Thursday, August 12, 2021

जीवन की सुंदरता में उच्च ब्यक्तित्व की पहचान में मन के ज्ञान का पहचान बड़ा स्थान रखता है

जीवन के वास्तविक सुंदरता


जीवन में वास्तविक सुंदरता पुरुषार्थ के आने के साथ ही नजर आता है। तन की सुंदरता उनके आकर्षण को दर्शाता है। ब्यक्ति की पहचान और रुतवा कितना बड़ा है।  आकर्षक होने से लोग उनके तरफ आकर्षित हो रहे है। ब्यक्ति को बाहरी दिखावे पर अवस्य ध्यान देना चाहिये।  व्यक्तित्व उनके रुतवा को दर्शाता है।  जितना साफ सुथरा परिवेश होता है। व्यक्तित्व का रुतवा उतना ही आकर्षण को दर्शाता है। 


मन के साफ होने से उच्च ब्यक्तित्व की पहचान

मन के साफ होने अछे ब्यक्तित्व की पहचान होता है। मन जितना साफ़ होता है। जीवन में सरलता और सहजता उतना ही बढ़ता जाता है।  मन से साफ होने से अनगिनत फयदे है।  लोगो के किसी भी प्रकार के बात विचार का असर मन पर नहीं होता है। कोई भी बात विचार सूझ बुझ समझदारी से होता है।  बात विचार का प्रभाव  लोगो पर पड़ता है।  लोगो के बिच में सौहार्द्र बढ़ता है। लोग आत्मीयता से जुड़ते  है।  मन के साफ होने से मन में सारलता निवास होता है। जिससे लोगो के बात विचार को समझने की क्षमता होता है। लोगो के बात विचार का उचित निर्णय लेने में मन सक्षम होते है। 


जीवन की सुंदरता करुणा सरलता सहजता में बहुत बड़ा स्थान

जीवन की सुंदरता में करुणा का भी बहुत बड़ा स्थान है। मन में करुणा का भाव होने से तन मन की सुंदरता चरितार्थ होता है। करुणा बच्चो के प्रति माता का प्यार दुलार बहुत होता है। ऐसे स्वभाव के ब्यक्ति के बात विचार आकर्षक और मोहक होते है। करुणा के स्वभाव से ब्यक्ति का मन बहुत साफ सुथरा होता जाता है।  ब्यक्तित्व का स्तर बहुत उच्च होता है। 


जीवन के उन्नति में परोपकार, उदारता, दयावान, दानशीलता, दयावान, सत्कर्म है 

जीवन के उन्नति में परोपकार, उदारता, दयावान, दानशीलता, से बड़ा कर्म सायद ही कोई हो। जिनके मन में परोपकार की भावना होते है।  उदारता के गुण ब्यक्ति के जीवन में दुसरो के प्रति बहुत अनुराग उत्पन्न करता है। दयावान, दानशीलता जैसे गुण वाले ब्यक्ति सदा दुसरो के अच्छाई के लिए ही कर्म करते है। ऐसा समझे की उनका सबकुछ दुसरो के लिए ही होता है। किसी के भी दुःख तकलीफ पड़ेशानी में सदा साथ देते है। ऐसे ब्यक्ति के भावना सदाचारी होते है।  

Wednesday, August 11, 2021

जीवन की आधारशिला माता पिता ही बच्चो के पालक माता पिता है भले सांसारिक ज्ञान में कोई न कोई मतभेद उसको अपने माता पिता के माध्यम से सुलझाया जा सकता है।

जीवन एक संघर्ष  


जीवन के आधारस्तम्भ

जीवन की आधारशिला माता पिता ही होते है। बच्चो के पालक माता पिता ही होते है। भले सांसारिक ज्ञान में कोई कोई मतभेद हो। उसको अपने माता पिता के माध्यम से सुलझाया जा सकता है। बड़े और गुरुजन भी मदत करते है। ज्ञान कभी भी छुपा नहीं रहता है। जैसा हाल जैसा माहौल हो तो धोखे खा कर भी लोग सीखते है। इसलिए जीवन ही एक संघर्ष है।

 

