Friday, December 31, 2021

Paper media increase knowledge? Paper media enhances knowledge.

Paper media increase knowledge?

 

Paper media enhances knowledge.

The best source of knowledge in which the knowledge of social, political, educational, geographical, historical event or accident was first received from some social media or the other. People do not have much time to sit at home and listen to the news on TV, people wake up in the morning. He gets busy in his less work. Most of the people do not pay attention to the news of TV, only the housewives sitting at home know that they get a chance. At the time of lunch on the way, the knowledge of all kinds of accidents and accidents is obtained from the newspaper in the office. Being a cheap and affordable newspaper one can buy very comfortably. The one who gets some money even after selling the old newspaper accumulated from time to time in the trash, the junk newspaper is again used to make new newspapers. Being cheap and useful, they are also available everywhere. At the crossroads of any market, one can find selling newspapers.

 

Newspaper is important from the point of view of knowledge.

The news that is happening in the present time, full of important information of the world, first reaches the people through the newspaper. Apart from being a great means of dissemination of the subject matter, the newspaper also gets the complete information about the subject matter by the people. Through communication, people become alert about what is right and what is wrong with the news of incident or accident. What should be done and what should not be done. This is exposed only by the media. Which is a very important part of knowledge. By increasing vigilance with knowledge, the security of the people also increases in the building. Progress and progress in life takes place only by moving forward with new knowledge in the rate of change.


Thursday, December 30, 2021

खाते के लेखनी और ज्ञान के लिए, अर्थशास्त्र, वाणिज्य, पुस्त्पालन, सचिव अध्ययन और गणित का अच्छा ज्ञान बहूत जरूरी है

ज्ञान के स्रोत के रूप में पाठ्यपुस्तक के चयन के लिए मानदंड.

 

ज्ञान तो किसी भी पुस्तक से मिल सकता है. विद्वानों सिर्फ और सिर्फ ज्ञान के लिए ही लिखते है ताकि उनके अन्दर जो भी ज्ञान है वो दूसरो के लिए मिले. ज्ञान आदान प्रदान के लिए भी होता है. ऐसा नहीं की ज्ञान अपने पास है और वो दूसरो को दिया नहीं जाए तो वो ज्ञान किसी काम का नहीं होता है. ज्ञान जब तक उजागर नहीं होगा, तब तक न हमें फायदा होगा और नहीं दूसरो को ही. मान लीजिये की हमें कुछ करने या बनाने का ज्ञान है. और हम दूसरो से बचा कर रखे है. ताकि दूसरो को पता ही नहीं चले की हम क्या क्या कर सकते है. तो फिर वो ज्ञान अपने लिए भी कोई काम का नहीं होगा. अपने पास ज्ञान है और उसका उपयोग ही नहीं कर रहे है. तो फिर वो किस काम का होगा. अच्छा ज्ञान होने के बाबजूद भी वो परिपक्व नहीं होगा. अपने पास कोई ज्ञान छुपा कर रखेंगे तो न वो किसी वस्तु के निर्माण में काम आएगा, न किसी को उसके उपयोग के बारे में पता चलेगा. इसलिए अपने पास कोई भी ज्ञान है तो उसका उपयोग जरूर करना चाहिए.

 

शिक्षा और ज्ञान के लिए आध्यात्मिक पुस्तक, धार्मिक पुस्तक, प्रेरणा दायक पुस्तक जिसमे बड़े बड़े विद्वानों के विचार और ज्ञान लिखे होते है जो शिक्षा और ज्ञान को बढाता है.

 

निति नियम के लिए क़ानूनी पुस्तक, संवैधानिक पुस्तक, एतिहासिक पुस्तक जिसमे बड़े बड़े राजा और उनके विचारक के विचार और ज्ञान को समझने का मौका मलता है. जिससे अपने दायरे और निति नियम के बारे में पता चलता है.

 

विज्ञान के क्षेत्र में काम करने वाले के लिए या ज्ञान हासिल करने के लिए रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, जिव विज्ञान और प्राणी विज्ञान के पुस्तके बहूत उपयोगी होते है.

