Wednesday, January 5, 2022

जो रिश्ते को महत्त्व देते है उनके बिच भी नाराजगी होती है रिस्तो की नाराजगी ज्यादा दिन तक नहीं चलता है उनमे सुलह हो कर फिर एक जैसे हो जाते है.

रिश्ते का महत्त्व

 

दोस्तों किसी से ज्यादा देर तक नाराज नहीं रहना चाहिए.

इससे स्वयं खुद का भी मन व्यथित रहता है. भले लोग अपने हो या पराये ये मायने नहीं रखता है. किसी को जानते या पहचानते है तो कही न कही आत्मीयता से जरूर जुड़े हुए है. तभी कभी कवल उनका याद भी आता रहता है. जब किसी अपने या पराये से नाराज हो जाते है तो वो सदा याद रहते है. ऐसे लोगो का याद हरदम मन में रहता है जिनसे नाराज होते है. नाराजगी एक नकारात्मक गुण है जो सकारात्मक गुण से ज्यादा सक्रीय होता है. भले उनसे आप नाराज रहे पर उनकी याद सदा आपके मन में रहेगा ही. इसलिए नाराजगी ठीक है पर उतना ही की वो नाराजगी अपने मन में न बैठ जाये. इससे खुद का भी दिमाग ग्रसित होने लग जाता है. इसलिए सभी के साथ नाराजगी छोडिये और मिलजुल कर रहिये.

 

ताली दोनों हाथ से बजता है. रिस्तो में इस बात का भी ध्यान रखिये.

एक तरफ़ा सम्बन्ध कभी मत रखिये. आप चाहे तो मदद कर सकते है, पर उतना ही जो उचित हो और किसी प्रकार का अपना नुकसान नहीं होता हो. यहाँ तक ठीक है. जब सामने वाला अपको कोई महत्त्व नहीं दे रहा है. तो उससे मतलब रखना बिलकुल ठीक नहीं है. ऐसे व्यक्ति को दिल से निकल देना चाहिए. ये नुकसान दायक होता है. आप मदद करते जा रहे है. वो किसी भी प्रकार से आपके लायक ही नहीं है तो वो मदद किस काम का. जबरदस्ती रिश्ता कभी ठीक नहीं होता है. भले अपने से हो या पराये से रिश्ता दोनों तरफ सामान और आदर्श होना चाहिए, तभी वो रिश्ता महत्त्व रखता है.

 

जो रिश्ते को महत्त्व देते है उनके बिच भी नाराजगी होती है.

रिस्तो की नाराजगी ज्यादा दिन तक नहीं चलता है. उनमे सुलह हो कर फिर एक जैसे हो जाते है. ये बात उतना ही सही है, जैसे जहा कई बर्तन हो तो आपस में टकराते भी है. वैसे ही रिश्ता भी होता है. कभी ख़ुशी तो कभी नाराजगी पर वो नाराजगी नहीं समझ का फेर होता है और कुछ नहीं होता है.

Tuesday, January 4, 2022

असमय आ रहे गुस्सा को नियंत्रित किया जा सके समय समय पर व्यायाम अवस्य करे इससे भी मन शांत रहता है

गुस्सा क्यों आता है?


सहनशीलता की कमी ही गुस्सा का मुख्या कारण है. 

विषय को न समझना भी गुस्सा का कारण हो सकता है. समझ की कमी भी गुस्सा का कारण होता है. विषय वस्तु को पूरी तरह से नहीं समझ आने पर भी गुस्सा आता है. कोई कार्य अपने समय पर पूरा नहीं हुआ तो भी गुस्सा आता है. किसी कार्य में व्यवधान आने पर भी गुस्सा आता है. किसी कार्य में मन का ठीक से नहीं लगने पर भी गुस्सा आता है. मन के अनुसार कोई कार्य नहीं हुआ तो भी गुस्सा आता है.

 

गुस्सा मन का एक नकारात्मक भाव है जिसे बुद्धि विवेक से कार्य लेने पर और सहज बोध अपनाने पर गुस्सा कम होने लग जाता है.