माता पिता के द्वारा शिक्षा ज्ञान

बच्चे जन्म से ही माता पिता के लाडले होते है। उनका भरण पोषण माता पिता करते है। ये तो जगत विख्यात है। सिर्फ भरण पोसन ही नहीं उनका देखभाल छोटे से बड़ा होना। घरेलु शिक्षा फिर पाठशाला में शिक्षा सब में हर जगह माता पिता के ही देख रेख में होते है। भले ही पाठशाला के ज्ञान का माध्यम अध्यापक हो भूमिका तो माता पिता के ही है। आगे चलकर उच्च महा विद्यालय की पढाई पूरा करवाना जब तक की कही नौकरी धंदा ही लग जाता है तब तक हर प्रकार से देख रेख माता पिता का ही होता है।

 

बच्चो के लिए माता पिता का संघर्ष

संघर्ष भरे माता के जीवन में क्या क्या बीतता है। किस किस रस्ते से गुजर कर। ये सभी इच्छाएं माता पिता पूर्ति करते है। कभी कभी ऐसे हालात भी होते है। जिसका अपने बच्चो को किसी प्रकार का शिक्षा और ज्ञान में व्यवधान नहीं आने देते है। हर बुरे हालत कों स्वयं पर झेलते है। अपने बच्चो को रत्ती भर भी तकलीफ नहीं होने देते है। ये सभी क्या है? संघर्ष ही तो है। संघर्ष तो जीवन जीने के लिए हर किसी को करना पड़ता है।


होनहार बच्चे का संघर्ष

संघर्ष तो उस होनहार बच्चे के लिए भी है। जो ज्ञानी और समझदार बच्चे है। माता पिता के दिए हुए ज्ञान से उनका आत्मज्ञान आत्मबल बढ़ता है। जिससे आगे चलकर अपने पढाई लिखाई में दिन रात मेहनत कर के आगे बढ़ते है। इससे ज्ञान तो बढ़ता ही है। मन की एकाग्रता का निर्माण होता है। मन की एकाग्रता से जीवन को सरल और सहज करने में बहुत मदत मिलता है। जीवन की सरलता और सहजता के मुख्य द्वार एकाग्रता ही है। किसी एक माध्यम में गुजर बसर से मिलता है। संघर्ष के लिए एकाग्रता का जीवन में होना बहुत महत्त्व है। एकाग्रता जीवन में स्थापित हो जाए तो चाहे जितनी भी मुसीबत या परेशानी जीवन आता है। उस ब्यक्ति के मानसिकता में कोई फड़क नहीं पड़ता है। अपने उद्देश्य पर सजग हो कर चलते ही रहता है। अपने जीवन का निर्वाह करते रहता है। संघर्ष भरे जीवन के ये पहचन है।

जीवंत कल्पना जीवन के विकास के लिए कुछ योजना वर्त्तमान में क्या चल रहा बिता हुआ समय कैसा आने वाला भविष्य कैसा हो तरक्की उन्नति और विकास कैसे हो?

जीवंत कल्पना

 

जीवंत कल्पना खुशहाल जीवन के कल्पना में मनुष्य अपने अस्तित्व में आना

खुशहाल जीवन के कल्पना में। जब मनुष्य अपने अस्तित्व में आता है। अपने जीवन के विकास के लिए कुछ योजना बनता है। वर्त्तमान में क्या चल रहा है। बिता हुआ समय कैसा था?  आने वाला भविष्य कैसा होगा? तरक्की, उन्नति और विकास कैसे हो? जब ब्यक्ति ऐसा कुछ विचार कर के सोचता है।  भविष्य के जीवन के लिए खुशहाली की कामना करता है। जीवंत कल्पना मनुष्य को करना ही चाहिये। जब तक मनुष्य सोचेगा नहीं तब तक कुछ करने का भावना जागेगा नहीं। सोचना कल्पना करना किसी निर्माण के बुनियाद से काम नहीं होता है।

 

जीवंत कल्पना जिस विषय या कार्य पर सक्रिय होते है। कार्य की सफलता के लिए। जब सक्रीय हो कर विचार करते है। जीवंत कल्पना होता है।  जीवंत कल्पना करना ही चाहिए। 

 

जीवंत कल्पना में युवावस्था में अक्सर लोग जीवन में आकर्षण के लिए जीवंत कल्पना करते है