 

लेखक के लिए भाषा का ज्ञान बहूत जरूरी है कम से कम क्षेत्रीय भाषा, राज्य की भाषा, देश की भाषा, और अंतररास्ट्रीय का अच्छा ज्ञान आवाश्यक है तभी सभी शब्द का चयन लेखक सही ढंग से कर सकता है. निति नियम, ज्ञान, अच्छा विचार, बात करने का तरीका और सलीका बहूत जरूरी है. इसके लिए उचित पुस्तकों का अध्ययन बहूत जरूरी है. किसी भी भाषा में लेखनी के लिए आदर और अदब जरूर होना चाहिए.  

 

खाते के लेखनी और ज्ञान के लिए, अर्थशास्त्र, वाणिज्य, पुस्त्पालन, सचिव अध्ययन और गणित का अच्छा ज्ञान बहूत जरूरी है. जिससे लेखनी का काम और उससे जुड़े हर प्रकार का ज्ञान इन विषयों के पुस्तकों से मिलता है और ज्ञान बढ़ता है.

अवधारणात्मक गति खुफिया उदाहरण

कहानी का नैतिक है पराक्रम पर बुद्धि की जीत

नैतिक चरित्र मनुष्य को सहज और सजग बनता है. सहज होने से बहूत कुछ सरल हो जाता है. इसलिए इन्सान को सरल ही रहना चाहिए. सहजता से सरलता का विकाश होता है. सरल भाव में मनुष्य पर सुख दुःख का उतना प्रभाव नहीं पड़ता है, जितना मानसिक भाव में पड़ता है. मानसिक होना कदापि ठीक नहीं है. कभी कभी मानसिकता काम और व्यवस्था को बिगाड़ भी सकता है. मन के चलने का भाव कही न कही दुःख का ही कारन होता है. इसलिए मन को कभी भी बेलगाम नहीं होने देना चाहिए. वो वास्तविकता से इन्सान को दूर कर देता है. सहजता और सजगता से बुद्धि प्रबल होता है. और मन को सहज बनाने में मदद करता है. जब की मन पराक्रम भी कर सकता है. नैतिक चरित्र ही पराक्रम पर जीत हासिल करता है.

 

अवधारणात्मक गति खुफिया उदाहरण

अवधारणा मन का एक ऐसा भाव है जो मनघडंत बात मन में जगह बनाकर उसको वास्तविकता में देखने का पुरजोर प्रयास करता है. ये हर किसी के मन में हो सकता है. सही का ज्ञान होने के बाबजूद भी अपने मन के हरकतों से वाज नहीं आता है. जानते हुए की ऐसा कुछ नहीं हो सकता, फिर भी उन अवधारणा को मन में हवा देता रहता है. ये भी कल्पना का ही एक रूप ही है. पर ये धरना बिलकुल गलत है. यही कारन है की मनुष्य के जीवन में अचेतन ९० प्रतिशत है और सक्रीय मन सचेतन सिर्फ १० प्रतिशत है. ज्ञान को सही मानते हुए अक्सर लोग ऐसे बाते को किसी को नहीं बताता है. क्योकि वो उनके मन की बात होते है. यही कारन है की अवधारणात्मक गति मन में ही खुफिया रहता है. उदाहरण के तौर पर अनैतिक इच्छा, दुष्कर्म, अपराध जो निरंतर मन में चलता रहता है. किसी में कम तो किसी में ज्यादा ऐसा अवधारणा हर किसी के मन में पनपता है. स्तिथि और हालत के अनुसार सही रस्ते पर चलने वाले के मन में ज्यादा देर टिकता नहीं है और जो लोग इन अवधारणा के आदि है. गलत राह पकड़ लेते है.   

 

बुद्धि के लिए क्या पुरस्कार?

बुद्धिमान होना स्वयं एक बहूत बड़ा पुरस्कार है. बुद्धि से सब कुछ संभव है जो सकारात्मक और सहज है. विरल और कठिन कार्य में संघर्स होता है पर समय के अनुसार और संघर्स के पृष्ठभूमि पर बुद्धि विवेक पर खरा उतरता है. बुद्धि सक्रीय ज्ञान है. अच्छा अनुभव सकारात्मक रहने पर मिलता है. सकारात्मक मन में अपार उर्जा होता है जो बुद्धि को हवा देता है. इसलिए बुद्धिमान होना स्वयं में सर्वोच्च पुरस्कार है. 

