकसान न हो तो ही इच्छा कारगर है। कुछ भी सोचे कुछ भी करे ऐसा नहीं है। बिलकुल भी कभी कोई गलत इच्छा नही रखे वो टिक नहीं पायेगा। उस तरफ जा भी नहीं पाएंगे। क्योंकि अपने पास ज्ञान है। मान लीजिये की जो कर रहे है। काम काज या कोई अच्छा कार्य करते है। मन भी अच्छे से लगता है। सक्रीय कार्य को सफलता पूर्वक पूरा कर लेते है। यही सकारात्मक इच्छा शक्ति है। 


मन की इच्छाएँ में इच्छाशक्ति बहुत महत्वपूर्ण ज्ञान है 


मन की इच्छाएँ मनुस्य को अपने जीवनपथ पर आगे बढ़ने के लिए है। इच्छाशक्ति इतना आसानी से नहीं प्राप्त होता है। बहुत सरे इच्छाओ को पाल लेने से और एक के बाद दूसरा इच्छा कर लेने से तो कोई काम नहीं बनेगा। इच्छा पूर्ति लिए जीवन में सिद्धांत बनाना पड़ता है। अपनी इच्छाओ पर नियंत्रण पाना होता है। जिससे सकारात्मक इच्छा सोच सके कल्पना कर सके, विचार कर सके, कल्पना कर सके, बहुत सरे इच्छाओ के मिश्रण से अंतर्मन किसी भी संभावित नतीजे तक नहीं पहुंच पायेगा। किसी भी काम को पूरा करने में मन नहीं लगेगा। कार्य में सफलता मिल नहीं पायेगा। हो सकता है बहूर सरे इच्छाओ में सकारात्मक इच्छा और नकारात्मक इच्छा हो। इच्छाओ के बवंडर में मस्तिष्क में विकार भी आ सकता है। जिससे वविक्छिप्तता मन मे फ़ैल सकता है। जो की बिलकुल भी ठीक नहीं है।


मन की इच्छाएँ को जगाने के लिए मन के कल्पना में कोई एक चित्र बनाये 


मन की इच्छाएँ को बनाये रखने के लिए कल्पना मे सब कुछ संतुलित और संगठित होन चाहिए। मन के भावना सकारात्मक होना बहुत जरूरी है। नकारात्मक भावना अनिच्छा को उत्पन्न करता है। नकारात्मक प्रभाव से मन में गुस्सा और तृस्ना सवार हो जाता है। बात विचार प्रभावशाली नहीं रहता है। इसलिए मन की इच्छा सकारात्मक ही होना चाइये। 


मन की इच्छाएँ और कल्पना के दौरान किसी भी प्रकार का नकारात्मक भावना नहीं होना चाहिए


मन की इच्छाएँ में सोच कल्पनातीत भी नही होना चाहिए। ऐसा भी हो सकता है की कल्पना पुरा ही नहीं हो सके। ऐसा होने से भी मस्तिष्क में विकार आ सकता है। जिसका सीधे प्रभाव ह्रदय और मन पर पड़ता है। ऐसी हालत में भी कुछ नहीं कर पाएंगे। मन कल्पनातीत में बेलगाम घोड़ा हो जाता है। स्वियं नियंत्रण में करना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे मनुष्य आगे चलकर आलसी भी हो सकते है।


मन की इच्छाएँ से मन में सकारात्मक सोच समझ और कल्पना होने से विवेक बुद्धि संगठित रहता है 


मन की इच्छाएँ संतुलित और कल्पना के दौरान जो जरूरी विषय वस्तु है। उसपर ध्यान बराबर बना रहता है। यहाँ पर भी मन पर पूरा नियंत्रण होना चाहिए। संभावित विषय बस्तु को मन के कल्पना में निरंतर सकारात्मक बना रहे। मन उस विषय और कार्य में भी सकारात्मक कार्य करते रहे।  ऐसा होने से मन अपने सकारात्मक काम काज विषय बस्तु में कार्यरत रहेगा। तभी मन में किया गया इच्छा की कल्पना सकारात्मक बनकर इच्छा शक्ति बनेगा। उस कार्य या विषय में सफलता मिलेगा।


 

 

 

 

Saturday, August 14, 2021

कल्पना में हर किसी को अपने अपने अनुसार से जिंदगी जीने का मौका किसी का समय आज तो किसी का बाद में अच्छा समय हर किसी के जीवन में जरूर नसीब होता है