जीवंत कल्पना में युवावस्था में अक्सर लोग सकारात्मक सोच रखते है। जीवन में आकर्षण के लिए खासकर ऐसे युवा जीनके कोई प्रेमिका हो प्रसन्नचित मन के लिए  युवा जीवंत कल्पना करते है।  हालाकि कल्पना की दृस्टि से देखा जाए। तो उचित नहीं है। सोच समझ और कल्पना में जितना मनुष्य सरल और सहज हो कर संतुलित कल्पना करेगा।  उतना ही अच्छा है।  मन को जीवंत कल्पना में मनोरंजक करना। उतना ही तक ठीक है। बस वो कल्पना हो। कल्पनातीत नही होना चाहिए। क्योकि ये सब जीवंत कल्पना के दायरे में ही आते है। बहुत ज्यादा सक्रीय होते है। बहुत तेज गति से दिल और दिमाग पर प्रभाव डालते है।

जीवंत कल्पना सबसे अच्छा है। अपने मन, दिल, दिमाग, विवेक, बुद्धि, सोच, समझ के विकास और संतुलन के लिए करे। तो जीवंत कल्पना उपयोगी है।


मन भी बहुत खुश होता है कहा जाता है अच्छाइयों के साथ रहने से अच्छाई बढ़ती है लोगो के बीच अच्छी बाते करते और विचार अनुभव करते है

जीवन में अच्छाइयों के तरफ बढ़ने के लिए मन में अच्छे चीजों को ग्रहण करना चाहिए


जीवन में अच्छाइयों के तरफ बढ़ने के लिए अच्छे चीजों को ग्रहण करना चाहिए। जिन लोगो से मिलते है। जिनके बारे में अच्छा सुनते है। अच्छा लगता है। इससे अपना मन भी बहुत खुश होता है। इसे ही कहा जाता है अच्छाइयों के साथ रहने से अच्छाई बढ़ती है। जहाँ   लोगो के बीच अच्छी बाते करते और विचार अनुभव करते है। तो वाहा अच्छा सिद्धांत उत्पन्न होता है। जो अच्छाइयों को बढ़ता है। सबसे बुरा तब होता है। जहाँ लोग एक दूसरे से बाते करते है। और सामने वाले की कमज़ोरी पकड़कर उनका फायदा उठाते है। और सामने वाले का नुकसान करते है। ये अच्छी बात नहीं है। ऐसा नहीं करना चाहिए ऐसा करना अपराध भी है। अक्सर ऐसा होता है।  किसी से बात करते करते उस पर क्रोधित भी हो जाते है। तब ये नहीं पता चलता है। की क्या कर रहे है। क्या नहीं कर रहे है। क्या करना है। क्रोध के दौरान सब ज्ञान मस्तिष्क से गायब हो जाता है। तब सिर्फ और सिर्फ गुस्सा ही रहता है। इसलिए ऐसा तो कभी नहीं करना चाहिए।  चुकी ऐसा करने से सब ख़त्म होने का दर रहता है। उससे भविष्य में विक्छिप्तता के वजह से नुकसान ही होता है। ऐसा करना सर्वनाश करने के बराबर होता है। इसलिए ऐसा कभी नहीं करना चाहिए। होना तो ये चाहिए की भले सामने वाला कुछ कहता है। भले उसके मुँह से कुछ बुरा बात निकल जाता है। तो हो सकता है उसके पास ज्ञान की कमी हो सकता है इसके वजह से ही कुछ बुरा बोला होगा। इसलिए उसे माफ़ करना ही सबसे अच्छा है। इससे उसको भी ज्ञान होगा की अरे मुझसे तो गलती हो गई है मान लिजिए कोई आपको कुछ दे रहा है। और आप उसे स्वीकार नहीं कर रहे है। तो होगा क्या वो वापस ले कर चला जायेगा। यदि किसी ने बुरा बात बोले तो हमें उसे स्वीकार करके बुरा बात बोलने की कोई जरूरी नहीं है। इससे हमारा ऊर्जा ही ख़राब होगा। जो खतरनाक है। इससे अच्छा है। सब से अच्छा बोले। अच्छा रहे। अच्छा बने रहे। अच्छाई बिखेरते रहे। इससे सब ठीक रहेगा। 

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