सीता रपटन
मध्य प्रदेश के मंडला जिला में स्थित है. पौराणिक काल में इसका नाम रामगढ था.
जो १९५१ में नाम बदल कर डिण्डोरी कर दिया गया बाद में इसका नाम फिर से बदल कर १९८८ में मंडला कर दिया गया. अब यह जिला माडला के नाम से ही प्रसिद्ध है. सीता रपटन मंडला जिले में ही पड़ता है.
वाल्मीकि ऋषि का आश्रम भी इसी जगह सीता रपटन में है.
जहा भगवन राम की पत्नी सीता को महल से निष्कासित होने के बाद वनवास के दौरान वाल्मीकि ऋषि के आश्रम में रही थी जहा सीता जी ने दो पुत्र लव और कुस को यही जन्म दिया था.
अनजान बृक्ष भी यही पर सीता रपटन, मंडला, मध्य प्रदेश में है.
जिस पेड़ के निचे वाल्मीकि जी तपस्या किये थे और रामायण की रचना भी इसी पेड़ के निचे वाल्मीकि जी किये थे. जिस पेड़ के बारे में आज तक कोई भी वनस्पति वैज्ञानिक कुछ भी पता नहीं लगा सके है की ये कौन सा पेड़ है? यहाँ पर ऐसे दो पेड़ है जो आमने सामने है. एक पेड़ के निचे सीता जी की कुटिया बना हुआ है जो छोटा गुफा जैसा है. दुसरे पेड़ सामने है. इसमे ३ बार पतझड़ आता है. और नया पत्ता कब आ जाता है पता नहीं चलता है. झड़ने वाले पत्ते कहाँ उड़ जाते है ये बी पता नहीं है. पत्ते झाड़ते हुए आज तक किसी ने नहीं देखा है.
सीता रपटन का नाम जगह का इसलिए पड़ा था.
सीता रपटन में एक पहाड़ है जो बेहद ऊपर से निचे फिसलने वाला है. जैसा बच्चे के लिए उद्यान में खेलने के लिए बना होता है, जिसपर बच्चे चढ़कर बाद में फिसलकर निचे आते है. जो काले पत्थर का है. थोड़ी खुरदुरी पर कोई भी इसपर फिसल कर निचे आ सकता है. बच्चे और बड़े बड़े मौज से इस प्राकृतिक रपटन पर ऊपर से फिसलकर निचे आते है. पौराणिक समय में एक बार सीता जी पानी भरने के दौरान इसी जगह से मटका लेकर पीछे फिसल गई थी जिससे इसका नाम सीता रपटन पड़ा है.