भविष्य की कल्पना

कल्पना में हर किसी को अपने अपने अनुसार से जिंदगी जीने का मौका मिलता है। किसी का समय आज आता है। तो किसी का बाद में आता है। पर अच्छा समय हर किसी के जीवन में जरूर नसीब होता है। यही जीवन का इस संसार में नियम है। हा कभी कवाल मनुष्य को अपने अपने अनुसार से दुःख का भी सामना करना पड़ता है। भले उसमे उसकी कोई गलती हो या न हो। ये जरूरी नहीं हम अच्छा कर रहे है। तो हमेशा हमारे साथ अच्छा ही होगा। पर जीवन में कुछ बुरा होता है। तो उसमे भी संसार का ही नियम है। जब तक मनुष्य उस दौर से नहीं गुजरेगा। तब तक उसका ज्ञान अधूरा ही रहता है। जब मनुष्य विपरीत दौर से गुजरता है। उसे और अच्छा ज्ञान और तजुर्बा होता है। जीवन के कल्पना सब प्रकार के ज्ञान के लिए ही होता है। मनुष्य जीवन सुख दुःख से घिरा रहता है। यही सुख दुःख के मिश्रण में जीवन को जीते हुए। जो अपने मुकाम तक पहुँचता है। ये क्या है? ये ज्ञान ही है। जो ब्यक्ति सुख दुःख का सामना करते हुए अपने जीवन में आगे बढ़ता है। वही जीवन का सच्चा सारथी होता है। सबके अपने अपने समय के बात करे तो सब को अपना अपना समय मिलता है। फिर बाद में दुसरो को जिसके पास जैसा ज्ञान है। जैसे जैसे ज्ञान के श्रेणी में चढ़ता है। प्रखर होता जाता है। इसलिए कभी किसी को ऐसा नहीं सोचना चाहिए। मेरा समय आता ही नहीं है। हर किसी को हर चीज नहीं प्राप्त होता है। क्योकि वो प्राप्त कर के क्या करेगा। एक न एक दिन उसे अपने मुकाम पे ही जाना है। जो उससे बचता है। उसके आश्रितों को जाता है। जिसका वो भोग विलाश करता है। जिसको अपने पूर्वज से मिलता है। अक्सर वो कुछ नहीं कर पता है। क्योकि उसके पास सबकुछ होता है। जिसमें जिंदगी के थपेड़े को जिसने नहीं झेला। भला उसको क्या ज्ञान होगा। ज्ञान समय और अवस्था के साथ की मिलता है। क्योकि सुख दुःख तो उसको भी भोगना है। क्योंकि सुख में सरे एहसास नहीं होते है। दुःख में एक एक अनुभव का एहसास होता है। यही जीवन का ज्ञान है। इसी में जीवन के ज्ञान का रास्ता निकलता रहता है। जीवन के कल्पना में ज्ञान प्राप्त करते रहते है।

Friday, August 13, 2021

बगीचे में फूल के पौधे आस पास का वातावरन सुगन्धित हो देखने में भी बहुत अच्छा साथ में घर में पूजा पाठ के लिए फूल पत्ती बगीचे में से मिल जाते है

बगीचा बागवानी लगाने के फायदे 

बगीचा घर के आस पास लगाने के बहुत फायदे है। अक्सर लोगो के घर के आस पास बहुत सरे जगह होते है। जिनका उपयोग लोग करते है।  बगीचा बागवानी के लिए जिसमे लोग शाग सब्जी फल या फूल के पौधे लगाते है। 

बगीचे में फूल के पौधे लगाने से आस पास का वातावरन सुगन्धित हो जाता है। देखने में भी बहुत अच्छा लगता है। साथ में घर में पूजा पाठ के लिए फूल पत्ती बगीचे में से मिल जाते है।  ब्यक्ति के सोच समझ में ये होना ही चाहिए। बाग़ बगीचा अपने घर के आस पास लगाए। लोगो के घर के आस पास कुछ कुछ खली जगह होते ही है।  जीनका सदुपयोग होना ही चाहिए। बगीचा का महत्त्व तब बहुत होता है।  जब लोग सुबह शाम बगीचे में बैठते है। अपने जीवन का आनंद लेते है।  कुछ गहन विषय पर सोचने या कल्पन करने के लिए सुखमय वातावरण मिल जाता है। 

बगीचा में शाग सब्जी लगाने से घर के लिए  कभी कवाल शाग सब्जी मिल जाते है।  फल के पेड़ लगाने से जैसे केलाअमरूद, नाशपाती, सीताफल, अनार, आम, बेर अक्सर लोग अपने घर के आस पास लगते है। समय समय पर घर में फल की पूर्ति हो जाते है।  गर्मी के मौसम में पेड़ का छाया मिल जाता है।  सुहानी ठंडी हवा का मजा लेने के लिए  उपयुक्त वातावरण मिल जाता है 

बगीचा बागवानी के माध्यम से जीवन के शांति का रास्ता भी मिलता है।  मनुष्य जितना अपने समय का उपयोग सही ढंग से करेगा उतना ही उसके जीवन में एकाग्रता और शांति स्थापित होगा। इससे सबसे पहला  फायदा होगा की खली दिमाग शैतान का घर नहीं बनेगा। समय का सदुपयोग होगा। बचा हुआ सुबह शाम का समय बागवानी में बीतेगा