किसी कार्य में मन का लगाना बहूत जरूरी है मन को समझे और बुद्धि विवेक से कार्य करे तो गुस्सा कम होने लग जाता है. मन जिद्दी होता है. इसलिए मन में थोडा उदार भाव लाये इससे मन का दायरा बढेगा. इसका मतलब ये नहीं की जिस बात से गुस्सा आ रहा है उसके बारे में सोचे, कुछ ऐसा भी सोचे जिससे मन को अच्छा और प्रसन्नता महशुस हो तो गुस्सा कम होने लग जाता है.  

 

हर्बल और ऑर्गेनिक तेल सिर पर लगाने से दिमाग ठंडा रहता है.

खासकर जो तेल ठंडा महशुश कराये ऐसे तेल सिर में जरूर लगाना चाहिए. जिससे असमय आ रहे गुस्सा को नियंत्रित किया जा सके समय समय पर व्यायाम अवस्य करे इससे भी मन शांत रहता है. मन के शांति के लिए मैडिटेशन सबसे अच्छा जरिया है, रोज करने से मन शांति से रहने देता है.

ज्ञान में सुधार के लिए उज्ज्वल विचार. ज्ञान का समझ हरेक इन्सान के लिए अलग अलग होता है. होना तो चाहिए की कोई कुछ बात या विचार बता रहा है

ज्ञान का महत्त्व क्या है? ज्ञान अंतहीन है. 


ज्ञान मे जितना डूबा जाये उतना ही कम है. 

ज्ञान कोई मायने नहीं रखता है की किसी के पास कम ज्ञान और किसी के पास ज्यादा ज्ञान है. ज्ञान के मायने कम नहीं है. ज्ञान ही है की हम बोलते है, सुनते है, समझते है, स्वाद लेते है, देखते है, महशुस करते है. ये सभी शारीरिक ज्ञान है. मानसिक ज्ञान भाव, मोह, आकर्षण, प्रत्याकर्सन, सुख, दुःख ये भी ज्ञान ही है. इससे बढ़कर जीवन के विकाश में प्राप्त करने वाले जानकारी ज्ञान ही है. सोचना समझना, कल्पना करना, प्रेरित होना, ज्ञान के ही रूप है.  

 

अतिरिक्त ज्ञान क्या कहलाता है?

ज्ञान किसी भी प्रकार के जानकारी को ही कहते है. कम जानकरी वाले इन्सान अपने जीवन को संतुलत कर के जिता है. अपने जीवन में वही विषय वस्तु को महत्व देता है जो जीवन के निर्वाह के लिए जरूरी है. इससे बढ़कर जिनमे अच्छी जानकारी और विशेषता होता है वो अपने जीवन को खुल कर जीते है. हर प्रकार के पावंदी और रुकावट को उनमे दूर करने की खासियत होता है. जिससे वे बहुआयामी होते है. जिनसे लोग अपने उलझे सवाल या मुसीबत में विचार विमर्स करते है. ऐसे लोग विचारक भी होते है. अपने काम और व्यवस्था में ज्ञान के अच्छे जानकारी के वजह से बहूत सफल भी होते है. समय और विशेषता के अनुसार वे अपने काम का नेतृत्व करते है और लोगो को उनके काम से और ज्ञान से मदद मिलता  है. इसे ही अतिरिक्त ज्ञान भी कहा जाता है.

 

ज्ञान की प्रकृति का कोई अंत नहीं है. 

ज्ञान की प्रकृति ज्ञान ही है जो विशेषग्य भी बनता है. किसी वस्तु के निर्माण में गुणवत्ता कायम करना बहूत बड़ी बात है. ये सभी उच्च ज्ञान के कारण ही होता है. वे विशेष और महत्वपूर्ण जानकारी वाले होते है. वे आविष्कारक भी होते है. 

 

ज्ञान के एकीकरण से संबंधित समस्याएं क्या हैं?

ज्ञान भले सकारात्मक हो या नकारात्मक पर वो ज्ञान ही है. इसमे समझ का अंतर होता है. संसार में बहुआयामी भाव वाले मनुष्य भी होते है. जब किसी ज्ञान का प्रसारण किसी अच्छे विद्वान के द्वारा किया जाता है तो लोगो के विचार जरूरी नहीं की समान हो. इसके पीछे कारण है लोगो का अपना अपना समझ. इस कारन से ज्ञान के एकीकरण में समस्याए उत्पन्न होते है.