फैशन नेताओं की क्या भूमिका है?

मैं अपनी प्रोफ़ाइल फ़ोटो फ़ैशन पत्रिका में प्रकाशित करना चाहता हूँ.

फ़ैशन पत्रिका में प्रकाशित फ़ोटो फ़ैशन के मापदंड में गुणवत्ता से भरा होना चाहिए. कोई भी फ़ोटो बहूत अच्छे मेगापिक्सेल वाले कैमरा से ही लिया जाना चाहिए. फ़ोटो के रंग और रूप बिलकुल साफसुथरा होना चाहिए. बैकग्राउंड में विषय को मेल करने वाले ग्राफिक या बैकग्राउंड थीम होना चाहिए. अपने चरित्र को दर्शाने वाला भूमिका विषय वस्तु पर आधारित होना चाहिए. वस्त्र और रूप साजसज्जा अपने चरित्र में निखार लाने के लिए अतिआवश्यक है. 

 

फैशन नेताओं की क्या भूमिका है?

नेता अपने देश राज्य और क्षेत्र के लिए एक विशिष्ठ नागरिक होता है, जो अपने ओहदे और भूमिका के अनुसार अपने क्षेत्र में प्रचलित होता है. अपने ओहदे और भूमिका के अनुसार उसका पहनावा भी उत्तम होना चाहिए.  जिसे फैशन कहते है. नेता के बात विचार और सोचने बोलने के ढंग से उनके जो प्राकृत निखरकर आता है उसके अनुसार मेल होने वाला वस्त्र, आभुषन साजसज्जा होना चाहिए. तभी नेता के बाहरी प्रकृति में निखर के साथ पहचान बनता है.  

 

बिग फैशन बकेट वेबसाइट भरोसेमंद है या नहीं?

फैशन बकेट वेबसाइट बिग फैशन के लिए जाना जाता है. जो पूरी तरह से अपने विशिष्ठ डिजाईन और कलाकारी के लिए प्रख्यात होता है. बिग फैशन लोगो के पसंद के अनुसार चलता है. इनके माप दंड बेहद सटीक होते है. जो सहज पहनावा के साथ सबसे अच्छा करने का प्रयास करते है. इनके पहनावे बड़े वेशकीमती होते है. बिग फैशन के डिजाईन और पहनावे से सहमत है तो बिग फैशन बकेट वेबसाइट जरूर  भरोसेमंद है. 

Wednesday, December 29, 2021

Active imagination everything goes into the subconscious through imagination unrestrained imagination of the mind also creates a lot of problems in the development of life

How to do active imagination subjects are helpful for people's imagination?


Active imagination of the people no matter what the subject is for life

What matters is what is going on in the mind. If you try to understand the mind according to the subject, then you will not get any answer. The imagination of the mind can be both mixed and lonely. With one idea many other ideas can also emerge. If we look in the context of the mind, then one thought at a time and at the same time many thoughts arise which keep going on in the mind. There are both active and inactive imaginations. Even though it has nothing to do with the outside world, it keeps on happening. What is to be activated through the intellect and which idea is to be deactivated? is determined. No one has fully understood the mind till date. Sometimes a very old thing hurts, and sometimes the thought of troublesome thing starts running in the mind. Every movement of the mind is nothing less than a fantasy. Whether the thinking is active or inactive, everything goes into the subconscious through imagination. Which obstructs important work with mixed results in life. The unrestrained imagination of the mind also creates a lot of problems in the development of life. Only by being active can you get rid of such unwanted feelings.

Tuesday, December 28, 2021

Strength and intelligence purpose should you use your in aim to use your power and intelligence

For what purpose should you use your strength and intelligence?


 

Development of human life is based on intelligence. 

The more accurate and sharp the intellect is, the faster the development of a person is also. Intellectual ability can also be estimated by the way a person thinks and talks. In fact, power and intelligence should be used only for positive work subject matter, which leads to development and upliftment of human life. One should never misuse power and intellectual ability at the will of one's mind, it can also harm other people.