वातावरन में ऑक्सीजन प्रचुर मात्रा में मिलेगा। आस पास का वातावरण सुख शांतिमय रहेगा। पर्यावरण के संरक्षण में बहुत बड़ा योगदान होगा। अपने देश के साथ साथ कई राष्ट्र पर्यावरण के संरक्षण पर ध्यान दे रहे है। 

उन्नति के लिए किसी ऐसे ब्यक्ति के ज्ञान का सहारा लिया व्यक्ति अपने कार्य क्षेत्र में विशेष अनुभव प्राप्त किया हो जीवन के विकाश के लिए प्रेरणादायक उद्धरण बनता है

प्रेरणादायक उद्धरण

जीवन में उन्नति के लिए किसी ऐसे ब्यक्ति के ज्ञान का सहारा लिया जाता है। जो व्यक्ति अपने कार्य क्षेत्र में विशेष अनुभव प्राप्त किया हो। जो सफल हो ऐसे व्यक्ति को अपने जीवन के विकाश के लिए प्रेरणादायक उद्धरण बनता है। जिनके अनुभव और ज्ञान को प्राप्त कर के अपने जीवन में कुछ नया आयाम दिया जाता है। अपने जीवन में उन्नति करने के लिए होता है। 

प्रेरणा सिर्फ प्रेरणादायक ज्ञान लेने से नहीं होता है। उनके काम करने की शैली, बात विचार के शैली, रहन सहन की शैली हर तरीके के ज्ञान को समझ कर आगे बढ़ते है। उनके अनुभव को अपने जीवन में स्थापित करते है। प्रेरणादायक उद्धरण होते है। स्कूल कॉलेज से सिर्फ ज्ञान ही मिलता है। ज्ञान को जीवन में स्थापित करने के लिए अनुभव की बहूत आवश्यकता होता है। जब तक किसी अनुभवी ब्यक्ति से नहीं मिलेंगे। तब तक ज्ञान का विकाश नहीं होगा। ज्ञान के अनुभव का विकाश जिस अनुभवी ब्यक्ति के माध्यम से होता है। प्रेरणादायक ब्यक्ति के प्रेरणादायक उद्धरण होता है। घर परिवार में माता पिता, दादा दादी के द्वारा दिया हुआ ज्ञान प्रेरणादायक उद्धरण होता है। सबसे पहले घर परिवार में माता पिता, दादा दादी से ज्ञान का पहला अनुभव प्राप्त होता है।

व्यक्तित्व प्रेरणा में मन विवेक बुद्धि सोच समझ सहज बोध एकाग्रता चिंतन मनन कल्पना सबका उन्नत होना जरूरी होता है

प्रेरणा


प्रेरणा स्त्रोत

जीवन के  उन्नति के पीछे किसी किसी का बहुत बड़ा हाथ होता है।  संघर्ष हर किसी के जीवम में होता ही है। सही दिशा दिखाने वाला ही प्रेरणा स्त्रोत के महत्त्व बनता है।  चाहे विद्यलय के पढाई लिखाई में किसी अच्छे अध्यापक का प्रेरणा स्त्रोत मिले। या किसी ऐसे गुरु का जो ज्ञान के माध्यम में प्रेरणा स्त्रोत बन जाए। किसी का प्रेरणा बहुत बड़ा ज्ञान देता है।  जिसके अपने जीवन में किसी से अच्छे जानकर से प्रेरणा मिलता है।  तो उससे अपना जीवन सफल हो जाता है


व्यक्तित्व प्रेरणा 

किसी भी ब्यक्ति का ज्ञान जन्म के साथ नहीं आता है।  जीवन के हर पहलू में ज्ञान हासिल करना ही पड़ता है।  जीवन में परिपक़्वता सिर्फ किताबी ज्ञान से नहीं मिलता है। किताबी ज्ञान के साथ मन, विवेक, बुद्धि, सोच, समझ, सहज बोध, एकाग्रता, चिंतन, मनन, कल्पना, सबका उन्नत होना जरूरी होता है।  जिस क्षेत्र से जो जुड़े होते है। उस क्षेत्र के दूसरे लोग जो अपने ब्यवसाय, कार्य क्षेत्र में जो सफल या बहुत सफल होते है।  उनसे भी ज्ञान लेना पड़ता है।  उनके कार्य क्षेत्र को समझा जाता है। उनसे मिलकर उनके ज्ञान और उपलब्धि को सुना और समझा जाता है।  उनके बात विचार को ज्ञान समझकर  प्रेरणा स्त्रोत मानकर आगे बढ़ा जाता है।  प्रेरणा स्त्रोत को सिर्फ ज्ञान ही नहीं समझा जाता है।  प्रेरणा स्त्रोत को आत्म मनन करके जीवन में स्थापित किया जाता है।  प्रेरणा स्त्रोत को महत्वपूर्ण ज्ञान समझकर अपने क्षेत्र में आगे बढ़ा जाता है। तब जीवन में सफलता प्राप्त करने का माध्यम प्रेरणा स्त्रोत होता है।

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