ज्ञान में समय और हालात के अनुसार समय समय पर जानकार और ज्ञानी परिवर्तन चाहते है. 

ज्ञान उत्पन्न समस्या को कम करने के लिए नए विकल्प लोगो को देते है. जिससे सबका जीवन सुलभ होता है. पर होता क्या है? हरेक मनुष्य का समझ एक जैसा नहीं होता है. ये मन की प्रकृति है. जिसके कारण लोग अपने अपने अनुसर उस विचार पर क्रिया या प्रतिक्रिया करते है. कुछ लोगो को अच्छा तो कुछ लोगो की अच्छा नहीं लगता है. यही सभी समस्याए ज्ञान के एकीकरण में उत्पन्न होते है.

 

ज्ञान में सुधार के लिए उज्ज्वल विचार.

ज्ञान का समझ हरेक इन्सान के लिए अलग अलग होता है. होना तो चाहिए की कोई कुछ बात या विचार बता रहा है तो उसको समझे बगैर प्रतिक्रिया नहीं दे. यदि नहीं मानते है तो कोई बात नहीं पर दूसरो को नहीं मानने के लिए प्रेरित नहीं करे. ज्ञान का आयाम असीमित है. लोग के समझ पर आधारित है की उसको लोग कैसे समझते है. इस बहुआयामी दुनिया में लोगो के मन के भाव भी अलग अलग है. यदि कोई विद्वान, विचारक या ज्ञानी कोई विचार प्रस्तुत करता है तो पहले समझे. उस समझ से अपने समझ को परिस्कृत करे. मानना या नहीं मानना लोगो का अपना मत है. सुझाये बात विचार को नहीं मानने के लिए दूसरो को प्रेरित कभी नहीं करे. यदि बात सही तो समझने वाले को प्रेरणा अपने आप मिल जाता है.

प्रभावी खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिए विचार नेतृत्व संगोष्ठी.

बुद्धि और बुद्धिमान

मनुष्य को बुद्धिमान होना ही चाहिए.

जीवन निर्माण में मनुष्य के जन्म के साथ दिमाग भी मिला हुआ है, जिसकी देन बुद्धि है. सकारात्मक मन के भाव में अच्छा और तीक्ष्ण बुद्धि होता है. मन में किसी भी प्रकार के कुंथित्पना बुद्धि में विकार ला सकता है जिससे मस्तिष्क ठीक से काम नहीं करता है, जिसकी उपज विक्क्षिप्त बुद्धि होता है. जिससे कोई भी कार्य सफल नहीं होता है. किसी भी कार्य को सफल होने के लिए बुद्धि सकारात्मक होना चाहिए.

 

हिंदी में प्रभावी खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिए विचार नेतृत्व संगोष्ठी.

किसी एक विषय पर काम करने के लिए यदि पेचीदा विषय है तो बहूत सोच समझकर काम करना होता है. जहा विषय एक है और उसे पूरा करने के लिए कई लोगो की जरूरत है तो वहा किसी न किसी ऐसे जानकार का नेतृत्व जरूरी हो जाता है. साथ में जानकर होने के साथ विशेषग्य भी हो तो उनका नेतृत्व बहूत जरूरी होता है. जरूरी खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिए कार्य से सभी व्यक्ति विश्वासपात्र होना चाहिए. तीक्ष्ण बुद्धि वाला होना चाहिए. सभी हाजिर जवाब व्यक्ति होना चाहिए. कार्य बिलकुल संतुलित और बताये हुए मार्गदर्शन से ही करना चाहिए. कार्य के लिए मनोनीत सभी व्यक्ति के अन्दर समन्वय सामान होना चाहिए. इसमे बेहद जरूरी है की कोई भी व्यक्ति किसी को छोटा या बड़ा नहीं समझे. अपने मार्गदर्शक के हरेक बात का अनुशरण करना चाहिए. एक दुसरे के संपर्क में हमेशा रहना चाहिए. स्वयं पर पूर्ण विस्वास होना चाहिए.       