 

Aim to use your power and intelligence

Knowledge is of great importance in human life, but also on the strength of power and intellectual power, human progresses. There is unity. Attracts the mind of the logo. The purpose of using good power and intellect should be to bring the forgotten people on the right path by providing them with the right knowledge through knowledge. When that power and intelligence is used for the welfare of human life, then the dimension of power and intelligence increases. The identity of the person is formed. The use of knowledge generated by positive thinking, power and intelligence in the life of oneself and others also brings fame to the person. Helping the weak and weak, spreading knowledge in the midst of ignorance can be done with wisdom and power. If this starts happening then there will never be any sorrow or poverty in anyone's life. The dimension of power and intelligence is strengthened in the upper class. It should also be used for the help of poor and unhappy people, so that if everyone keeps getting some happiness in the dimension, then the dimension of power and intelligence increases.

Sunday, December 26, 2021

Study nature of disciplinary knowledge and the role of life in the dimension of life

Nature and role of disciplinary knowledge in school subject in hindi


Importance of disciplinary knowledge in the student through the nature and role of disciplinary knowledge about the school subject


Concept of disciplinary knowledge, disciplinary knowledge definition

Subjects of the school are for the development of the knowledge of the children, so that the intellect becomes active and the mind is engaged to do any work with concentration. The secrets of the achievement of life are hidden in the knowledge of the subject. The singing of life also increases by reading it and understanding it from the teacher. Along with the learning of the language about hindi, english and regional languages, the knowledge of life's ups and downs, happiness and sorrow, progress and decline is taught through the story. How does one survive in any type of environment? All the words are taught in childhood to the child through the book of language. Due to which the knowledge of how to live in the troubles and sorrows that will come in the future life is made by the teacher from the book of the language itself.

 

What is disciplinary knowledge nature of disciplinary knowledge and the role of life have a great contribution to the knowledge of life.


Since childhood, awareness of discipline in children is practiced by parents, elders and teachers. Which the child's mind should not be engaged in any other inappropriate subject. To highlight all these things, the book of the child's language is selected and designed and published by the education department according to the age and class of the child. At what age, which knowledge is necessary, it is selected only by the expert, who is putting the child's mind in the book of the language. The lessons of right and wrong are printed in the book of the language through cartoons to young children, which by reading, writing and remembering develops the knowledge of right and wrong. As children grow older, there is also progress in the classroom. According to this, by increasing the dimension of knowledge and the scope of understanding in the language book, children are given knowledge by increasing the scope of education by exposing each and every aspect of life in the children.

 

What is disciplinary knowledge in education study of the nature of disciplinary knowledge and the role of life in the dimension of life.


Role of disciplinary knowledge as the children move to higher c lasses, as per the increasing dimensions of age, in the selection of subjects as per the requirement in education, mathematics is developed in which various methods of addition, subtraction, multiplication and division are developed, so that the children are also smart in the matter of accounting. And the intellectuals are made to practice to measure and understand the subject matter through numerical maths and line maths. So that the children do not make any mistake in their measurement method in any kind of purchase and can understand the accounting correctly. The understanding and knowledge of the subject matter is made through such science and its three parts biology, zoology, physics and chemistry. The knowledge of the subject matter increases the dimension of understanding in the children. The study of properties, nature, nature, living and non-living nature also happens in this subject. The knowledge of the creature is understood by it. Which animals are dangerous and which are beneficial? Its nature and nature are explained. What is happening in such society? What is the difference between mythological and present? What have the distinguished people done? What is the geographical nature? This understanding is explained in the scriptures.

Mobile phones and other electronic components cheaper in the USA

Why the rate of a mobile phone other electronic devices are cheaper in US?

 

Price of goods in America is not cheap but it is definitely expensive compared to other countries. It would be wrong to think that the price of other electronic components of mobile phones in America is cheap. If the price of online goods is compared with other countries, then it will be expensive, but especially in America, it is cheap, this is true. According to the money valuation, the earning of people there is good as compared to other countries. Which American people find more cheap than goods, the same goods which go to America after exporting from other countries. The goods that are made and sold in America are worth more. The cost and materials are also provided the same, which would have cost more to make, which is definitely expensive compared to other countries. Goods made in America, people in other countries buy less because of being very expensive. The price of the goods is not low, but for the buyer, the price of goods from other countries is cheaper than the goods made in America.

