बुद्धि और बुद्धिमान
मनुष्य को बुद्धिमान होना ही चाहिए.
जीवन निर्माण में मनुष्य के जन्म के साथ दिमाग भी मिला हुआ है,
जिसकी देन बुद्धि है. सकारात्मक मन के भाव में अच्छा और तीक्ष्ण बुद्धि होता है.
मन में किसी भी प्रकार के कुंथित्पना बुद्धि में विकार ला सकता है जिससे मस्तिष्क
ठीक से काम नहीं करता है, जिसकी उपज विक्क्षिप्त बुद्धि होता है. जिससे कोई भी
कार्य सफल नहीं होता है. किसी भी कार्य को सफल होने के लिए बुद्धि सकारात्मक होना
चाहिए.
हिंदी में प्रभावी खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिए विचार नेतृत्व संगोष्ठी.
किसी एक विषय पर काम करने के लिए यदि पेचीदा विषय है तो बहूत सोच समझकर काम करना होता है. जहा विषय एक है और उसे पूरा करने के लिए कई लोगो की जरूरत है तो वहा किसी न किसी ऐसे जानकार का नेतृत्व जरूरी हो जाता है. साथ में जानकर होने के साथ विशेषग्य भी हो तो उनका नेतृत्व बहूत जरूरी होता है. जरूरी खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिए कार्य से सभी व्यक्ति विश्वासपात्र होना चाहिए. तीक्ष्ण बुद्धि वाला होना चाहिए. सभी हाजिर जवाब व्यक्ति होना चाहिए. कार्य बिलकुल संतुलित और बताये हुए मार्गदर्शन से ही करना चाहिए. कार्य के लिए मनोनीत सभी व्यक्ति के अन्दर समन्वय सामान होना चाहिए. इसमे बेहद जरूरी है की कोई भी व्यक्ति किसी को छोटा या बड़ा नहीं समझे. अपने मार्गदर्शक के हरेक बात का अनुशरण करना चाहिए. एक दुसरे के संपर्क में हमेशा रहना चाहिए. स्वयं पर पूर्ण विस्वास होना चाहिए.
प्रथम बुद्धि परीक्षण के विकासकर्ता के रूप में किसे श्रेय दिया गया है?
1916 में अमेरिका के मनोवैज्ञानिक टर्मेन ने बिने के बुद्धि परीक्षण को अपने देश की परिस्थितियों के अनुकूल बनाकर इसका उचित प्रकाशन किया. यह परीक्षण स्टेनफोर्ड बिने परीक्षण कहलाता है. जिस परीक्षण का संशोधन स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर टर्मेन ने किया था. इस आधार पर इस परीक्षण को स्टेनफोर्ड बिने परीक्षण कहा गया है. प्रथम बुद्धि परीक्षण के विकाशकर्ता के रूप में अमेरिका के प्रोफेसर टर्मेन को श्रेय दिया गया है.
शिक्षा में बुद्धि परीक्षण के लाभ
शिक्षा मन से कापी और किताब से पढने और लिखने से होता है. जब तक पढाई के समय समय पर परीक्षा नहीं होगा, तब तक न बच्चे में जिम्मेवारी आएगी और न उनका बुद्धि बढेगा. निम्न कक्षा से उच्च कक्षा में पदोन्नति परीक्षा माध्यम होता है. परीक्षा में प्राप्त अंक सामान्य अंक से कम होने पर पदोन्नति नहीं होता है. और एक साल फिर उसी कक्षा में बैठना पड़ता है. परीक्षा बच्चे का बुद्धि विवेक का एक परिक्षण है. जिसके प्रभाव से बच्चे में बुद्धि विवेक और जिम्मेवारी बढ़ता है. परीक्षा न केवल बुद्धि का विकाश करता है बल्कि बच्चे को स्वयं पर नियंत्रण करने का तरीका और ज्ञान भी सिखाता है.