 

प्रथम बुद्धि परीक्षण के विकासकर्ता के रूप में किसे श्रेय दिया गया है?

1916 में अमेरिका के मनोवैज्ञानिक टर्मेन ने बिने के बुद्धि परीक्षण को अपने देश की परिस्थितियों के अनुकूल बनाकर इसका उचित प्रकाशन किया. यह परीक्षण स्टेनफोर्ड बिने परीक्षण कहलाता है. जिस परीक्षण का संशोधन स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर टर्मेन ने किया था. इस आधार पर इस परीक्षण को स्टेनफोर्ड बिने परीक्षण कहा गया है. प्रथम बुद्धि परीक्षण के विकाशकर्ता के रूप में अमेरिका के प्रोफेसर टर्मेन को श्रेय दिया गया है.

 

शिक्षा में बुद्धि परीक्षण के लाभ

शिक्षा मन से कापी और किताब से पढने और लिखने से होता है. जब तक पढाई के समय समय पर परीक्षा नहीं होगा, तब तक न बच्चे में जिम्मेवारी आएगी और न उनका बुद्धि बढेगा. निम्न कक्षा से उच्च कक्षा में पदोन्नति परीक्षा माध्यम होता है. परीक्षा में प्राप्त अंक सामान्य अंक से कम होने पर पदोन्नति नहीं होता है. और एक साल फिर उसी कक्षा में बैठना पड़ता है. परीक्षा बच्चे का बुद्धि विवेक का एक परिक्षण है. जिसके प्रभाव से बच्चे में बुद्धि विवेक और जिम्मेवारी बढ़ता है. परीक्षा न केवल बुद्धि का विकाश करता है बल्कि बच्चे को स्वयं पर नियंत्रण करने का तरीका और ज्ञान भी सिखाता है.

कौशल जहां जानना और सोचना समझना सफल प्रदर्शन के मुख्य निर्धारक हैं

कौशल ज्ञान सीखना दो प्रकार से प्रचलित है.

एक पुस्तक पढ़कर, लिखकर और विद्वान ब्यक्ति के ज्ञान से भरी बाते को सुनकर अपने ज्ञान को बढाया जाता है. जिसे शिक्षा कहते है. दूसरा होता है अध्ययन जिसमे लिखने पढने के साथ प्रयोग और कुछ करने की भूमिका हो ज्ञान सीखना कहते है. वास्तविक ज्ञान में मानव जीवन में जब तक कुछ करने की क्षमता नहीं होगा, तब तक वो एक सफल इन्सान नहीं बनेगा. प्रयोग और वस्तु निर्माण ही उसे उपार्जन का माध्यम दे सकता है. सेवा और वस्तु के निर्माण में जब योग्यता बढ़ता है तो उसे कौशल कहते है. कौशल एक पूर्ण ज्ञान हो सकता है, वही तक जहा तक वो वस्तु सफल तरीके से निर्मित हो. बारिकियत और गुणवत्ता का कोई अंत नहीं होता है. ऐसे कौशल वाले महान पुरुस होते है. कौशल हर क्षेत्र में होता है. विशेषता और गुणवत्ता बढ़ने से उसका स्तर उचा होता है. यही कौशल है.

 

कौशल जहां जानना और सोचना समझना सफल प्रदर्शन के मुख्य निर्धारक हैं.

ज्ञान अनंत है. सोचने और समझने से ज्ञान बढ़ता है. इससे कुछ निर्माण करते है तो वो उसके कौशल का पहचान बनता है. किसी विषय वस्तु के अच्छी पहचान और हरेक पहलू को दर्शाना जिससे देखने वाले को उसके बारिकियत का अंदाजा लगा सके तो उसे विशिस्थ कौशल कहते है. जिसके लिए परिश्रमी व्यक्ति दिन-रात मेहनत कर के कुछ सीखते है और अपने कार्य में पारंगत होते है. तभी गुणवत्तापूर्ण कौशल जीवन में स्थापित होता है. इसके लिए मन की एकाग्रता है के साथ जानने, सोचने, समझने का अच्छा ज्ञान होना अतिआवश्यक है. तभी अपने कौशल के प्रदर्शन को लोगो के बिच प्रदर्शित कर सकते है. यही कौशल का ज्ञान है.  