 

Saturday, December 25, 2021

मानव ज्ञान के वर्गीकरण मानव के लिए विषयो का ज्ञान आवश्यक है जब तक विषय का सही ज्ञान नहीं होगा तब तक विषय वस्तु पूरी तरह से समझ नहीं आएगा

मानव ज्ञान के विषय और विषयों में वर्गीकरण के दृष्टिकोण की आवश्यकता है


मानव ज्ञान के वर्गीकरण के लिए विषयो का ज्ञान आवश्यक है. 

जब तक विषय का सही ज्ञान नहीं होगा तब तक विषय वस्तु पूरी तरह से समझ नहीं आएगा. स्कूल में पढाई लिखाई में कुछ विषय होते है जिसमे शब्द, भाषा और प्रकार समझ में आता है. गणित जोड़ना, घटाना, गुना और भाग सिखाता है. भाषा क्षेत्रीय, राजकीय और देशीय भाषा का ज्ञान कराता है. जो अपने राज्य के भाषा देश का भाषा और सार्वभौमिक अन्तररास्ट्रीय भाषा सिखाता है. इतिहास पौराणिक, मध्य यूग, और वर्तमान के विषय वस्तु की जानकारी कराता है. भूगोल खगोलीय, देश, प्रदेश, विदेश के जलबायु संरचन का ज्ञान करता है. देश और स्थान के अनुसार जलवायु परिवर्तन और मौसन शर्दी, गर्मी और बरसात के मौसम के बारे में जानकारी कराता है. भूमिति संरचन के आकर, प्रकार के मापने के पद्धति और बनाने और गणना करने का तरीका सिखाता है. सबसे जटिल विषय विज्ञान जिसके तीन भाग होते है. जीव बिज्ञान जीवन के संरचन के बारे में बताता है. प्राणी, पशु, पक्षी, किट, पतंग, जीवाणु और विषाणु इत्यादि के शारीरिक बनावट तत्व की जानकारी, स्वभाव, प्रकृति, संरचन की जानकारी देता है. इसे प्राणी विज्ञान भी कहते है. रसायन विज्ञान में तत्व की जानकारी, पदार्थ की जानकारी, ठोस और तरज पदार्थ की जानकारी, तत्व और पदार्थ के गुणधर्म, प्रकृति इत्यादि की जानकारी मिलता है. भौतिक विज्ञान मशीनरी के बनाने और उसके वास्तु के गुणधर्म प्रकृति आकर प्रकार के गणना की पद्धति सिखाता है.

 

मानव ज्ञान में वर्गीकरण के अलावा भी बहूत से क्षेत्र है

मानव ज्ञान में वर्गीकरण जो महाविद्यला में अर्थशास्त्र, पुस्तपालन विज्ञान के तकनिकी अध्ययन, वाणिज्य. ऐसे बहूत से विषय है जो आर्ट्स कॉमर्स, और साइंस के पढाई के लिए वर्गीकृत किये गए है.


मानव ज्ञान में ज्ञान के वर्गीकरण से ज्ञान का आयाम बढ़ता है. 

ज्ञान के वर्गीकरण में अपने क्षेत्रे के अनुसार क्या ज्ञान आवश्यक है. उसको एक संग्रह कर के विषयों का अध्यन कर के अपने क्षेत्र में बढ़ा जाता है. सबसे पहले खुद के मन में झक के ये निर्णय लिया जाता है की मन किस विषय के लिए उपयुक्त है. उसके अनुसार से विषय का चयन किया जाता है. एक मुस्ट विषय को संग्रह कर के अध्यन कर के स्नातक या डिप्लोमा कर के अपने कार्य व्यवस्था को बनाकर कमाई का माध्यम बनाकर व्यापर या सेवा में कार्य किया जाता है. तभी सफलता मिलने के लिए विषयों में वर्गीकरण के दृष्टिकोण की आवश्यकता होता है.



उत्साह स्वावलंबन से ऊपर होने पर होता है.

जीवन के विचारधारा में कर्म का उत्साह

 

उत्साह जीवन के लिए जितना अहेमियत रखता है उतना ही कर्म पर प्रभाव डालता है.