 

सह छात्रों की सोच कौशल

विद्याथी एक समूह में तभी होते है जब सबके विचार और सोच एक जैसे होते है. जब एक साथ कई विद्याथी ज्ञान और शिक्षा के बारे में विचार विमर्स करते है, तो सभी के बात विचार में जो सहमति बनता है वो उत्क्रिस्थ होता है. जो सभी के लिए गुणकारक भी होता है. इससे भी कौशल का निर्माण होता है. सोच भी एक ज्ञान है. जब कई लोग के विचार से एक मजबूत बिंदु मिलता है वही सटीक निश्कर्ष निकालता है. इसलिए सह छात्रों की सोच कौशल का काम करता है.

Real life knowledge TV channels in India contribute for better knowledge?

How do channels contribute to better knowledge in India?

 

Real life education and knowledge should never fall short. 

You can get it by any means. It is not necessary that knowledge is available only from schools and colleges, but education is definitely received from them, but knowledge is located in the entire universe. You can get knowledge from wherever you want. Only medium and knowledgeable should be mixed properly.

 

Real better knowledge for people get knowledge even by making mistakes. 

As long as human does not make mistakes in effort and effort, then there will be no realization of correct knowledge. Once a Sikh has got the right knowledge of a mistake, he will never make a mistake again in life. It can also be called education. Just as children make repeated mistakes and reprimand the teacher by reprimanding them, even those who do not understand the chapter begin to understand in a few days. This is reality. A lot of knowledge is gained even by the use of power.

 

Really similarly for better knowledge many types of knowledge are also available to be seen and recited from TV channels.

Through news, the country gets to see and hear the news of the world. Discovery, Animal Planet, nature and life, animals and birds about the world's programs are seen, which continues day after night one after the other. By watching and listening to the many channels available for spiritual knowledge, peace of mind and divine knowledge increases.

 

Monday, January 3, 2022

आधुनिक दिनों में ज्ञान को समृद्ध करने में डाक टिकट संग्रह की भूमिका. ज्ञान हर हाल में मनुष्य को प्रेरित ही करता है. मन के सकारात्मक पहलू ज्ञान ही है जो समय और अवस्था के अनुसार उजागर होते रहते है.

आधुनिक दिनों में ज्ञान को समृद्ध करने में डाक टिकट संग्रह की भूमिका.

ज्ञान हर हाल में मनुष्य को प्रेरित ही करता है. मन के सकारात्मक पहलू ज्ञान ही है जो समय और अवस्था के अनुसार उजागर होते रहते है. मन के विचार और मस्तिस्क के सोच से ज्ञान ही मिलता है. सबसे बड़ा ज्ञान का माध्यम प्रकृति और विचारवान व्यक्ति होते है. जिनके चर्चा देश और दुनिया भी करता है. महापुरुष के प्रेरणादायक विचार और ज्ञान लोगो को प्रेरित करता है. आमतौर पर डाक टिकट में या तो महापुरुस के तस्वीर होते हा या प्रकृति से जुड़े तस्वीर या निशान होते है. अक्सर देख गया है की जो व्यक्ति किसी महापुरुस के बात से या प्रकृति से प्रेरित होते है. उनसे जुड़े हुए निशानी संग्रह करते है. जैसे नोट, सिक्के, तस्वीर, डाक टिकट, लेख इत्यादि इन साभी में सबसे ज्यादा लोग डाक टिकट संग्रह करते है. डाक से आये पत्र में से डाक टिकट कट कर कही चिपका कर रख लेते है. ज्ञान को समृद्ध करने में डाक टिकट संग्रह की भूमिका सिर्फ और सर्फ प्रेरणादायक उनके विचार और ज्ञान जो उन्हें समृद्धि देता है.       

 

प्रत्यक्ष ज्ञान के विभिन्न प्रकार क्या हैं?

प्रत्यक्ष ज्ञान में जब हम कुछ करते है और उस कार्य को करने का पूरा ज्ञान नहीं होता है तो अपने से होने वाला गलती ही हमें सही दिशा में काम करने का रास्ता बताता है. ज्ञान के तौर पर कहे तो सबसे ज्यादा ज्ञान तो हमें गलती कर के मिलता है जो भविष्य में सुधर कर लेते है. जब तक इन्सान ज्ञान के तलाश में या कुछ कर गुजरने के लिए गलती नहीं करेगा तब तक वास्तविक ज्ञान का अनुभव नहीं होगा. यदि हम सोचेंगे की हमसे कोई भी गलती नहीं हो तो फिर अपना ज्ञान सिमित ही होगा. इससे ज्ञान में विस्तार नहीं होगा.

 

प्रेरणादायक विचार और विद्वान व्यक्ति के सोच से उत्पन्न ज्ञान अनुशरण करने पर अपना ही ज्ञान बढ़ता है. स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाले पुस्तक में किसी न किसी विषय के ज्ञानी के ही विचार और सिखने का तरीका होता है. भले शिक्षा के बाद भी बहूत लोग पुस्तके पढना जरूरी समझते है. वो ज्ञान के ही माध्यम है.

 

किसी कार्य हो होते देखने से समझ बढ़ता है. अध्ययन में पुस्तक पढ़ने लिखने के साथ विषय वस्तु के प्रयोग से ज्ञान का विस्तार होता है. जिससे अपन प्रयास बढ़ता है. किसी भी प्रकार के गलती करने के बाद निराश न हो कर सुधर के लिए आगे बढ़ने और संघर्स करने से ज्ञान के बारिकियत समझ में आता है.   

 

+2 वाणिज्य के बाद प्रवेश परीक्षा का ज्ञान प्राप्त करने के लिए मुझे कौन सी वेबसाइट स्थापित करनी चाहिए

ज्ञान नाम के लिए मोहताज नहीं होता है. जो ज्ञान हासिल करने के इक्छुक है वो तिनके से भी ज्ञान प्राप्त कर सकते है. अब रहा बात वेबसाइट स्थापित करने के लिए जो सरकार या पाठ्यकर्म सुझाव देता है उसको स्थापित करे. ये कोई जरूरी नहीं की कोई नामी वेबसाइट ही अच्छा ज्ञान देगा. ज्ञान तो वो होता है. जो हलके समझ से भी ज्ञान के रोशनी जले जो सबको प्रकाशित करे. 

अध्ययन के परिणामस्वरूप विद्यार्थी में किस प्रकार का ज्ञान बढ़ रहा है? किस क्षमता का विकाश हो रहा है? विषय को याद रखने की क्षमता कितना है?

छात्रों की क्षमता को मापने के लिए ज्ञान और प्रदर्शन महत्वपूर्ण हैं

 

छात्रो के अध्ययन से निर्मित ज्ञान के क्षमता को प्रदर्शन के माध्यम से मापना महत्वपूर्ण है.

छात्र विद्यालय में पढ़ते है. समझ और ज्ञान से अध्ययन बढ़ता है. अध्ययन के परिणामस्वरूप विद्यार्थी में किस प्रकार का ज्ञान बढ़ रहा है? किस क्षमता का विकाश हो रहा है? विषय को याद रखने की क्षमता कितना है? पाठ्य पुस्तक के अन्धरुनी शब्द कहाँ तक याद रहता है? लेखन में साफ सफाई और सुन्दर लिखावट में कितना विकाश हो रहा है? इन सभी कारणों का अध्ययन करने के लिए और शिक्षा में विकाश करने के लिए स्कूल समय समय पर टेस्ट परीक्षा लेते रहते है. विद्यार्थी लम्बे समय तक पुस्तक के ज्ञान को कहाँ तक याद रखता है? इसके लिए वार्षिक और अर्धवार्षिक परीक्षा साल में ६ महीने पर होता है. इसमे उन्नति होने पर ही आगे के कक्षा में पारित किया जाता है जिससे विद्यार्थी के आगे के शिक्षा का विकाश कराया जाता है. 