कर्म जीवन का वो इकाई है जिसे स्वाबलंबन के मात्र को माप सकते है. कर्म में खुद के लिए कुछ नहीं होता है. कर्म दूसरो के भलाई और उपकार के लिए ही आका जाता है. मनुष्यता तब तक वो पूर्ण नहीं जब तक की वो निस्वार्थ भाव से कोई कर्म न करे. यदि ऐसा भावना जीवन में नहीं आ रहा है तो कही न कही और कोई न कोई बहूत बड़ी कमी है जो या तो पता नहीं चल रहा है या ठीक से उजागर नहीं हो रहा है. स्वयम के लिए सोचते और करते तो सब है पर कभी दूसरो के लिए भी करे तो वास्तविक जीवन का एहसास होता है. सब जानते है और सब करते है तो भी ये कभी समझ नहीं आता है की वास्तविक जीवन क्या है? अपने लिए जीना तो है ही, वो तो सबसे बड़ा कर्म है. जब तक मनुष्य खुद के लिए नहीं करेगा तब तक दूसरो के लिए कैसे कर सकता है. ज्ञान का पहला प्रयोग तो खुद पर ही होता है तब उससे जो उपार्जन होता है तो घर परिवार रिश्ते नाते और जान पहचान तक जाता है भले थोडा सा ही अंश क्यों नहीं हो. स्वयम में सक्षम होने के बाद ही मनुष्य दूसरो के लिए कुछ कर पाता है वही उत्साह का कारन होता है.

 

उत्साह स्वावलंबन से ऊपर होने पर होता है.

जिसमे मनुष्य जीवन के हर पहलू का अध्यन करने के बाद जब पारंगत होता है तो ज्ञान का प्रभाव दूसरो पर भी पड़ता है उसके बातो से या उसके कार्यो से जो लोग उसे समझने लगते है और उसे पढने का प्रयास भी करते है. सच्चा ज्ञान कही छुपा नहीं रहता है कही न कही से किसी न किसी रूप में उजागर होता ही रहता है ये वास्तविक ज्ञान की परिभासा है. चीजे जब अच्छी हो तो हर कोई पसंद करता है और उसका गुणगान करता है. ज्ञान से निकले सकारात्मक भाव जिसमे सब के लिए कुछ न कुछ समाहित होता है तो वो प्रेरणा देता है. जब किसी के लिए कुछ करते है तो वो देय के भावना से उजागर होना चाहिए न की स्वार्थ के भावना से नहीं तो वो कर्म के दायरे में आएगा ही नहीं और स्वाबलंबन दूर होता चल जायेगा. जहा स्वयम के लिए कुछ भी नहीं होते हुए जब दूसरो के भलाई और उत्थान के उद्देश्य से कुछ होता है तो मन को वास्तविक शांति मिलती है.

 

जीवन को आजमाने के लिए स्वयं को परख सकते है.

कोई अंजान ब्यक्ति यदि भूखा है यदि कह रहा है की "मै बुखा हूँ मुझे भोजन चाहिए" यदि मन में उपकार की भावना है तो जरूर उसे भोजन करा देंगे. यदि ये सोचेंगे की इसे भोजन करा के मुझे क्या मिलेगा तो वो उपकार करना या नहीं करना दोनों एक जैसा ही हो जायेगा भले उसको इस भावना से भोजन करा भी दिए तो ऐसा भावना लाना स्वयम के स्तर से और निचे गिरना होगा. यदि बगैर सोचे समझे यदि मन कह रहा है की इसे भोजन करा दे और स्वच्छ मन से प्रेम से उनको भोजन करा देते है तो बाद में उस भावना से अपने मन को टटोल कर देखे, उस भावाना से कही न कही किसी न किसी कोने कोई ख़ुशी जरूरछुपी दिखेगी. उस ख़ुशी में झांक कर देखिये वो वास्तविक ख़ुशी से बहूत ऊपर होगा. उस भाव में ख़ुशी के साथ एक उत्साह भी होगा. ऐसे उत्साह निस्वार्थ भाव के कर्म से ही मिलते है देश काल और पत्र के अनुसार जब सब संतुलित होता है तो जीवन में अतुलित ख़ुशी मिलता है. जीवन के ख़ुशी में संतुलन भोग विलाश से ज्यादा देय के भावना से होता है.     

खुशी और वास्तविक ख़ुशी में बहूत अंतर होता है.     

Post

   What can we do with valid knowledge?   General knowledge is there in everyone, general knowledge can also be acquired through a book. In ...