 

स्कूली शिक्षा न सिर्फ पाठ्य पुस्तक के ज्ञान को बढ़ता है जब की जीवन के विकाश में भी शिक्षा का ज्ञान काम में आता है.

शिक्षा हर तरह से जीवन के वास्तविक ज्ञान को विकशित करने के लिए ही होता है. विषय वस्तु के समझ और उसके गुणधर्म से वस्तु के प्रति ज्ञान जागरूक होता है. जीवन में विकाश में विषय वस्तु बहूत महत्पूर्ण है. शिक्षा में कमी है तो विषय और वस्तु के समझ में अंतर बहूत होता है. शिक्षा का आयाम ज्ञानी और विद्वान के जरिये बढाया जाता है. जिनको मनुष्य जीवन के बारे में सही और गलत क्या है? क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए? ये सभी ज्ञान और समझ पाठ्य पुस्तक में दर्ज किया जाता है, जिसे समय समय पर अध्याय के माध्यम से विद्यार्थी को समझाया जाता है.

 

समय समय पर होने वाले परीक्षा के माध्यम.

विद्यार्थी अपने प्रश्न पत्र का जवाब अपने उत्तर पुस्तक में कैसे प्रदर्शित करते है? विषय के ज्ञान से वो क्या समझे है? कैसे लिखते है? लिखाई में खुबशुरती कैसा है? शिक्षा के मापदंड को ध्यान में रखकर अध्यापक के द्वारा उचित और सही अंक देकर सभी विषय का तुलनात्मक अध्ययन से विद्यार्थी के क्षमता को विद्यार्थी के प्रदर्शन के माध्यम से परखा जाता है. विद्यार्थी के शिक्षा के ज्ञान का प्रदर्शन इसलिए अत्यंत महत्वपूर्ण है विद्यार्थी के ज्ञान और उसके परिणाम का भी अध्यन प्रदर्शन से होता है.

Real life school measuring of students ability knowledge and performance are important

Knowledge and performance are important to measure the ability of students

 

Real life school important to measure the ability of students to build knowledge through performance.

Real life students study in school. Learning grows with understanding and knowledge. What kind of knowledge is increasing in the student as a result of the study? What capacity is developing? What is the ability to remember the subject? To what extent do you remember the dark words of the text book? How much development is taking place in writing neatly and beautiful handwriting? To study all these reasons and to develop in education, schools keep taking test exams from time to time. How long does the student remember the knowledge of the book for a long time? For this, annual and half yearly examinations are held for 6 months in a year. Only when there is progress in it, it is passed to the next class, so that the further education of the student is developed.

 

Real life school education not only increases the knowledge of the textbook, but the knowledge of education also comes in handy in the development of life.

Real life education is by all means only to develop the real knowledge of life. Knowledge of the object becomes conscious through the understanding of the subject matter and its properties. The subject matter is very important in the development in life. If there is a lack in education, then there is a lot of difference between the understanding of the subject and the object. The dimension of education is increased through knowledgeable and learned scholars. Whose what is right and wrong about human life? What should be done and what should not be done? All this knowledge and understanding is recorded in the text book, which is explained to the student through chapters from time to time.

 

Real life school through examinations conducted from time to time.

Real life how do students display their question paper answers in their answer book? What does he understand from the knowledge of the subject? How do you write? How is beauty in writing? Keeping in mind the criteria of education, by giving proper and correct marks by the teacher, the student's ability is tested through the student's performance by comparative study of all the subjects. Demonstration of student's knowledge of education is very important because the student's knowledge and its results are also studied by performance.

Sunday, January 2, 2022

Agricultural students study psychology if an agricultural student wants to become a psychologist, then he can of course study it

Can agriculture students study psychology?

 

Everyone has a right to education. Whatever the student studies according to his mind, no one can stop him. If an agricultural student wants to become a psychologist, then he can of course study it. Along with this, he can also study agriculture. No one forbids anyone to learn knowledge and no one has the right to stop anyone to acquire knowledge. Even the parents of the child never want that their child should be deprived of education. There are many such scholars in the world who have taken some education together. Leonardo Da Vinci is one such example in himself who had received many types of education.

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